मंगलवार, 25 जुलाई 2017

गजल

मोन सभहँक अचंभित छलै
चोर ऐठाम मंडित छलै

काज हुनकर बिलंबित मुदा
साज तँ द्रुतबिलंबित छलै

हाथ जोड़ल बहुत भेटि गेल
मोन सभहँक विखंडित छलै

ठोर केनाहुतो चुप रहल
तथ्य रखबासँ वंचित छलै

दुख बला पाँतिमे देखि लिअ
सुख बहुत रास टंकित छलै

दर्द बाँटब सहज नै बंधु
दर्द मोनक अखंडित छलै

सभ पाँतिमे 2122-122-12 मात्राक्रम अछि
तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों