मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

गजल


चुप्प अछि मनुख गिद्दर भुकबे करतैक
निर्जीव तुलसी-चौरा कूकूर मुतबे करतैक



वीरता सीमित रहि जाए जँ गप्प धरि
लात दुश्मनक छाती पर पड़बे करतैक



विद्रोह आ अधिकार के अधलाह बुझनिहार
आइ ने काल्हि अपटी खेत मे मरबे करतैक



बसात दैत रहिऔ क्रांतिक आगि के
नहुँए-नहु सही कहिओ धुधुएबे करतैक



लिखैत रहू गजल विद्रोहक अनचिन्हार
केओ ने केओ एकरा गेबे करतैक

गजल


बाजू चोरक लेल ताला की
बेइमानक लेल केबाला की



लोक डुबैए भाव-अभाव मे
डुबबाक लेल नदी-नाला की



लोक खुश होइए तेल-मालिश सँ
एहि रोगिक लेल दवाइ-आला की



फूसेक घर पर होइत छैक दैवी प्रकोप
पाथरक मकान लेल ठनका-पाला की

शनिवार, 26 दिसंबर 2009

गजल


बान्हल हमर मुरेठाकें नहि, रहलै अछि ककरहु सन्त्रास
नहि विमलत बिनु कएने कथमपि, अन्यायी केर सत्यानाश ...

जड़ि जड़ि जेठक तिक्ख रौदमे, उपजाओल हम जे टा अन्न
करब हमहि उपभोग तकर, हम भूतक दास भविष्यक आश ...

गीड़ि लेलौं दुख केर चिनगीकें, उठल आइ मनमे आक्रोश
लगा रहल छी आगि तेहेन जे, भेटत नव गति नवल प्रकाश...

शोणित घाम बहाबैत रहलौं, अद्यावधि जे हम मतिमन्द
अहँक रक्त धारासँ सींचब, आब अपन हम हरियर चास ...

चुप्पी छलए द्रोण शकटारक, उद्घोषण कौटिल्यक थिक
सावधान शोषक ने करए देब, आब आन पर भोग-विलास...

लेब असूलि कौड़ी-छदाम धरि, अपन स्वेद केर मोल अमोल
खेलब फागु अहँक शोणितसँ, लिखब हमहि नबका इतिहास...

गजल

हमर विषपानसँ जुनि होउ प्रमुदित हम ने एसगर छी
अहँ केर शान ू हम ने एसगर छी।

अहँक बारूद हमरा शब्दसँ नहि लड़ि सकत कहिओ
रहू कलमच नुका कहुना कतहु जा, हम ने एसगर छी।

कोनो दुर्भिक्ष, दुर्दिनमे जकर धधरा ने भेलै क्षीण
सभटा से लपट मिलि कए कहैए हम ने एसगर छी।

गजल

जहर केर घोंट भरि सजनी जँ पीबी अहाँक हाथें हम
तँ सत्ते जीबि लेब जिनगी, अमर भ’ अहाँक हाथें हम

अहाँक आँचर के तुलनामे ने किछु थिक स्वर्ग केर उपवन
जकर सब सूतमे पाबी प्रबल सुख अहाँक हाथें हम

अहाँक मुस्कानसँ बिहुँसय दहो दिश जीवनक सपना
भरब ओहि अल्पनामे रंग उत्तम अहाँक हाथें हम।

अहाँक स्पर्शमे जादू ध्वनिक आरोहमे लोरी
अगिनकें होइत निर्मल हम देखल अछि अहाँक हाथें हम।

अहाँ जँ निकट रहि कए देब हमरा जीवनक निजता
तँ जीतब युद्ध सभटा हम अहँक संग अहाँक हाथें हम।

गजल

मोहमुक्ति

पैघक संरक्षण जं किनकहु
भेटि रहल हो भाइ।
गगनसं खसल शीत सम बूझी
जुनि कनिओं इतराइ।
वटवृक्षक छहरि सन शीतल,
रखने जे प्रभुताइ।
मेटा लैछ अस्तित्व अपन,
ओहि तरमे सभ बनराइ।
सागर सन कायामे कखनहु,
जं उफनए आक्रोश।
निधि तट पर बैसल दम्पति केर,
प्रणयने बुझए अताइ।
फांकथि तण्डुल कण पोटरीसं,
मुदित होथि दुहू मीत।
तेहेन बचल नहि कृष्ण एकहुटा,
विवश सुदामा भाइ।

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

गजल


जनपथ छोड़ि राजपथ जायब से हमरा की नीक लगैए
उखरि मे मूड़ी घोसिआयब से हमरा की नीक लगैए


बक सँ कौआ बनल ठाढ़ छी काजर घर मे
तहि पर चानन ठोप लगायब से हमरा की नीक लगैए


चोरि करब हम मुदा शान सँ चौकीदारक संग रहब
लाज-शरम ताखा पर राखब से हमरा की नीक लगैए


भ्रष्ट दुपहरा केर एहन बहसल बसात मे
लंक-दहन लेल आगि पजारब से हमरा की नीक लगैए


छमा करू अरबिन उचित किन्नहुँ नहि बाजब
सुधिजन आगाँ गाल बजायब से हमरा की नीक लगैए

रविवार, 20 दिसंबर 2009

गजल


छाती तँ तानल छल शस्त्र उठयबाक बेर
कोंढ़ किए काँपि रहल लास उठयबाक बेर


पात बिछयबाक बे लोकक करमान छल
यार सभ अलोपित भेल ऐंठ उठयबाक बेर


आयातित महारानी फाहा बुझाइत छल
घोल किए परमाणुक भार उठयबाक बेर


दाउन बेर धानक तँ मारिते महाजन छल
एक्को टा जन नहि नार उठयबाक बेर


प्रवचन मे घौसय छथि धैरज केर महिमा ओ
सभ टा बिसरि जाइ छथि कष्ट उठयबाक बेर


अरबिन उतारा किछु विध्वंसक होइत अछि
नीक जकाँ सोचै छल प्रश्न उठयबाक बेर

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

गजल

असली हाथीक नकली दातँ थिक संबंध
लोहछल मोनक खुरापात थिक संबंध

कोना बचतैक आयोगक गठन करू
सुखाएल गाछक हरिअर पात थिक संबंध

केकरो सँ दोस्ती तोड़ब ओतेक सहज नहि
करेजक आँगन मे अंगदक लात थिक संबंध

हटा लिअ अपन मूँह सँ इ मास्क तुरंत
शुद्ध प्राणरक्षक बसात थिक संबंध

बिनु बजने बैसल रहू तमाशा देखू
बैसल बुढ़िआक शह-मात थिक संबंध

शनिवार, 12 दिसंबर 2009

गजल







सागर में आगि बिजली आसमान में

बेचैनी कते ओ जे ऐछ हमर प्राण में



दिन एहनो आयल हमर जिनगी में

बुझ्लों जे अपन मिलल छल आन में



जिनगीक रंग ढंग की देखि हुनकर

रूप बदलैत छन छन आसमान में

गजल



1

रिश्ता दर्द्क ऐछ कागज पर नहीं लिखू

शब्द मर्मक ऐछ चौराहा पर नहीं बाजु

हवाक प्रत्येक झोंक अपन नहीं होइत ऐछ

राती ते अन्हार ऐछ दिन अपन नहीं होइत ऐछ

सव् व्यथा के साज नहीं भेटैत छैक

सवता गीत पर आह नहीं सजैत छैक

सागरक तीर पर बैसली शेफाली पिआस

नेनेजीवन में रमल छी जीवनक आस नेने


खंड खंड जीवन जिनाई जिअल नहीं जैत ऐछ

बुन्न जहर पिनाई पिअल नहीं जैत ऐछ

चिरी चिरी अपन अंतर सीवी, सीअल नहीं जैत ऐछ

भोरे भोर अख़बार में खून डकैती आतंक

शेफाली पढ़हल नहीं जैत ऐछ

बेर बेर देशप्रेम पर भाषण सुनल नहीं जैत ऐछ

दहेजक नाम पर बेटा बेचब सहल नहीं जैत ऐछ

मानवक भीढ़ में हेरायल मानवताक

खोजल नहीं जैत ऐछ

गिध्ह जकां देश कें नोचैत मानव के

देखल नहीं जैत ऐछ

3

कतेक मोसकिल ऐछ जिनाई ,

जिनगीक कैद में साँस लेनाई

कतेक कामना से छुब्ने छलों गुलाब के

आह तरहथ धरी में कान्ट उगी आयल

हृदयक घाह से नोर छलकी आयल

शोनितक खंड में व्यथा भरी आयल

चली देलों एही शहर से अहाँ

मोनक आँगन में जेना कैकटस निकली आयल

ऐना गरैत ऐछ करेज में यादी अहांक

जेना कैक्टस में कोनो फूल खिली आयल


डॉ. शेफालिका वर्मा

२६७, त्रितय ताल , भाई परमानन्द कालोनी

दिल्ली.....९, फ़ोन..०११ २७६०४७९० मो, ०९३११६६१८४७ , ०९९९०१६२०२१







तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों