सोमवार, 22 मई 2023

गजल

जइ समय जइ काल दुश्मन जा रहल छल जान लेने
ठीक तखने दोस पहुँचल ढेर ढाकी ज्ञान लेने

पाइ जेबीमे नै रहने बुझि लियौ उन्टे रहत गति
मूँह पाकत पानि पीने हाथ पाकत चान लेने

ओकरा हमहीं सिखेलहुँ रूप बदलब रंग बदलब
अंतमे चलि गेल हमरे मूँह हमरे कान लेने

मूर्ख चुनि लिअ यदि अहाँकेँ अछि जगतमे सुखसँ रहबाक
खूब पछताइत रहब हमरे जकाँ विद्वान लेने

नौकरीसँ प्राण बाँचल छै गरीबक बात मानू
देखि लिअ हालति हुनक जे सभ रहथि खरिहान लेने

सभ पाँतिमे 2122-2122-2122-2122 मात्राक्रम अछि। ई बहरे रमल मोसम्मन महजूफ़ अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। दू शेरमे गजलक मान्य छूट लेल गेल अछि। 

बुधवार, 1 मार्च 2023

गजल

जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब 

बितल जे संग ओ सगरो  खुशी गानब 

 

करेजामे नुकोने छी कतेको दुख 

हमर सामर्थ जे मुँहपर हँसी आनब

 

जहर पी दर्द के हम चिन्हलौ दुनियाँ

नदीमे ठेल सिखने लोक अछि छानब 

 

द कर्जा मांगि देखू एक दिन ककरो 

सगर दुनियाँक माया छन्नमे जानब 

 

सिनेह प्रेम दोस्ती नाम मतलबकेँ 

कपट ‘मनु’ भेषमे सब एतए दानब

(बहरे हजज, मात्राक्रम : 1222-1222-1222)

 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

गजल

भरोसपर जते टुटल इजोरिया
अलग तते अलग रहल इजोरिया

मलाइ चाटि बेस फाटि गेल जे
बना रहल तकर महल इजोरिया

अधीर भेल नीक नीक लोक सभ
जखन जखन हुनक रुसल इजोरिया

बजारमे गुलाम भेल रौद सभ
मुदा कहीं टिकल रहल इजोरिया

जकर भरोसपर उड़ल अकासमे
तही विकास तर दबल इजोरिया

सभ पाँतिमे 12-12-12-12-12-12 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

भक्ति गजल

आई महाशिवरात्रि केर शुभ अवसर पर श्री शिवकेँ कृपासँ प्रस्तुत अछि एकटा शिव गजल, भक्ति गजल 

गजल 

चलू देखब हे बहीना शिवकेँ 

अपन गौरीकेँ सजनमा शिवकेँ 

 

सभक ई खाली भरै छथि झोली 

सरण आइब जे सुमरला शिवकेँ 

 

गरीबोकेँ छथि इहे सुननाहर 

दियौ जल भरि एक लोटा शिवकेँ 

 

मनुख दानव देव भूत प्रेतो 

सगर दुनिया मिल मनेला शिवकेँ 

 

सिया रामोकृष्ण हुनके पुजलनि 

बनेलनि सगरो अराध्या शिवकेँ 

 

कृपानिधि कैलाशवासी जय भव

चरण वंदन जग रचैता शिवकेँ 

 

मनोरथ सब पूर्ण करता शम्भू 

कहल ‘मनु’ जे मनसँ भजता शिवकेँ 

(मात्राक्रम- 1222-2/ 1222-2)

सुझाव, मार्गदर्शन व आलोचना सादर आमंत्रित अछि। की एही मात्राक्रमकेँ बहरे गोविंद मानल ज सकै छै ?

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

गजल

मात्र अर्पित करू भावना भक्तिमे
आर कोनो नै हो भूमिका भक्तिमे

डूबि गेलै सकल ओहदा भक्तिमे
भूतपति लोककर साधना भक्तिमे

पार्वती या उमा अम्बिका या सती
छै बनल किछु कथा उपकथा भक्तिमे

देहमे मोनमे प्राणमे छै बसल
सर्वगोचर सुधी चेतना भक्तिमे

दूर दूरे रहल ई निगेटिभ जगत
भेल हमरा बहुत फायदा भक्तिमे

शम्भु शंकर सदाशिव उमापति अभव
सर्वदा टारलनि आपदा भक्तिमे


सभ पाँतिमे 212-212-212-212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

रविवार, 5 फ़रवरी 2023

गजल

जखन कखनो जे सोचब हमरा

अपन लअगेमे पायब हमरा

 

गजल हमर शव्द बनि तनमनमे 
कचोटत तँ अहाँ ताकब हमरा 

 

बहुत दुर छी कोनो बाते नै

अपन मोनेमे देखब हमरा


दुनू दू तन  एक्के जिनगी छी

अहाँ कखनो नै बिसरब हमरा


अहाँकेँ हम छी कहलौं जे ‘मनु’

कि मुइला बादो मानब हमरा 

(बहरे गोविंद, मात्राक्रम : 12 22 22 22 2, सभ पाँतिमे। दोसर शेरकेँ दोसर पाँतिमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दिर्ध मानक छुट लेल गेल अछि)

 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

गजल

देश अमरित राज्य अमरित नेत धरि अमृताह छै
ताहि बादो लोक सभ एना किए मरखाह छै

नोर हुनकर नोर हमरो फर्क भेटत किछु मुदा
नोर हुनकर देर धरि चुप आ हमर अगुताह छै

बाँस छीलल हो कि बेछिल्ले मुदा हेतै असरि
के कहाँ आ के कते से आब नै परवाह छै

आस टुटतै संग छुटतै बात ई बूझल रहै
संग तइयो देल कारण जिद्द बड़ जिदियाह छै

खकसियाहा केर चक्करमे हमर सपना रहल
फेर कहलह आँखि के सपने बहुत झड़काह छै

सभ पाँतिमे 2122-2122-2122-212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे रमल मोसम्मन महजूफ़ अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

गजल

जखन दरबार बनि गेलै
तखन किछु चार बनि गेलै

जहर पीने रही एना
गलाकेँ हार बनि गेलै

भरोसापर रहल लटकल
भरोसा भार बनि गेलै

रहै इच्छा बनब करुणा
मुदा खुंखार बनि गेलै

टुटल बहिनोइकेँ नै मान
धनी लग सार बनि गेलै


सभ पाँतिमे 1222-1222 मात्राक्रम अछि। ई बहरे हजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि।सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

रविवार, 29 जनवरी 2023

गजल

दर्द देखायब करेजाक मानब की

काल्हि सपनोमे हँसी छोरि कानब की 

 

प्रेम पुरुषक छैक गोबर अहाँ कहलौं

चीर देखायब करेजा तँ गानब की

 

दोख सभमे नै कतउ एकमे हेते

संग हमरा ओहिमे सभक सानब की 

 

आइ छै अन्हार सगरो अहाँ कहलौं

आँखि मुनि लाइटसँ अन्हार आनब की

 

कनिक हमरोपर भरोसा क कय देखू

प्रेम ककरा छै कहै  'मनु'सँ जानब की

(बहरे कलीब, मात्राक्रम : 2122-2122-1222)

 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

सोमवार, 16 जनवरी 2023

RSS ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) केर प्रार्थनामे छन्द

RSS ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) वा कि भाजपासँ जुड़ल मैथिलकेँ ई बुझले नहि हेतनि कि संघ केर प्रार्थना सेहो छन्दमे छै। भुजंगप्रयात नामक छन्द जकरा गजलमे बहरे मुतकारिब कहल जाइत छै ताहीमे संघ केर प्रार्थना लिखल गेल छै। एकर सूत्र भेल 122-122-122-122 तँ देखू ई रचना जे कि संघ केर प्रार्थना छै-

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥

समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥

शनिवार, 14 जनवरी 2023

जगदानन्द झा ‘मनु’क पच्चीस टा रुबाइ एक्केठाम

रुबाइ 1
आँचर नहि उठाबू आँखिसँ पी दि
हम जन्मसँ पियासल करेज जुड़ब दि
के कहैत अछि निसाँ शराबमे बड़ अछि 
कनी अपन प्रेमक निसाँमे जीबय दि

 

 

रुबाइ 2

हम पीलौं तँ लोक कहलक शराबी अछि 

कहू एतअ के नहि बहसल कबाबी अछि

बुझलौं अहाँ सभ   दुनियाक ठेकेदार 

हमरो  आँखिसँ देखू की खराबी अछि  

 

 

रुबाइ 3

पीब नै शराब तँ हम जी कोना क

फाटल करेजकेँ हम सी कोना क

सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक

सबहक सोंझा तँ आब पीब कोना क

 

 

रुबाइ 4

पीलौं शराब तँ दुनियाँ कहलक बताह 

बिन पीने ई दुनियाँ भेल अछि कटाह

जे नहि पीलक कहाँ अछि ओकरो महल

तँ पिबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह

 

 

रुबाइ 5

भेटल नहि सिनेह   तेँ शराबे पीलौं

दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं 

के कहैत अछि शराब छैक खराब ‘मनु’

बिन हुनक रहितौं शराबे सँ हम जीलौं

 

 

रुबाइ 6

ढोलक धम-धमा-धम बजैत किएक छै

घुँघरू खन-खना-खन खनकैत किएक छै

दुनू भीतरसँ छैक एक्केसन  खाली 

दुनू अपन गप्प नहि बुझैत किएक छै

 

 

रुबाइ 7

पीलौं नहि तँ की छै शराब बूझब की 

बिन पीने दुनियाँमे करब तँ करब की 

एक दोसरकेँ सभ अछि खून पीबैत 

खून छोड़ि शराबे पी कय देखब की 

 

 

रुबाइ 8

गोरी तोहर काजर जान मारैए 
छौंरा सभ सगर हाय तान मारैए 
पेएलक बड़ भाग काजर विधातासँ 

तोहर आँखिमे कते शान मारैए 

 

 

रुबाइ 9

काजर बुझि क अपन आँखिमे बसा लि
मित बना क कनीक करेजसँ लगा लि
ऐना जुनि अहाँ   कनखी नजरि घुमाऊ
आँखिक अपन  करीया काजर बना लिअ

 

 

रुबाइ 10

फूसियो जँ कनी अहाँ इशारा करितहुँ

भरि जीवन हम अहीँक बाटमे रहितहुँ

मुस्कीमे अहाँक अपन मोन लूटा क

तरहत्थीपर जान लेने  हम अबितहुँ

 

 

रुबाइ 11

अनकर घर जड़ा हाथ सेकै सभ कियो 
दोसरक करेजा तोरि हँसै सभ कियो 
अपना पर जे बिपति एलै कएखनो 
माथा पकडि हिचुकि-हिचुकि कनै सभ कियो

 

 

रुबाइ 12

कोन बिधि मरि क हम रुपैया कमेलौं

सुख चैन निन्न रातिकेँ अपन हरेलौं

गाम घरक सबटा सऽर संबंध तियागि

बिन कसूरे बाहर    वनवास बितेलौं

 

 

रुबाइ 13

घाट-घाट पर सुतल कतेको गोहि अछि 

साउध लोककेँ मोन लेने मोहि अछि 

धर्मक नाम पर खुजल कतेक दोकान

टाका लs  छनमे सभटा पाप धोहि अछि

 

 

रुबाइ 14

बाबूजीक करेजमे  सदिखन रहलहुँ

हुनक तन मन धन सगरो हम पेएलहुँ 
रौ पानि दाहीसँ सदिखन बचेलन्हि

सेबाक बेड़मे हम परदेश भगलहुँ 

 

 

रुबाइ 15

देह जान सबटा    बाबूजी देलन्हि 
जे किछु छी एखन बाबूजी केलन्हि
अपने रहि भूखे   हमर पेट भरलन्हि
सुधि अपन बिसरि हमरा मनुख बनेलन्हि

 

 

रुबाइ  16   

जे जन्म देलन्हि ओ कहलन्हि गदहा 

जे पोसलन्हि ओ  मानलन्हि गदहा

गदहा जँका सगरो जिन्दगी बितेलहुँ

जिनका बियाहलहुँ ओ बुझलन्हि गदहा 

 

 

रुबाइ 17

मैथिली साहित्यक आँच सुगैत अछि 

सगरो नव विधाक ज्वला पजरैत अछि 

कोटी नमन जिनकर बिछल जारैन अछि 

विदेहक बारल आगि 'मनु' लहकैत अछि

 

 

रुबाइ 18

सिस्टम आइकेँ किए बबाल बनल अछि 

नेता सभ तँ  एकटा जपाल बनल अछि 

बड़ बड़ बागर बिल्ला राज चलबैए

जनताक प्राणेपर सबाल बनल अछि  

 

 

रुबाइ 19

गामक अधिकारी भेला सैंया हमर 

कोना क पकड़तै कियोक बैंया हमर 

सभक पेटीक माल आब हमरे छैक 

सैंया लऽ लेथिन सभटा बलैंया हमर 

 

 

रुबाइ 20 

साँवरिया पिया अहाँ ई की कएलहुँ   

साउन चढ़ल छोड़ि चलि कोना गएलहुँ

बहल हवा शीतल सिहरैए हमर तन 

कोना रहब बिनु अहाँ बुझि नै पएलहुँ  

 

 

रुबाइ 21

गोरी तोर मुस्कीमे छौ जहर भरल 

नै एना मुँह खोल कते घायल परल 

जँ निकैल गएलौ फूलझड़ी सन हँसी 

बाटपर भेटत कतेको छौंड़ा मरल 

 


रुबाइ 22

नैन्हेटा हाथमे केहन लकीड़ छै

नै माय बाप ई केहन तकदीर छै

धो धो कऽ ऐँठ कप लकीड़ो खीएलै

नै सुनलक कियो ई दुनियाँ बहीर छै

 

 

रुबाइ 23

कर्जा कय क जीवन हम जीव रहल छी 

फाटल अपनकेँ कहुना सीब रहल छी 

सभ किछु लूटा क ‘मनु’ अपन जीवनकेँ

निर्लज जकाँ हम ताड़ी पीब रहल छी   

 

 

रुबाइ 24 

भिमन्यु जकाँ   चक्रव्यूहमे फसलौं 
नै बचब सिख हम अर्जुन बनि पेएलौं 

'मनुजीवनकेँ   एही  महाभारतमे
सगरो ठार हम कौरव के देखलौं

 

 

रुबाइ 25

हम जरैत छी    की अहाँ प्रकाशित रही

अहाँक सुख लेल खुशीसँ हम आँच सही 

बातीकेँ जरैत    दुनिया देखलक

तेल बनि हम तँ जरलौं दुख कतेक कही 

✍🏻  जगदानन्द झा ‘मनु’

                       

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

गजल

भगवती जकर माए ओ टुगर कहल कोना 

हाथ छै दुनू भेटल रंक ओ रहल कोना

  

माथ पर हमर सदिखन जखन हाथ मैयाकेँ

एहिठाम रहलै कोनो  कठिन टहल कोना 

 

लेब छोरि कखनो देबाक बात कनि सोचू

सगर गाम देखू सुख शांति नहि बहल कोना

 

शेरकेँ घरे बैसल   नहि शिकार भेटै छै

घरसँ जे निकलबै नहि घर बनत महल कोना

 

काज नहि अपन हिस्सा केर ‘मनु’ करी हम सब

ई सहज सगर दुनिया नहि  बनत जहल कोना

(मात्राक्रम : 212-1222/ 212-1222 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रविवार, 1 जनवरी 2023

गजल

अते नहि करू मान मोहन मुरारी
अधम दिस दियौ ध्यान मोहन मुरारी

सहज ओ सरस बनि सरल ओ तरल बनि
सुनाबथि अपन तान मोहन मुरारी

रचा रास योगी सुना सत्य भोगी
रसिक रस कला ज्ञान मोहन मुरारी

शरणमे जे पहुँचल से सभ मोक्ष पेलक
नै जानथि अपन आन मोहन मुरारी

हमर भाव जे छै अहीं लेल रहलै
लियौ तुच्छ दुभि धान मोहन मुरारी

सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि। ई बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

शनिवार, 31 दिसंबर 2022

अपने एना अपने मूँह-47

जनवरी २०२२ मे कुल ४ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे अभिलाष ठाकुरक १ टा भक्ति गजल, आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल एवं १ टा अपने एना अपने मूँहक प्रस्तुति अछि।

फरवरी २०२२ मे कुल २ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल एवं १ टा आलोचना अछि।

मार्च २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक ३ टा गजल अछि।

अप्रैल २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

मइ २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा भक्ति गजल अछि।

जून २०२२ मे एकौटा रचना नहि अछि।

जुलाइ २०२२ मे कुल २ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल अछि।

अगस्त २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल, १ टा आलोचना अछि। जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक १ टा समीक्षा आशीष अनचिन्हार द्वारा प्रस्तुत भेल अछि।

सितम्बर २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

अक्टूबर २०२२ मे कुल १ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हार १ टा आलोचना अछि।

नवम्बर २०२२ मे कुल ३ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे जगदानंद मनु जी केर १ टा रुबाइ एवं आशीष अनचिन्हार २ टा गजल अछि।

दिसम्बर २०२२ मे कुल ७ टा रचना प्रस्तुत भेल जाहिमे जगदानंद झा मनु जी केर ४ टा रुबाइ आ २ टा गजल अछि। १ टा अपने एना अपने मूँह अछि।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

रुबाइ

नेह पजाड़ल अहाँक धधैक रहल अछि

एसगर करेज हमर तड़ैप रहल अछि 

कोन लगने अहाँसँ  मनु नेह लगेलौं

प्रेमक गरमीसँ देह बरैक रहल अछि

© जगदानन्द झा ‘मनु’

 

 

रविवार, 25 दिसंबर 2022

रुबाइ

घुमि अहाँ कनखीसँ कनि जे ताकि देलहुँ 

अपन तन मन एहि पर हम हारि देलहुँ

आब नहि बैकुंठकेँ रहि गेल इच्छा 

‘मनु’ अहाँके लेल सगरो बारि देलहुँ 

© जगदानन्द झा ‘मनु’

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

रुबाइ

धाब जे अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ

 सबटा दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ  

मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी

अहाँक खुशी लेल नोरकेँ पी गेलहुँ 

© जगदानन्द झा ‘मनु’

 

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

गजल

जखन सगरो दर्द भेटल 

अपन सीलौं ठोर रेतल 

 

द’बल अपने हाथ गरदनि 

तखन के ई नोर मेटल 

 

घरक बन्हन छोरि दुनिया

सटल जतए नोट गेटल 

 

भरोसा करु आब कोना 

लखन भेषे चोर फेटल 

 

दहेजक ‘मनु’ चारिचक्का  

बियाहक पहिनेसँ सेटल 

(बहरे मजरिअ, मात्राक्रम 1222-2122)

जगदानन्द झा ‘मनु’

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों