पागल हम दुनियामे पियार तकै छी
भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी
नै कोनो दाम मनुख आ मनुखताकेँ
स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
पागल हम दुनियामे पियार तकै छी
भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी
नै कोनो दाम मनुख आ मनुखताकेँ
स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
हम बनब चाहै छलौं की कि बनि गेलौं
प्रेममे प्रियतम अहीँ केर सनि गेलौं
आश जे परिवारकेँ आब नहि रहलै
जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै
सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा
प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं
मोनकेँ भीतर घराड़ी बसल सदिखन
छल लिखल परदेशके देश मनि गेलौं
नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै
मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं
(बहरे कलीब, मात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि
शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि
एही दुनियासँ जहन अहाँ चलि गेलौं
बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
ॐ
सरल शुद्ध सुंदर महादेव शंकरपोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल
जे प्रेममे डूबल जीविते तरि गेल
सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक
अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल
धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत
हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल
आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ
डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल
पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब
तोरासँ जे मृगनयनी नजरि लरि गेल
(बहरे सलीम, मात्रा क्रम - 2212-2221-2221)
जगदानन्द झा ‘मनु’
नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै
प्रेम जकरा देलियै ओ तीत भेलै
जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं
जे कियो ई बुझलकै भयभीत भेलै
बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक
आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै
जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै
ओकरे सभके किए ई जीत भेलै
भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु’
लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम 2122-2122-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
किछु नै कहलक ओ कहियो कऽ
हमहूँ नै बुझलहुँ बुझियो कऽ
दुश्मन यदि हो अपने लोक
रहि सकबै कोना हटियो कऽ
जे जे रहलै हुनका संग
ओकर गिनती नै रहियो कऽ
लिखलहुँ हम जेहन जे पाँति
अपनो नै बुझलहुँ लिखियो कऽ
सारापर करतै जयकार
लेखककेँ नै सुख मरियो कऽ
सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। ई बहरे विदेह अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा
कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा
पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा
किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा
केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा
हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा
सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।