गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
एक रात में दो दो कोबर बनी
एक नैहर में एक सासुर में
एक नैहर में एक सासुर में
मिथिलांचलमे ई कोबर गीत कहियो धूम मचेने छल। ई कोबर गीत एकटा हिंदी फिल्मी गीतक पैरोडी अछि। मूल बोल एना छै " एक रात में दो-दो चाँद खिले, एक घूँघट में एक बदली में"। फिल्म "बरखा" केर ई नज्म जे कि मुकेश ओ लता मंगेशकर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजेन्द्र कृष्ण। संगीतकार छथि चित्रगुप्त। ई फिल्म 1 January 1960 मे रिलीज भेलै। एहिमे जगदीप, नंदा, लीला चिटनिस आदि कलाकार छलथि। एहि नज्म वा गीतमे ठीकसँ बहरक पालन नै भेल अछि मुदा बहरक बहुत लग-लगीचमे अछि आ गायनमे एकरा एक मीटरमे बैसा देल गेल छै तँइ हम एहि गीतक चयन केलहुँ। पाठक एकरा पढ़ि अनुमान लगा सकै छथि जे नीक गजल-गीत लेल बहर कतेक अनिवार्य होइत छै। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानि लेबाक जे उर्दू परंपरा छै गजलमे तकरे मैथिलीमे लेल गेल छै आ से प्रायः सभ जनिते हेता।
एक रात में दो-दो चाँद खिले (9 दीर्घ)
एक घूँघट में एक बदली में (9 दीर्घ)
अपनी अपनी मंज़िल से मिले (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एक घूँघट में एक बदली में (9 दीर्घ)
बदली का वो चाँद तो सबका है (9 दीर्घ आ 1 लघु)
घूँघट का वो चाँद तो अपना है (9 दीर्घ आ 1 लघु)
मुझे चाँद समझने वाले बता (7 दीर्घ आ 1 लघु)
ये सच है या सपना है (7 दीर्घ)
मालूम नहीं दो अंजाने (8 दीर्घ)
राही कैसे मिल जाते हैं (8 दीर्घ)
फूलों को अगर खिलना हो (7 दीर्घ आ 1 लघु)
वीराने में भी खिल जाते हैं (9 दीर्घ)
आब एहि गीतक मैथिली पैरोडी पढ़ू--
एक रात में दो दो कोबर बनी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एक नैहर में एक सासुर में (9 दीर्घ)
नहिरा के कोबर में डिबिया जरी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर में बलब लगी (9 दीर्घ)
नहिरा के कोबर में पटिया सजी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर में पलंगा सजी (10 दीर्घ)
नहिरा के कोबर में अम्मा मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर सासू मिली (8 दीर्घ आ 1 लघु)
नहिरा के कोबर में भाभी मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर जेठानी मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एहि कोबर गीतमे वर्णित भौतिक साधनपर देखबै तँ खाँटी मैथिल अवस्थाक दर्शन हएत। पहिल कोबरमे कनियाँकेँ डिबिया आ पटिया भेटलै से कोबर निश्चित रूपें नैहराक कमजोर आर्थिक स्थितिक वर्णन करैत छै तँ दोसर कोबर (सासुर बला)मे क्रमशः बल्ब आ पलंगसँ कनियाँक पति ओ ससुरक मजबूत आर्थिक स्थितिकेँ उजागर करैत छैक। संबंधमे अम्मा आ सासु केर वर्णन तँ ठीक मुदा मैथिल समाजक हिसाबें भाउजक संग ननदि हेबाक चाही छलै कारण लड़की अपन सासुरमे जेठ दियादिनी बदला ननदि केर संग सहज रहैत छै से ओ ननदि चाहे अपन हो कि पड़ोसिया बला।
एकर तक्ती मैथिली नियमपर कएल गेल अछि। दूनू गीत निच्चा सुनि सकैत छी ---
मूल हिंदी गीत
पैरोडी मैथिली गीत