मंगलवार, 30 जुलाई 2013

गजल

भरल साओनमें नहि सताउ सजनी
किया छी दूर, लग आबिजाउ सजनी

बरसि रहलै गरजि मेघ अंगनामें
अहाँ सेहो हमर संगमें भीजऽ आउ सजनी

पहिरके वस्त्र हरिअर शरीरमें प्रिय
हरितके संग सावन मनाउ सजनी

पियासल मोनमें, जरल एहि तनमें
ठरल नेहक अपेक्षा जगाउ सजनी

अहाँ छी हमर, हम बलम छी अहाँकें
हियामें रुप हमरे सजाउ सजनी

मिलनके आश पूरा कऽ लिअऽ प्रियतमसँ
मधुर मिलनक समय नहि लजाउ सजनी

अपन जानिकऽ अहाँ कुन्दनक हियापर
हँसीके तीर ठोरसँ चलाउ सजनी

१२२ २१२ २१२ १२२

© कुन्दन कुमार कर्ण
www.facebook.com/kundan.karna

सोमवार, 29 जुलाई 2013

गजल



ओकर हाथसँ छूल अछि देह
सदिखन गम गम फूल अछि देह

प्रेमक उच्चासन मिलन छैक
दू टा घाटक पूल अछि देह

कोना चलि सकतै गुजर आब
देहक तँ प्रतिकूल अछि देह

गेन्दा सिंगरहार छै मोन
चम्पा ओ अड़हूल अछि देह

ऐठाँ अनचिन्हार चिन्हार
सभ देहक समतूल अछि देह



मात्रा क्रम-222-2212-21 हरेक पाँतिमे

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

गजल

ठण्डा गरम एक रङ्ग प्रेम भेने
सभहँक बदलि जाइ ढ़ङ्ग प्रेम भेने

दुनियाँ तँ दुनियाँ मुदा देखू चरित्तर
मोनो अपन करत तङ्ग प्रेम भेने

केओ चलत भिन्न सदिखन भाइ तैओ
लगबे करत सभ तँ सङ्ग प्रेम भेने

हमरा तँ भेटल मुदा ओ देखलक नै
प्राणी होइत अछि अपङ्ग प्रेम भेने



कमसँ कम पाँच टा शेर हेबाक चाही.. मुदा अगिला शेर निकलि नै रहल अछि

गजलकार परिचय शृखंला भाग-39




कुन्दन कुमार कर्ण:


जहाँ धरि हमर जानकारी अछि कुंदन कुमार कर्ण नेपालक पहिल शाइर छथि जे की अरबी बहरमे गजल कहि रहल छथि। ( संपादक -अनचिन्हार आखर )



नाम : कुन्दन कुमार कर्ण
पिता : श्री शुशिल लाल कर्ण
माता : भारती कर्ण
जन्मतिथि : 23 Dec, 1988
जन्मस्थान : गा.वि.स. जमुनीमधेपुरा, वार्ड नं.-8, पोस्ट : राजविराज, जिला- सप्तरी, नेपाल
मूल वृति : नेपाल सरकारक नोकरीहारा (गृह-मन्त्रालय अन्तर्गत)
शिक्षा :
स्नातक (ब्यवस्थापन) : त्रिभुवन विश्वविद्यालय, श्री महेन्द्र बिन्देश्वरी बहुमुखी क्याम्पस, राजविराज
स्नातकोत्तर (ब्यवस्थापन) : र्इन्दिरा गान्धी खुला विश्वविद्यालय, नव दिल्ली (अध्ययनरत)
रूचिकs क्षेत्र : साहित्य, गीत, संगीत, अध्ययन, उदघोषण



हिनक किछु शब्दह हिनकहि शब्दमे---

हम एकटा सामान्य मध्यम वर्ग परिवारसँ छी । परिवारमें बाबू जी आ माय सहित हमरासँ छोट दू भाइ छैक । कनियेटासँ साहित्य, गीत, संगीतमें हमर रूचि रहि आएल छैक । हमर पहिल मैथिली कविता 'अभिनव' नामक मैथिली साहित्यिक द्वैमासिक पत्रिकामें अक्टुबर, 2003 में प्रकाशित भेलए । हम मैथिली गजल 2005 सँ लिखकें प्रारम्भ केलौं मुदा आधिकारिक रूपसँ पहिलबेर नेपालक पहिल पत्रिका(सरकारी पत्रिका) 'गोरखापत्र'में 18 सितम्बर, 2012 में प्रकाशित भेलए । अभिनयकें क्रममें मैथिली कवि परिषद, राजविराजद्वारा सञ्चालित एकटा कार्यक्रम अन्तर्गत नेपालक सात जिला : मोरंग, सुनसरी, सप्तरी, सिराहा, धनुषा, महोत्तरी आ सर्लाहीकs विभिन्न ठाममें सडक नाटकमें सहभागी भs अभिनय केलौं । वर्तमान समयमें कार्यव्यस्तता रहितौ समय निकालिकs गजल रचना करैत छी । मैथिली गजलकें लोप्रियताके लेल गजलप्रित पूर्ण रूपेन समर्पित फेसबुकपर मैथिली गजल एवं शेर-ओ-शायरी सम्बन्धि 'मैथिली गजल भंडार' नामक एकटा समूह आ ओहि नामसँ एकटा पेज संचालनकs मैथिली गजलसँ सम्बन्धित विभिन्न काममें लागल रहैत छी । एहि क्रममें फेसबुकपर आशिष अनचिन्हार जीसँ भेट भेलए । ओ हमरा अनचिन्हार आखरसँ जोडलखिन जाहिसँ हमरा गजल रचना सम्बन्धी आर ज्ञान भेटलए तेँ हम हुनक आभारी छी । संगे आशिष जीसँ जानकारी भेटल जे अरबी बहरमें गजल रचना कयनिहार हम नेपाल पहिल मैथिल गजलकार छी । र्इ सुनिकs हम बहुत खुशी भेलौं आ गजल रचना करs लेल हमरा एकटा नव उमंग आ उत्प्रेरणाके प्राप्ति भेलए ।

बुधवार, 3 जुलाई 2013

गजल

२१२ ११२१२ १२२२

दर्द हियक अहांसँ कहब हम कोना
चोट नेहसँ भरल सहब हम कोना

छोडि असगर जखन दूर रहबै प्रिय
भावमें बिन मिलन बहब हम कोना

ठोरपर चमकैत नव हँसिक मोती
दूर रहिक अहांसँ गहब हम कोना

संग जे नहि देबए अहाँ हमरा
आगु जीवनमें बरहब हम कोना

कहि रहल अछि गजलमें हियसँ 'कुन्दन'
बिन अहाँ प्रिय आब रहब हम कोना

© कुन्दन कुमार कर्ण
www.facebook.com/kundan.karna

सोमवार, 1 जुलाई 2013

गजलकार परिचय शृखंला भाग-38

पंकज चौधरी "नवलश्री"

प्रस्तुत अछि हिनक परिचय हिनकहि शब्दमे---

माएक नाउ : श्रीमती वन्दना देवी [गृहणी]
बाबूजीक नाउ : श्री भागेश्वर चौधरी [लोक स्वास्थ्य अभियंत्रणा विभाग (बिहार सरकार)मे कार्यरत]
जीवनसंगिनी : मनीषा चौधरी [स्नातक (प्रतिष्ठा), बी.एड.]
जन्मतिथि : 11-09-1980
जन्मस्थान : राजनगर (मधुबनी,  मिथिला)
निवासी : गाम एवं पत्रालय- सुगौना (चौधरी पट्टी)
प्रखण्ड - राजनगर,
जिला-मधुबनी, मिथिला

शिक्षा :
प्रारंभिक  : सेंट एंड्र्यूज स्कूल, भागलपुरसँ
माध्यमिक  : अनूप उच्च विद्यालय, भटसिमरीसँ
अंतर-स्नातक : यू पी वर्मा महाविद्यालय, मुंगेरसँ (विज्ञान विषयक संग)
स्नातक : रामकृष्ण महाविद्यालय, मधुबनीसँ (वाणिज्य विषयमे प्रतिष्ठा)

सम्प्रति आइ. सी. ए. आइ. (नव दिल्लीसँ) सी. ए. (फाइनल) आ आइ. सी. एस. आइ. (नव दिल्लीसँ) सी. एस. (फाइनल)मे अध्ययनरत। संगहिं एकटा निजी कम्पनीमे प्रबंधक (वित्त एवं कर) पदपर कार्यरत।        

रुचि : 
साहित्यिक गतिविधि, संगीत, अध्ययन-अध्यापन

साहित्यक क्षेत्रमे पहिल डेग :

पारिवारिक पृष्ठभूमिमे साहित्य कतहु नै छल। अंतर-स्नातक विज्ञानसँ आ स्नातक वाणिज्यसँ रहल मुदा तइयो साहित्य आ संगीत प्रति अनुराग सभदिन बनल रहल। चिट्ठी लिखबाक स'ख शुरुएसँ रहल। चिट्ठी सभके आकर्षक बनेबाक उद्देश्ये ओहिमे तुकबन्दीक किछु पांति सभ सेहो जोड़य लगलहुँ। आरम्भमे कविता, शायरी, कथा आ गीत प्रति प्रमुख आकर्षण रहल। अन्तर-स्नातकमे रही त' पहिल (हिन्दी भाषामे) कविता लिखने रही। तदुपरान्त निरंतर किछु-किछु लिखबाक प्रयास करैत रहलहुँ। कॉपीक आगाँक पन्ना दिससँ शैक्षणिक आ पाछाँ दिससँ साहित्यिक गतिविधि निरंतर चलैत रहल। ओहि समयावधिमे भरिसके कोनो एहन कॉपी छल होएत जाहिमे पाछाँ दिससँ किछु पन्ना पर तुकबन्दीक मोसि नहि टघरेने होए।

मैथिलीमे रचनाक आरम्भ :

आरंभिक शिक्षा भागलपुरसँ भेल मुदा घ'रक वातावरण सभदिन मैथिलीमयी रहल। धिया-पुतामे मैथिली-संस्कारक संचरण होइत रहए, एहि कारणें माए-बाबूजी शहरमे रहितो परिवारमे संवादक माध्यम मैथिलीए बनने रहलनि। नेनपनेसँ मैथिली प्रति हमरा बड्ड स्नेह रहल मुदा अंतर-स्नातक पूरा होए धरि रचनाक मादे मैथिलीमे किछु विशेष नै केलहुँ। स्नातक-अवधिमे मैथिली प्रति प्रेम जागल। आ से एना जागल जे हिन्दीमे लिखब बन्न भ' गेल। वर्ष 2001मे पहिल मैथिली कविता "माए मैथिली छथि आह्वान करैत" लिखलहुँ जे वर्ष 2012मे “मिथिमीडिया” आ “मैथिली दर्पण”सँ प्रकाशित सेहो भेल।

गजलकार रूपमे स्थान आ सामान :

वर्ष 2012 हमर लेखनी लेल विशिष्ट रहल। वर्षारंभमे मुखपोथीसँ जुड़लहुँ। मार्चमे आदरणीय गजेन्द्र ठाकुरजी जहन "विदेह" समूहसँ जोड़लन्हि त' साहित्यक कएक टा अमूल्य रत्न सभसँ भेंट भेल। तदुपरान्त आशीष अनचिन्हार जी "अनचिन्हार आखर"सँ जुड़बा लेल हकारलन्हि। ओना त' रचना हम मुखपोथी, विदेह आ अनचिन्हार आखरसँ जुड़बासँ पहिलेहो करैत रही मुदा जँ "गजलकार" रूपमे हमरा स्थान आ सम्मान भेटल अछि त'  श्रेय हम निःसंकोच "विदेह" आ "अनचिन्हार आखर"कें देब। अनचिन्हार आखर  आ आशीष अनचिन्हारजीसँ गजलक मादे बहुत किछु सिखबाक-बुझबाक लेल भेटल। विशेष क' गजलक व्याकरण पक्षमे। मार्च 2012सँ  निरन्तर लिखैत रहलहुँ आ पाठकवर्गसँ सुझाव आ सहयोगक अपेक्षे "मुखपोथी" आ "अनचिन्हार आखर"पर परसैत रहलहुँ। रचनाकार आ पाठक लोकनिक अपूर्व सहयोग आ समर्थन भेटल। प्रोत्साहनसँ आर मेहनति करबाक लेल मनोबल भेटैत रहल।

विदेह आ अनचिन्हार आखरसँ जुड़लाक एक्के मास बाद अनचिन्हार आखर द्वारा प्रायोजित “गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" (बाल-गजल श्रेणी) सम्मानक पहिल चरण (मास अप्रैल 2012) लेल हमर एकटा बाल-गजल चयनित भेल। तदुपरान्त मास दिसंबर 2012 (पहिल चरण) लेल हमर एकटा गजल सेहो चुनल गेल। वर्ष-2012 लेल "गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" (गजल श्रेणीमे) सम्मान सेहो भेटल। मुख्य चयनकर्ता श्री जगदीश चन्द्र ठाकुर "अनिल" जीक प्रोत्साहन आ आशीष भेटल। संगहि एहि सम्मानक बाल-गजल श्रेणीमे श्रीमती प्रीती ठाकुरजी हमर बाल-गजलकें सराहलन्हि आ एकरा "तेसर स्थान"पर रखलन्हि।    

"विदेह" आ "अनचिन्हार आखरसँ" जुडलाक बाद पहिने "सरल-वार्णिक बहर" आ तदुपरांत "अरबी बहर"मे सेहो बहुत रास गजल कहलहुँ। आइ धरि लगभग सवा-सए गजल (गजल, बाल-गजल, भक्ति-गजल आ हजल मिला कँ) कहि चुकल छी आ लगभग 10-12 टा गजलकें पूर्ण रूप देब शेष अछि। एहि पाछाँ हमर मेहनति जे हो मुदा साहित्यिक संगी आ मार्गदर्शक लोकनिक सहयोग आ सुझाव सेहो महत्वपूर्ण अछि। एहि सहयोगक बिना एतेक आगाँ बढ़ब सहज नै।  

रचनाक प्रकाशन/प्रसारण/संकलन :
गजलक अलावा कविता, गीत, कथा, आलेख, रुबाई, हाइकू आदि सेहो लिखैत रहलहुँ अछि मुदा रचनामे गजलक बहुलता रहल अछि। मुखपोथीक अलावा बहुत रास गजल, कविता, गीत, कथा, आलेख पत्र-पत्रिका (विदेह-इ पत्रिका, मिथिमीडिया, श्री-मिथिला, मैथिली दर्पण, मिथिलांचल-टुडे, स्मारिका आदि)मे  सेहो छपैत रहल अछि। अगस्त 2012मे हमर एकटा हजल "हौ दैव किएक विआह केलहुँ …" जनकपुर (नेपाल) एफ.एम. (रेडियो)सँ प्रसारित सेहो भेल। कार्यक्रमक संचालक आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक बड्ड प्रोत्साहन भेटल। आदरणीय "तारानन्द वियोगी" जीक सुझाव आ भाइ "रौशन चौधरी" जीक सहयोगसँ अपन रचना सभके एकठाम समेटबा आ सरियेबाक उद्देश्यसँ नवम्बर 2012मे  "www.aanjur.in"नाउसँ एकगोट जालवृत सेहो बनवेलहुँ। जालवृतक माध्यमे सेहो बहुत रास प्रोत्साहन भेटल।

धन्यवाद ज्ञापन :
साहित्य आ संस्कार दुनु क्षेत्रमे हमर जे अर्जन अछि तकर पूर्ण श्रेय हम अपन माए-बाबूजी-भाए-बहिनकें देबए चाहब। संगहि गुरु श्री मुनीन्द्र नाथ मिश्र आ श्री जीवेश्वर चौधरी सदिखन पथप्रदर्शक रूपमे आशीष दैत रहलनि अछि। साहित्यिक बाटमे सेहो किछु एहन सखा आ मार्गदर्शक (गजेन्द्र ठाकुर, आशीष अनचिन्हार, चन्दन झा, राजीव रंजन मिश्र, अमित मिश्र, मनु भाइ, ओम प्रकाश झा, मिहिर झा, गुंजनश्री, आदि) सभ भेटलन्हि जनिका बिनु सभ बेमानी, सभकिछु सुन्ना। ऋणी छी पाठक लोकनिक जे अपन व्यस्त जीवन-शैलीसँ समय निकालि हमर रचना सभ पढ़लनि आ समुचित प्रोत्साहन आ मार्गदर्शन केलन्हि। संगहि आभार ओहि सभ व्यक्ति/संस्था प्रति जे हमर रचना सभके प्रकाशन/प्रसारण योग्य बुझलन्हि।





तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों