बुधवार, 28 नवंबर 2012

गजल

जखन खगता सभसँ बेसी तखन ओ मुँह मोड़ि लेलनि
जानि आफत छोरि हमरा सुखसँ नाता जोड़ि लेलनि

देखि चकमक रंग सभतरि ओहिमे बहि ओ तँ गेली
जानि खखड़ी ओ हमर हँसिते करेजा कोड़ि लेलनि

बन्द केने हम मनोरथ अप्पन सदिखन चूप रहलहुँ
पाञ्च बरखे आबि देख फेर सपना तोड़ि लेलनि

दुखसँ अप्पन अधिक दोसरकेँ सुखक चिन्ता कएने
आँखि जे फूटै दुनू तैँ एक अप्पन फोड़ि लेलनि

चलक सप्पत संग लेलौं जीवनक जतराक पथपर
मेघ दुखकेँ देखते ओ संग  ‘मनु’केँ छोड़ि लेलनि

(बहरे रमल, मात्राक्रम- २१२२  चारि-चारि बेर सभ पांतिमे) 

@ जगदानन्द झा ‘मनु’

मंगलवार, 27 नवंबर 2012

गजल

गजल

आइ हमर मोन बड्ड खनहन अछि
ककरोसँ हमरा तँ नै अनबन अछि

तरुआ तरकारी आ पापड बनि गेल
देखूँ चूल्हा पर भातो ले अदहन अछि

आसिन एलै बजरखसुआँ गर्मी गेलै
ठंढा ठंढा पुरबा बहै सनसन अछि


फेर दुर्गा मेला हेतै नाच आ लीला हेतै
देखूँ खुदरा पैसा बाजै झनझन अछि

घर परिवार मे तिहार के दिन एलै
अंगना मे चलैत नेना ढ़नमन अछि

कनिये दिनके तँ छै ई पावैनक मजा
कातिकक बाद तँ ऊहे अगहन अछि

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 15
€€बाल मुकुंद पाठक

गजल

गजल

अहाँ बैसला पर कि पाएब एतौ
रहब काजके बिन कि खाएब एतौ
कतोऽ दुख कतोऽ सुख लिखल अछि तँ सबटा
कियै हाथ कर्मसँ हटाएब एतौ

हयौ दोष आ गुणतँ हाएत सभँमेँ
बिना गलत हम नै पराएब एतौ

अहाँ बिसरि अप्पन पुरनका बबंडर
चलूँ नव विचारसँ नहाएब एतौ

कहल केकरो मानबै बात नै जौँ
तँ भूखल अहाँ मरि कनाएब एतौ

बहरे-मुतकारिब ।फऊलुन(मने122)चारि बेर।
~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ बाल मुकुन्द पाठक ।।

गजल

गजल

अहाँ हमरा बिसरि रहलौँ
वियोगे हम तँ मरि रहलौँ
घुसिकँ कोनाकँ देहेमेँ
अहाँ हमरा पसरि रहलौँ

बिसरऽ ई लाख चाही हम
बनिकऽ लस्सा लसरि रहलौँ

कियै केलौँ अहाँ ऐना
करेजसँ नै ससरि रहलौँ

छुटल घर आ अहूँ छुटलौँ
दुखेँ हम आब मरि रहलौँ

बहरे -हजज ।
'मफाईलुन' (मने 1222) दू बेर ।
~ ~ ~ ~ ~ बाल मुकुन्द पाठक ।।

गजल

बाल गजल

मेला चलब हमहुँ कक्का यौ
पहिरब आइ सूट पक्का यौ

खेबै जिलेबी आ झूलब झूला
संगे संग किनब फटक्का यौ

बैट किनब क्रिकेट खेलै ले
आबि कऽ खूब मारब छक्का यौ


साझेसँ अखारामे कुश्ती हेतै
पहलवानोँ तँ छै लडक्का यौ

अन्तिम बेर छी एतौ हम तँ
जाएब बाबू लऽग फरक्का यौ

कोरा मे कने लिअ ने हमरा
ई भीड़ मेँ मारि देत धक्का यौ

चलू ने जल्दी किनै ले जिलेबी
नै तँ उड़ि जाएत छोहक्का यौ

बाबूओसँ बेसी अहीँ मानै छी
छी बड्ड नीक हमर कक्का यौ

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11
~ ~बाल मुकुन्द पाठक ।।

गजल

गजल

आँखिसँ खसैत नोर रुकत की नै
नोरक सरस आबो सुखत की नै
सुखिकऽ ठोर आब गेल अछि फाटि
फाटल ठोर फेरोसँ जुटत की नै

बेकल जिनगी भरि गेल दर्दसँ
करेजक बेकलता मेटत की नै

आँखिक पलक फूलि गेल कानि कऽ
बंद भेल आँखि फेरो खुजत की नै

जीबाक चाह तँ हटि गेल मोनसँ
मरलोऽ पर दुख ई छुटत की नै

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 13
...............बाल मुकुंद पाठक ।।

गजल

बाल गजल

हाएत दिवाली जड़तै दीप
आँगने आँगन बड़तै दीप
घर दुआरि आँगन सँभमेँ
डेगे डेऽग पर जड़तै दीप

अन्हार रातिमेँ इजोत दैले
मोमबत्ती संगे लड़तै दीप

हम सब खेलब हुक्का पाती
लेसै लेल काज पड़तै दीप

चुक्का डिबिया सबसँ मिलके
गाम प्रकाशसँ भरतै दीप

करै लेल घरकँ द्वारपाली
अन्हार रातिसँ लड़तै दीप

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11.
.................................................
..............बाल मुकुंद पाठक ।।

सोमवार, 26 नवंबर 2012

गजल


किए तीर नजरिसँ अहाँकेँ चलैए 
हँसी ई तँ घाएल हमरा करैए 

मधुर बाजि खन-खन पएरक पजनियाँ 
हमर मोन रहि रहि कए डोलबैए   

छ्लकए हबामे अहाँकेँ खुजल लट 
कतेको तँ  दाँतेसँ   आङुर कटैए

ससरि जे जए जखन आँचर अहाँकेँ 
जिला भरि  करेजाक धड़कन रुकैए 

अहीँकेँ तँ मुँह देखि जीबैत 'मनु' अछि 
बिना संग नै साँस मिसियो चलैए 

(बहरे - मुतकारिब, मात्राक्रम -122-122-122-122)
जगदानन्द झा 'मनु' 

शनिवार, 24 नवंबर 2012

रुबाइ

मैथिली साहित्यक आँच सुनगैत अछि 
सगरो नव विधाक ज्वला पजरैत अछि 
कोटी नमन जिनकर बिछल जारैन अछि 
विदेहक बारल आगि 'मनु' लहकैत अछि 

सोमवार, 19 नवंबर 2012

गजल


जेना जेना राति बीतल जाइए 
तेना तेना देह धीपल जाइए 

जुल्मी संगे संग रहितो हे सखी 
नहिए हुनकर मोन जीतल जाइए 

योवनमे पुरबा बसातक जोड़ छै 
साबरिया बिनु नै त' जीबल जाइए    

डूबल निनमे सगर दुनिया छै जखन 
बीया प्रेमक एत' छीटल जाइए 

भोरे उठिते प्रेम बोरल 'मनु' छलौं 
लाजे मरि मुह आब तीतल जाइए  

(मात्राक्रम -222-2212-2212)
जगदानन्द झा 'मनु' 

मंगलवार, 13 नवंबर 2012

गजल


चलै चुनमुन चलै गुनगुन तमासा घुमि कए आबी
जिलेबी ओतए छानैत तोहर भेटतौ बाबी

पढ़ैकेँ छुटल झंझट भेल इसकूलक शुरू छुट्टी
दसो दिन राति मेला घुमि कए नव वस्तु सभ पाबी

करीया बनरिया कुदि कुदि कए 
ढोलक बजाबै छै
चलै चल ओकरा संगे हमहुँ नेन्ना कनी गाबी

बनल मेनजन अछि बकड़ी पबति बैसल अचारे छै
बरद सन बौक दिनभरि चूप्प रहए पहिरने जाबी  

बुझलकौ आब तोरो होसयारी 'मनु' तँ बुढ़िया गै
लगोने ध्यान वक कतएसँ सम्पति नीकगर दाबी   

(बहरे हजज, 1222 चारि-चारि बेर सभ पांतिमे)


जगदानन्द झा 'मनु' 

शनिवार, 10 नवंबर 2012

गजल

तेल बिनु जेना निशठ टेमी धएने
बिनु पिया जीवन बितत कोना अएने

बरख बरखसँ हम तुसारी पूजने छी
बुझब की सुख साँझ पाबनि बिनु कएने

छै धिया सुख की बुझब कोना धिया बिनु
भ्रूण हत्यारा बुझत की बिनु पएने

मोल जीवनमे हमर बाबूक की अछि
मोन बुझलक छन्नमे हुनका गएने

रंग बदलति देखलौं  सभकेँ हँसीमे

देखि 'मनु' दुनियाँक रहलौं मुँह बएने

(बहरे रमल, २१२२-२१२२-२१२२)    
जगदानन्द झा 'मनु'

शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक ( बाल गजलक लेल ) पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास अक्टूबर लेल )


हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक ( बाल गजलक लेल ) पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास अक्टूबर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास अक्टूबर  लेल  विनीत उत्पल  जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ। 






बाल गजल


नेनामे जखन कानैत रही तों चुप हमरा कराबैत रही
हम नहि मानैत रही तँ तों प्रेमसँ हमरा खुआबैत रही

तोहर आँचर छल ई दुनिया नहि हम किछु जानैत रही
मन दब रहलापर हमरा लोरी गाबि क' सुताबैत रही

पहर धरि काज केलाके बाद तों दम साधिके सुतैत रही
हमर टुहैक कानब सँ भरि-भरि राति माय जागैत रही

लोकक उपराग सुनिके बादो नै कखनो तमसाबैत रही
अपना नहि पीबि के ओ दूध हमरा जरूर पियाबैत रही

जन्मैत संगे देखै छी मायके पहिने, ठाढ़ कियो ओतय रही
आंखिमे भरल नोरक संग उत्पलके देखि मुस्काबैत रही

 सरल वार्णिक बहर वर्ण -23 

मास अक्टूबर 2012क लेल गजल सम्मान योजनाक पहिल चरण


हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास अक्टूबर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास  अक्टूबर  लेल ओमप्रकाश  जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।


गजल


आँखिसँ नोर खसाबै छी किया एना
मोती अपन लुटाबै छी किया एना

खाली बातसँ भेंटत नै किछो एतय
तखनो बात बनाबै छी किया एना

सुनि बेथा तँ मजा लेबे करत दुनिया
बेथा अपन सुनाबै छी किया एना

अपने सीबऽ पडत फाटल करेजा ई
अनकर आस लगाबै छी किया एना

अमृतक घाट तकै छी बिखक पोखरिमे
अचरज "ओम" कराबै छी किया एना

(दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ)
(मफऊलातु-मफाईलुन-मफाईलुन)- १ बेर प्रत्येक पाँतिमे

-- 

गुरुवार, 8 नवंबर 2012

विश्वविद्यालय लेल गजल सिलेबसक प्रारूप

प्रस्तुत अछि एकटा सिलेबसक प्रारूप जे की गजल लेल अछि। ऐ सिलेबसक प्रारूपकेँ कोनो विश्वविद्यालय लए सकैत छथि। तँ गजलक ई सिलेबस दू खण्डमे अछि------

खण्ड ---- क
1) गजलक इतिहास---------------- उत्पत्ति, विकास, अरबसँ फारस आ भारतक यात्रा ( भारतमे केवल उर्दू मने अरबीसँ फारसी, फारसीसँ उर्दू आ उर्दूसँ मैथिली)
2) मैथिली आ उर्दूक माँझ समानता एवं असमानता----- भाषिक, स्थानिक, आर्थिक, राजनैतिक आ धार्मिक दृष्टिकोणसँ।
3) 1900 इ.मे मैथिली गजल लेल उत्प्रेरक तत्व ( भारत आ नेपाल दूनू मिला कऽ)
4) मैथिली गजलक इतिहास----- उत्पत्ति, विकास, मैथिली गजलक अवरोधक तत्व ( भारत आ नेपाल दूनू मिला कऽ)
5) गजलक व्याकरण----- गजलक परिभाषा, गजलक प्रकार, गजलक गुण ओ दोष, शेर, शेरक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, रदीफ, रदीफक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, काफिया, काफियाक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, काफिया सम्बन्धी नियम ( मैथिली भाषानुसार), बहर, बहरक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष,गजलक अलावा शेरो शाइरीक आन विधा इत्यादि-इत्यादि।
6) अनचिन्हार आखर आ मैथिली गजल
7) मैथिली गजलक काल निर्धारण ( जीवन युग एवं अनचिन्हार युग)
8) मैथिलीमे बाल गजल
9) मैथिलीमे भक्ति गजल

खण्ड ---ख

ऐ खण्डमे हिनकर सभहँक बेसीसँ बेसी दू-दूटा गजल पढ़ाओल जाए----
1) पं. जीवन झा, 2) यदुनाथ झा " यदुवर ", 3) कविवर सीताराम झा, 4) काशीकान्त मिश्र ( मधुप), 5) आनंद झा न्यायाचार्य, 6) योगानंद हीरा, 7) विजयनाथ झा, 8) गजेन्द्र ठाकुर, 9) ओमप्रकाश आ 10), जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल 11) श्रीमती शांतिलक्ष्मी चौधरी 12) राजीव रंजन मिश्र 13) पंकज चौधरी नवल श्री 14) अमित मिश्र
हमरा हिसाबें जँ कोनो विश्वविद्यालयक पहिल सत्रमे मने पहिल सालमे पहिल खण्ड मने ( क ) रहए आ दोसर सत्र मने दोसर सालमे दोसर खण्ड मने ( ख ) रहए।

ई छल एकटा गजलक उपर सिलेबसक प्रारूप। जिनका कोनो सुझाव देबाक छनि से देथु हुनकर स्वागत छनि।

बुधवार, 7 नवंबर 2012

गजल


करेजक बात नै कहियो बनल एतय
कियो सुनलक कहाँ मोनक कहल एतय

सुखायल गाछकेँ पटबैसँ की हेतै
फरत कोना जखन गाछे जरल एतय

हँसी कीनैत रहलौं सदिखने ऐठाँ
लए छी हम नुका आत्मा मरल एतय

लिखलकै भाग्य बिधि सबहक अलग कलमसँ
कपारक गप कियो नै पढि सकल एतय

गडै पर शूल "ओम"क आह नै निकलै
भऽ गेलौं सुन्न काँटे टा गडल एतय
बहरे-हजज
मफाईलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) - ३ बेर प्रत्येक पाँतिमे

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

आखिर १०८ बर्खक इतिहासक बाबजूदो मैथिली गजल पाठ्यक्रममे किएक नै आबि सकल भाग-2



सभसँ पहिने हमरा द्वारा फेसबुकपर 1 मार्च 2012 केँ गजल मैथिली भाषा साहित्य पाठ्यक्रममे किएक नै अछि ताहिपर नोट लिखल गेल ( भूतमे भ' सकैए जे केओ गजलकार एहन काज केने होथि मुदा ओकर सूचना नै अछि आ ने हुनक एहन काज केर कोनो चर्च भेल तँए आधिकारिक रूपसँ अनचिन्हार आखर आ विदेहकेँ ऐ प्रकियामे पहिल मानल जा सकैए) ई नोट आ ऐपर आएल टिप्पणी एना अछि-----


पाठ्यक्रम आ गजल

by Ashish Anchinhar on Thursday, 1 March 2012 at 18:03 ·

किछु अकाल प्रश्न---------


आखिर १०८ बर्खक इतिहासक बाबजूदो मैथिली गजल पाठ्यक्रममे किएक नै आबि सकल ?

एहि पाँछा कोन तर्क छै की मैथिलीमे गजलक कमी छलै या ओकर गुणवत्ता वा की रचना शामिल करए बलाक दृष्टिदोष ?

गजल कोना पाठ्यक्रममे आबि सकत ?

जँ किछु कविता वा किछु कथा आबि सकैए तँ किछु गजल किएक नै ?

की जँ सिलेबसमे गजल नै अछि ताहि लेल आंदोलन कए जाए ?


जनता जानर्दन सहित बुद्दिजीवी वर्गक प्रतिक्रिया अपेक्षित अछि।इ प्रश्न सभ जतबे भारतक मैथिली लेल अछि ततबे नेपालक लेल सेहो।
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  • Jan Anand Mishra Maithilime gazal ayatit buijh parait chhal, ehi bichme kichh prayas bhel aichh ekar Maithilikaranak, jena aiye ahak ekta gazal, jaime "jare"k prayog chhal. Humra bujhne Mithilak maitse upjal gazalak sankhya & gunvattame briddhiksang ekar swikriti swabhavikrupe bh' jetaik. Takrabad pathyakramme seho ebame kono asuvidha nai rahataik. Ahak chintaklel dhanyavad !
  • दिनेश रसिया गजल
    दिनेश रसिया

    गाछ गाछ पर नवका पल्लब आउर साजल अछि मजर
    नव बर बधुके उमंगमे होएत अछि जेना कोहवर

    बीत बीत पर पसरल अछि होलीके बहार
    हमर पुर्णिमा जेहेन जीन्गी सजनी किया कईलौ अन्हार ।

    अहि स हम छी हमरा स आहा से कहैत छेलौ
    रौदीयो मे आहा हरियाउल घास जेना चमकैत छेलौ
    ह्मर छोट सन चोटमे मरहम लगबैत छेलौ
    र्दद होइत छल हमरा त आहा तडपैत छेलौ
    ई छल प्रेम या छल कोनो उपकार
    हमर पुर्णिमा जेहेन जीन्गी सजनी किया कईलौ अन्हार ।

    हेलीके रंग खुनक धार बईन गेल
    समद दहनमे प्रेमक चिता जइल गेल
    भेल नै कहियो दुनु प्रेमीके मेल
    धडकनमे जलल छल जुदाईके आईग
    तखने बुताव ले गेल डाइल करुवा तेल
    हमर पुर्णिमा जेहेन जीन्गी सजनी किया कईलौ अन्हार ।
  • Maithili Singer Parivar अपार हर्ष के संग सूचित कई रहल छि '',, जे अखिल भारतीय मैथिलि सेवा संस्थान,,'' लगातार ४५ वर्ष स मैथिलि / मिथिलाक विकाश के लेल कार्य रत अछि .!!
    ओही क्रम में पुनः आगाँ बढाबैत'' होली मिलन समारोह " ४ मार्च रेब दिन ३ बजे दिन सा ७ बजे साँझ धरी .!! कार्यक्र
    म स्थल ........--.पुरानी सीमा पूरी / .छठी मन सरोवर घाट / सटले~ कोमनिटी सेण्टर ...!! मैथिलिक सुपरिचित कलाकारक झुण्ड अपनेक मनोरंजनक लेल ,, आबी रहल छथि.!!



    निवेदक ;_विजय चन्द्र झा.



    अखिल भारतीय मैथिलि सेवा संस्थान.--देल्ही-
  • Prabhat Ray Bhatt Uyfm मैथिलि गजलक इतिहास पुरान होएतो एकर सम्वर्धन,विकाश और लोकप्रियता हासिल नहि भSसकल जेकर मुख्य कारन अछि मैथिलि भाषा पर हिंदी कय प्रभाव और नेपाल में नेपाली भाषा कय प्रभाव मुदा नेपाल में मैथिलि भाषा राष्ट्रिय भाषक मान्यता प्राप्त कSचुकल इ शुभ संकेत अछि तेहेतु भारत में सेहो मैथिलि भाषा कय राजकीय भाषा केर मान्यता सर्वप्रथम जरूरती अछि तदुपरांत मैथिलि गजल कय सेहो पाठ्यक्रम में समायोजन संभव अछि !
  • Maithili Singer Parivar Bahut sunder Vichar chhani anchinahar jeek,,Ahi Vicharak swagat jarur hevak chahi..!!......__.MAITHILI GAZAL..APAN MANYATA HASIL JARUR KARAT.!!
  • Ashish Anchinhar BHART ME SEHO MAITHILI RAJKIYA BHASHA CHAIK..
  • Pradeep Chaudhary Prayas hewak chahee
  • Kundan Kumar Karna Ashish Anchinhar जी अहाँके विचारसँ हम पूर्ण रूपेन सहमत छी ।
  • Gunjan Shree bilkul sahi baat chhaik


ठीक इएह नोट हम विदेहक फेसबुक वर्सनपर सेहो देने रही| तकरा बाद त्रिभुवन विश्वविद्यालय केर वर्तमान मैथिली विभागाध्यक्ष श्री परमेश्वर कापड़ि फेसबुकपर मैथिली केन्द्रिय विभाग केर नामसँ 17 September केँ एकटा पोस्ट देला जाहिमे ओ विश्वविद्यालय केर पाठ्यक्रममे फेर-बदल करबाक बेगरता जनेने रहथि। ताहिमे हम सहभागी होइत गजल लेल चर्च केलहुँ। ई पोस्ट आ ताहिपर टिप्पणी एना अछि------------




......................विचार एवं सुझाव आहवान......................
बदलल विश्व परिप्रेक्ष्य आ समकालीन सन्दर्भमे नेपाल एखन आन्दोलन आ परिवर्त्तनक सृजनात्मक संस्कृतिस

गुजरि रहल अछि । नव संरचना विकास आ सामाजिक-सांस्कृतिक रुपान्तरणक उद‌्वेगित क्रममे देखल जा रहल

अछि जे ज्ञान-विज्ञान आ शिक्षाक क्षेत्र एव‌ परिधि अति व्यापक आ विस्तारित भ रहल अछि । वैश्वीकरणक एहि

दौडमे संसार एखन माउसक क्लिकपर त्वराय चलि


 रहल अवस्थामे, बहुत स्वभाविक एवं अनिवार्य अछि जे

पठन-पाठन, अध्ययन-अनुसन्धानक क्षेत्र एव‌ं सन्दर्भ सेहो व्यापक पाबए । दक्ष जनशक्ति उत्पादन एहन क्रियात्मक


एवं गुणात्मक हुअए जे राष्ट्रिय-अन्तराष्ट्रिय बजारमे अपन योग्यता आ प्रतिभाके सार्थक सिद्ध कए सकए ।

सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्त्तनक एहि परिवर्त्तित परिप्रेक्ष्यमे, उच्च शिक्षाक पाठ्यक्रम तथा

शिक्षण-मूल्या‌कनमे अनिवार्य सान्दर्भिक परिवर्त्तन अपेक्षित अछि । मैथिली केन्द्रिय विभाग एहि सबटा


सत्य-तथ्यके अबगाहि, अकानि अपन पाठ्यक्रम आ शिक्षण-मूल्यांकनक विशिष्ट क्रमके वैज्ञानिक ढंगस' विश्व


बजारमुखी आ सृजनात्मक आवेगक बनएबाक पुनित क्रममे सेहो अछि । मिथिला-मैथिली प्रति, एकर सम्पूर्ण


विकास-निर्माण प्रति एहि ठामक सुधिजन, विद्वत‌्जन सदैव साकाँक्ष आ प्रतिवद्ध रहल अछि आ हमरा सबहक


हार्दिक इच्छा अछि जे नव निर्माणक क्रममे रहल मैथिली एम‍‌ ए प्रथम आ द्वितीय वर्षक पाठ्यक्रम तथा


शिक्षण-मूल्या‌कनमे की केहन परिवर्त्तन आ परिमार्झन कएल जा' सकैछ जकर स्वस्थ्य आ स्वच्छ आभास आ


प्रभाव सृजनात्मक रुपस' जनशक्ति उत्पादनमे अवश्य पडैक, तेहन सल्लाह, सुझाव एव‌ं विचार-प्रस्ताव सुधिजन


विद्वतजनस विनम्रतापूर्वक अपेक्षित अछि ।

पुरना पाठ्यक्रम, जकर परिमार्जन आ परिवर्त्तन अपेक्षित अछि से एहि तरहक अछि -
पाठ्यक्रम निर्माणमे परिवर्त्तन आ परिमार्जनक सल्लाह-सुझावक प्रस्ताव सब पक्षस' अपेक्षित अछिए, विभाग एवं

मैथिली विषय समिति चर्चा एवं जनसमर्थनके लेल चाहि रहल अछि जे पाठ्यक्रममे किछु पेपर आ विषय एहि


तरहे सेहो थपल जा सकैछ –

१‌‍‍‍‍. मैथिली साहित्यक इतिहास एवं लोकसाहित्य ६० आ ४० पूर्णांक
२. मैथिली पत्रकारिता
क. पत्रकारिताक सैद्धान्तिक पक्ष २५ पूर्णा‌क
ख. मैथिली पत्रकारिता ५० ,,
- इतिहास
- प्रि‌ट मिडिया
- इलेक्ट्रोनिक मिडिया आदि
ग. Informational Technology २५ ,,
३. नेपालक मैथिली साहित्यक आधुनिक काल १०० ,,
४. शोध प्रविधि
क. सैद्धान्तिक पक्ष ५० ,,
ख. प्रयोगात्मक क़५० ,,
५. आठ्म पत्र
कवि विशेष विद्यापति/चन्दा झा/यात्री/डा‍‍ धीरेन्द्र
विधा वा प्रवृति विशेष
६. साहित्य सन्दर्भ
साहित्य आ समाज
साहित्य, स‌ंस्कृति आ स‌ंस्कार
साहित्य आ राजनीति एवं सत्ता
साहित्य दर्शन आ मूल्यवोध
साहित्य एवं संचार
साहित्य एव‌ कला, विज्ञान
साहित्य एवं अर्थ, रोजगार
परम्परा एवं प्रयोग
आन्दोलन एव‌ परिवर्त्तन
वैश्वीकरण, आधुनिकीकरण आ नव निर्माणक परम्परा
आधुनिक आ उत्तरआधुनिकता
लोकजीवन पद्यति आ परम्परागत मूल्य-मान्यता
मानव अधिकार एवं मानवीयता
युवा, महिला आ दलित विमर्श
लोकगीत- संगीत
वेद,पुराण उपनिषद‌्

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  • हरिपति लाल कर्ण sab sa dukhad bat chhaik maithali bikash men ham maithile badhak chhi. prathmik tah men akhan tak mithilanchal men maithili adhyan adhyapan shuru nahi bharahal achhi.ahi san yi sidhya hoyat achhi je ham swam badhak chhi .apane ke bahut bahut shubhakamana .
  • Atuleshwar Jha भाषाक लेल भाषाक अध्ययन जरूरी छैक आ आधुनिक समयमे जे NLP पर काज सम्पूर्ण विश्वमे भए रहल अछि तैं हमरा विचार सं computinal lingustics k एकटा विशेष अध्याय जोड़बाक प्रयास कएल जाए ओना बाद बांकी अपनेक सोच सकारात्मक देखा रहल अछि, मुदा नवीन तखनि कहल जाएत जखनि अपने भाषाके तकनिकी सं जोड़्बैक । शुभकामना
  • Ram Udgar Kapar ह एकरा भाषाके तकनिकी सँ जोडबाक चाहि ।
  • Ashish Anchinhar सभ विधाकेँ पाठ्यक्रममे लिअ सङगे सङग आब समय आबि गेल अछि जे मैथिली गजलकेँ सहो उचित स्थान भेटै. बाल गजल सेहो अपन निखारपर अछि. हमरा उम्मेद अछि जे गजल ई स्थान जरूर पाएत.
  • Ashish Anchinhar सभ गजलकारसँ ई हमर अपील अछि जे स्वेच्छापूर्वक गजलक समर्थनमे एहिठाम टिप्पणी दए मैथिली विभागाध्यक्षकेँ धेआन खीचथि..
  • Ashish Anchinhar किछु अकाल प्रश्न---------

    आखिर १०८ बर्खक इतिहासक बाबजूदो मैथिली गजल पाठ्यक्रममे किएक नै आबि सकल ? एहि पाँछा कोन तर्क छै

    की मैथिलीमे गजलक कमी छलै या ओकर गुणवत्ता वा की रचना शामिल करए बलाक दृष्टिदोष ?


    गजल कोना पाठ्यक्रममे आबि सकत ?

    जँ किछु कविता वा किछु कथा आबि सकैए तँ किछु गजल किएक नै ?

    की जँ सिलेबसमे गजल नै अछि ताहि लेल आंदोलन कए जाए ?

    जनता जानर्दन सहित बुद्दिजीवी वर्गक प्रतिक्रिया अपेक्षित अछि।इ प्रश्न सभ जतबे भारतक मैथिली लेल अछि ततबे नेपालक लेल सेहो।.
  • Kundan Kumar Karna कविता, गीत, कथा, नाटक, एकांकीसँ बिलकुल पृथक साहित्यिक विधा छी गजल । मैथिली भाषा के भारत में अस्टम अनुसूची में रखला बहुत दिन भगेलय । इ खुशी के बात छै । साहित्यक आन विधा जकां गजल के सेहो जँ पाठ्रयक्र में समावेश कयल जाय त मिथिलाञ्चल में गजल के विकास सँगे मैथिली भाषा के सेहो विकास में सहयोग भटतै ।
  • Om Prakash Jha Maithili gajalak vikaasak gati dekhait e kahal jaa sakaiye je aai Maithili gajal aa Baal gajal Maithili sahity me anupam sthaan banaa chukal achhi. Maithili gajalak itihaaso ek say barkhak achhii, haa drut vikaas adhunik kaal me bhel achhi. E sab dekhait paathykramak majboot daavedaari Maithili gajalak banai chhai aa humar vishwaas achhi je Maithili gajalak hak jarur bheTat.
  • Maithili kendriya Bibhag Atuleshwar Jha जी अहि बातके कने आरो फरिछा क राखू जाहि सँ पाठ्यक्रममे समावेश करमे सुविधा होएत ।
  • Maithili kendriya Bibhag गजल महत्वपूर्ण विधा अछि । व्यंग्य बालसाहित्य लोकसाहित्य आदि सभके सेहो यथेस्ट स्थान भेटतैक । सबस महत्वपूर्ण बात अछि जे सृजनात्मक क्षमता आ रचनात्मक प्रवृतिक विकासक सँगहि समालोचनात्मक दृष्टि सम्पन्न प्रतिभाक विकास करब । एहि प्रति हम सचेष्ट छि ।
  • Ashish Anchinhar त्रिभुवन विश्वविद्यालय केर मैथिली विभागाध्यक्ष श्री परमेश्वर कापड़ि जी मैथिली केन्द्रिय विभाग केर नामसँ कहलथिहए जे गजल महत्वपूर्ण विधा थिक। हुनक बयान हमरा सभ लेल बहुत महत्वपूर्ण अछि। हम हुनका प्रति नतमस्तक छी आ आशा लगेने छी जे ओ गजलकेँ मैथिली पाठ्यक्रममे जरूर स्थान देताह। हमरा ई विश्वास ऐ लेल अछि कारण जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि। 
    जँ गजल पाठ्यक्रममे आबि गेल तँ ऐ संघर्षक महानायक श्री परमेश्वर कापड़ि जी हेताह। आ मैथिली गजल हुनक अवदानकेँ कहियो नै बिसरि सकत। जँ दोसर तरहें कही तँ गजल लेल आइ धरि जतेक काज भेल छै से जँ एक दिस राखल जाए आ दोसर दिस श्री परमेश्वर कापड़ि जीक काजकेँ राखल जाए तँ श्री परमेश्वर कापड़ि जीक पलड़ा भारी रहत। हम एक बेर फेर दोहराबी जे श्री परमेश्वर कापड़ि जीक बयान हमरा सभ लेल महत्वपूर्ण अछि आ हम सभ हुनका प्रति नतमस्तक छी संगे संग ईहो हम दोहराबी जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि। 
    मैथिली विभाग एखन गैर ब्राम्हण आ गैर कर्ण कायस्थक हाथमे अछि....मने सुच्चा मैथिल केर हाथमे आएल अछि। .....
  • Om Prakash Jha Shubh hebaak poora sambhaawna banal achhi Parmeshwar babuk rahait.
  • Ashish Anchinhar गजल ऐ लिंककपर उपलब्ध अछिhttp://anchinharakharkolkata.blogspot.in/

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    A BLOG OF MAITHILI-ANGIKA-VAJJIKA GHAZAL & SHER-O-SHAYRI. गजल मने प्रेम प्रेम मने जीवन जीवन मने अहाँ



ठीक इएह पोस्ट श्री कापड़ि जी विदेहक फेसबुक वर्सनपर देलाह जे एना अछि-------------







‎......................विचार एवं सुझाव आहवान......................
बदलल विश्व परिप्रेक्ष्य आ समकालीन सन्दर्भमे नेपाल एखन आन्दोलन आ परिवर्त्तनक सृजनात्मक संस्कृतिस

गुजरि रहल अछि । नव संरचना विकास आ सामाजिक-सांस्कृतिक रुपान्तरणक उद‌्वेगित क्रममे देखल जा रहल


अछि जे ज्ञान-विज्ञान आ शिक्षाक क्षेत्र एव‌ परिधि अति व्यापक आ विस्तारित भ रहल अछि । वैश्वीकरणक एहि

दौडमे संसार एखन माउसक क्लिकपर त्वराय चलि रहल अवस्थामे, बहुत स्वभाविक एवं अनिवार्य अछि जे

पठन-पाठन, अध्ययन-अनुसन्धानक क्षेत्र एव‌ं सन्दर्भ सेहो व्यापक पाबए । दक्ष जनशक्ति उत्पादन एहन क्रियात्मक

एवं गुणात्मक हुअए जे राष्ट्रिय-अन्तराष्ट्रिय बजारमे अपन योग्यता आ प्रतिभाके सार्थक सिद्ध कए सकए ।
सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्त्तनक एहि परिवर्त्तित परिप्रेक्ष्यमे, उच्च शिक्षाक पाठ्यक्रम तथा

शिक्षण-मूल्या‌कनमे अनिवार्य सान्दर्भिक परिवर्त्तन अपेक्षित अछि । मैथिली केन्द्रिय विभाग एहि सबटा

सत्य-तथ्यके अबगाहि, अकानि अपन पाठ्यक्रम आ शिक्षण-मूल्यांकनक विशिष्ट क्रमके वैज्ञानिक ढंगस' विश्व

बजारमुखी आ सृजनात्मक आवेगक बनएबाक पुनित क्रममे सेहो अछि । मिथिला-मैथिली प्रति, एकर सम्पूर्ण

विकास-निर्माण प्रति एहि ठामक सुधिजन, विद्वत‌्जन सदैव साकाँक्ष आ प्रतिवद्ध रहल अछि आ हमरा सबहक

हार्दिक इच्छा अछि जे नव निर्माणक क्रममे रहल मैथिली एम‍‌ ए प्रथम आ द्वितीय वर्षक पाठ्यक्रम तथा

शिक्षण-मूल्या‌कनमे की केहन परिवर्त्तन आ परिमार्झन कएल जा' सकैछ जकर स्वस्थ्य आ स्वच्छ आभास आ

प्रभाव सृजनात्मक रुपस' जनशक्ति उत्पादनमे अवश्य पडैक, तेहन सल्लाह, सुझाव एव‌ं विचार-प्रस्ताव सुधिजन

विद्वतजनस विनम्रतापूर्वक अपेक्षित अछि ।
पुरना पाठ्यक्रम, जकर परिमार्जन आ परिवर्त्तन अपेक्षित अछि से एहि तरहक अछि -
पाठ्यक्रम निर्माणमे परिवर्त्तन आ परिमार्जनक सल्लाह-सुझावक प्रस्ताव सब पक्षस' अपेक्षित अछिए, विभाग एवं

मैथिली विषय समिति चर्चा एवं जनसमर्थनके लेल चाहि रहल अछि जे पाठ्यक्रममे किछु पेपर आ विषय एहि

तरहे सेहो थपल जा सकैछ –
१‌‍‍‍‍. मैथिली साहित्यक इतिहास एवं लोकसाहित्य ६० आ ४० पूर्णांक
२. मैथिली पत्रकारिता
क. पत्रकारिताक सैद्धान्तिक पक्ष २५ पूर्णा‌क
ख. मैथिली पत्रकारिता ५० ,,
- इतिहास
- प्रि‌ट मिडिया
- इलेक्ट्रोनिक मिडिया आदि
ग. Informational Technology २५ ,,
३. नेपालक मैथिली साहित्यक आधुनिक काल १०० ,,
४. शोध प्रविधि
क. सैद्धान्तिक पक्ष ५० ,,
ख. प्रयोगात्मक क़५० ,,
५. आठ्म पत्र
कवि विशेष विद्यापति/चन्दा झा/यात्री/डा‍‍ धीरेन्द्र
विधा वा प्रवृति विशेष
६. साहित्य सन्दर्भ
साहित्य आ समाज
साहित्य, स‌ंस्कृति आ स‌ंस्कार
साहित्य आ राजनीति एवं सत्ता
साहित्य दर्शन आ मूल्यवोध
साहित्य एवं संचार
साहित्य एव‌ कला, विज्ञान
साहित्य एवं अर्थ, रोजगार
परम्परा एवं प्रयोग
आन्दोलन एव‌ परिवर्त्तन
वैश्वीकरण, आधुनिकीकरण आ नव निर्माणक परम्परा
आधुनिक आ उत्तरआधुनिकता
लोकजीवन पद्यति आ परम्परागत मूल्य-मान्यता
मानव अधिकार एवं मानवीयता
युवा, महिला आ दलित विमर्श
लोकगीत- संगीत
वेद,पुराण उपनिषद‌्


Unlike ·  ·  · 17 September at 22:37
  • You, Gunjan ShreeAmit MishraPoonam Mandal and 8 others like this.
  • Ashish Anchinhar सभ विधाकेँ पाठ्यक्रममे लिअ सङगे सङग आब समय आबि गेल अछि जे मैथिली गजलकेँ सहो उचित स्थान भेटै. बाल गजल सेहो अपन निखारपर अछि. हमरा उम्मेद अछि जे गजल ई स्थान जरूर पाएत
  • Ashish Anchinhar सभ गजलकारसँ ई हमर अपील अछि जे स्वेच्छापूर्वक गजलक समर्थनमे एहिठाम टिप्पणी दए मैथिली विभागाध्यक्षकेँ धेआन खीचथि
  • Ashish Anchinhar गजेन्द्र ठाकुरजीसँ विशेष आगग्रह जे एहिपर अपन विचार राखथि
  • Gajendra Thakur परमेश्वर कापड़िजी बाल साहित्य विशेषज्ञ छथि, ओ स्वतः एकर ध्यान रखता।
  • Om Prakash Jha Maithili gajalak jahi hisabe vikaas bhel achhi o anupam achhi aa pathykramak prabal daavedaari Maithili gajalak aa Baal gajalak achhi. Tai ekar dheyaan abass raakhal jaayat, e umed achhi.
  • Chandan Jha एहिठाम चुँकि एम.ए. प्रथम आ' द्वीतीय खण्डक पाठ्यक्रम प्रस्तावित अछि तैँ एहिठाम बाल-गजलक बेसी चर्चा उपयोगी नहि होयत । बल्कि बाल-गजल तऽ दशम् कक्षा तक उपयोगी भऽ सकैत अछि । तखन बाल-साहित्यक तकनीकि पक्ष केहन हो, ओकर विषय केहन हेबाक चाही,ईत्यादि सन विषय उच्चशिक्षाक पाठ्यक्रममे अवस्से शामिल होयबाक चाही । बाल-साहित्यक विषय-वस्तु आ' शिल्पक लेल जगदीश प्रसाद मण्डलक "तरेगन" संदर्भ पोथीक रूपमे राखल जा सकैछ । बाल-पाठ्यक्रममे ओहने रचनाशामिल हो जाहिमे कोनो ने कोनो प्रेरणामूलक बात हो । बाल-गजल निश्चिते अपन फराक पहिचान बना रहल अछि तैँ जतऽ कतहु मैथिली बाल-पद्यक चर्चा-परिचर्चा वा संकलन हो तऽ ओतऽ बाल-गजलके सेहो स्थान भेटैक । एहिठाम मैथिल गजलक इतिहास,वर्तमान आ' एकर भविष्यक चर्चाक संग एकर व्याकरणकेँ सेहो पाठ्यक्रममे शामिल कएल जेबाक चाही ।
  • Amit Mishra मैथिली गजल अपन व्याकरणक संग आब मिथिलाक कण-कणसँ चिन्हार भऽ गेल अछि ।उच्च पाठ्यक्रमक लेल तँ बहुतो रास गजल पहिने लिखल जा चुकल अछि आब बाल वर्गक लेल सेहो बाल गजल अपन हस्ताक्षर कऽ चुकल अछि ।
    जाहि पद्दमे कविता लिखल जाइत अछि ओकरा पाठ्यपुस्तमे जगह भेटैत अछि ओहिना गजल लिखल जाइत अछि आ तेँए कविता बला स्थान एकरो भेटबाक चाही ।
    मैथिलीक पाठ्यक्रम बनबै बला मैथिली गजलकेँ एकर अपन अधिकार देथिन्ह से आशा करैत छी ।
  • पंकज चौधरी कोनो भाषा या साहित्य के सम्पूर्ण विकास एवं समृद्धिक लेल आवश्यक अछि जे प्राथमिके शिक्षा स्तरसँ ओकरा पाठ्यक्रम में समुचित स्थान देल जाए. कोनो स्तर पर पाठ्यक्रम में समाजक व्यवहारिक पक्ष के उपेक्षा ओहि विषय के नीरस आ लक्ष्यहीन बनबैछ. मैथिली भाषा साहित्य के पाठ्यक्रम में सभ स्तर पर गुणात्मक परिवर्तन बड्ड आवश्यक अछि.
    ऐ ठाम गप्प एम. ए. प्रथम आ द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम केर उठल अछि त' अहि प्रसंग में हमर ई विचार अछि जे मैथिली पाठ्यक्रम में बदलैत परिवेश के आवश्यकता के धेयान राखल जाए. ऐ एकैसम सदी में मैथिली के आन भाषा साहित्य सन साधन संपन्न बनेबाक बेगरता अछि. बीतल काल्हिसँ तुलनात्मक विश्लेषण पाठ्यक्रम निर्धारणक आधार नहि होमक चाही अपितु काल्हि हमरा लोकनि मैथिली के जाहि रूपमें देखय चाहैत छी आइ ताहि अनुसारे पाठ्यक्रमक निर्धारण होय.

    सभ विधा केर समुचित समावेश कएल जाए. अहि में नव रूपें विकसित भेल मैथिलिक गजल विधा के उपेक्षा करब अनुचित. मैथिली साहित्य में कविता के जे स्थान भेटल अछि से गजलो के भेटक चाही. स्थान नहि भेटबाक कोनो तुक नै कोनो तर्क नै.

    मैथिली गजल मैथिली साहित्यक एकटा स्वतंत्र आ समृद्ध विधा के रूप में बहरायल अछि. आ एकर प्रमाण अछि बहुत कम समय में बहुत रास योग्य गजलकारक उपस्थिति, बहुत कम समय में प्रकाशित भेल मैथिली गजलक बहुत रास नीक पोथी सभ, सुधि पाठकक पैघ समूह आ अहि विधाक पसरैत लोकप्रियता. अहि विधा के उपेक्षित कए मैथिली साहित्यक सर्वांगीण विकासक गप्प नहि कएल जा सकैछ. गजलक समावेश के संगे-संग गजलक इतिहास, वर्तमान स्थिति आ भविष्यक स्वरुप के चर्चा सेहो कएल जाए. गजलक व्याकरण, शैली आ भावसँ सम्बंधित विषय-वस्तु के समावेश अहि विधा के गुणवत्ता आ लोकप्रियता बढ़बय में सहायक रहत. उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम के धेयान राखैत यदि संभव हो त' बाल गजल सेहो समावेशित कएल जाए. बाल साहित्यक (जाहि में बाल-गजल सेहो अबैछ) सभ पक्ष (व्याकरण, शैली, भाव...) केर विस्तृत चर्चा हेबाक चाही.
    सादर !
    (समस्त साहित्य प्रेमीसँ आग्रह जे ओ अहि अवसर के लाभ उठाबैथ आ अपन-अपन विचार राखैथ)
  • Maithil Prashant मैथिली विभाग एखन वास्तव मैथिल के हाथ मे अछि ।ओ नीक काज करबे करता।मिथिलाक्छर पर ध्यान देव आवश्यक।
  • Akshay Kumar Choudhary Baalsaahityak visheshajna Kapariji sa aagrah je Maithali gajal-shaastrak balyakaal biti aab tarunaai chadi gelay, se bujhet okaraa syllabus me angikaar ka yathesht thaaw-pirhi diyaabathun.
  • Ashish Anchinhar त्रिभुवन विश्वविद्यालय केर मैथिली विभागाध्यक्ष श्री परमेश्वर कापड़ि जी मैथिली केन्द्रिय विभाग केर नामसँ कहलथिहए जे गजल महत्वपूर्ण विधा थिक। हुनक बयान हमरा सभ लेल बहुत महत्वपूर्ण अछि। हम हुनका प्रति नतमस्तक छी आ आशा लगेने छी जे ओ गजलकेँ मैथिली पाठ्यक्रममे जरूर स्थान देताह। हमरा ई विश्वास ऐ लेल अछि कारण जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि। 
    जँ गजल पाठ्यक्रममे आबि गेल तँ ऐ संघर्षक महानायक श्री परमेश्वर कापड़ि जी हेताह। आ मैथिली गजल हुनक अवदानकेँ कहियो नै बिसरि सकत। जँ दोसर तरहें कही तँ गजल लेल आइ धरि जतेक काज भेल छै से जँ एक दिस राखल जाए आ दोसर दिस श्री परमेश्वर कापड़ि जीक काजकेँ राखल जाए तँ श्री परमेश्वर कापड़ि जीक पलड़ा भारी रहत। हम एक बेर फेर दोहराबी जे श्री परमेश्वर कापड़ि जीक बयान हमरा सभ लेल महत्वपूर्ण अछि आ हम सभ हुनका प्रति नतमस्तक छी संगे संग ईहो हम दोहराबी जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि। 
    मैथिली विभाग एखन गैर ब्राम्हण आ गैर कर्ण कायस्थक हाथमे अछि....मने सुच्चा मैथिल केर हाथमे आएल अछि। ......
  • Ashish Anchinhar हुनक टिप्पणी केर कापी-पेस्ट एना अछि----

    Maithili kendriya Bibhag गजल महत्वपूर्ण विधा अछि । व्यंग्य बालसाहित्य लोकसाहित्य आदि सभके सेहो यथेस्ट स्थान भेटतैक । सबस महत्वपूर्ण बात अछि जे सृजनात्मक क्षमता आ रचनात्मक प्रवृतिक विकासक सँगहि समालोचनात्मक दृष्टि सम्पन्न प्रतिभाक विकास करब । एहि प्रति हम सचेष्ट छि ।
    Wednesday at 16:03 · Unlike · 2....
  • Om Prakash Jha Pathyakram me Gajalak samuchit sthaan diyebaak jas Parmeshware babuk haath me likhal chhainhi.
  • Gajendra Thakur गजलक संग ई अनुरोध जे विहनि कथाकेँ सेहो सिलेबसमे लेल जाए।
  • Ashish Anchinhar गजल ऐ लिंककपर उपलब्ध अछिhttp://anchinharakharkolkata.blogspot.in/

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  • Umesh Mandal संगमे मैथिलीक पहिल जनकवि रामदेव प्रसाद मण्डल "झारुदार"क नव विधा "झारु" केँ सेहो सम्मिलित कएल जेबापर विचार हुअए। हुनक झारु ऐ लिंककपर उपलब्ध अछि- रामदेव प्रसाद मण्डल झारूदार- हमरा बिनु जगत सुन्ना छै- https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/RamdeoPrasadMandalJharudar.pdf?attredirects=0


ऐ तरहँक चर्च होइते श्री परमेश्वर कापड़ि जीक एकटा महत्वपूर्ण बयान आएल गजल लेल जे एना अछि----

गजल महत्वपूर्ण विधा अछि । व्यंग्य बालसाहित्य लोकसाहित्य आदि सभके सेहो यथेस्ट स्थान भेटतैक । सबस महत्वपूर्ण बात अछि जे सृजनात्मक क्षमता आ रचनात्मक प्रवृतिक विकासक सँगहि समालोचनात्मक दृष्टि सम्पन्न प्रतिभाक विकास करब । एहि प्रति हम सचेष्ट छि ।
Unlike ·  · 



ऐ बयानक बाद एकटा पोस्ट हम विदेहपर देलहुँ जे एना अछि---


त्रिभुवन विश्वविद्यालय केर मैथिली विभागाध्यक्ष श्री परमेश्वर कापड़ि जी मैथिली केन्द्रिय विभाग केर नामसँ कहलथिहए जे गजल महत्वपूर्ण विधा थिक। हुनक बयान हमरा सभ लेल बहुत महत्वपूर्ण अछि। हम हुनका प्रति नतमस्तक छी आ आशा लगेने छी जे ओ गजलकेँ मैथिली पाठ्यक्रममे जरूर स्थान देताह। हमरा ई विश्वास ऐ लेल अछि कारण जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि।
जँ गजल पाठ्यक्रममे आबि गेल तँ ऐ संघर्षक महानायक श्री परमेश्वर कापड़ि जी हेताह। आ मैथिली गजल हुनक अवदानकेँ कहियो नै बिसरि सकत। जँ दोसर तरहें कही तँ गजल लेल आइ धरि जतेक काज भेल छै से जँ एक दिस राखल जाए आ दोसर दिस श्री परमेश्वर कापड़ि जीक काजकेँ राखल जाए तँ श्री परमेश्वर कापड़ि जीक पलड़ा भारी रहत। हम एक बेर फेर दोहराबी जे श्री परमेश्वर कापड़ि जीक बयान हमरा सभ लेल महत्वपूर्ण अछि आ हम सभ हुनका प्रति नतमस्तक छी संगे संग ईहो हम दोहराबी जे डा. धीरेन्द्र जीक बाद ओ एकमात्र एहन सपूत छथि जे की मैथिलीक लेल किछु कए सकैत छथि।
मैथिली विभाग एखन गैर ब्राम्हण आ गैर कर्ण कायस्थक हाथमे अछि....मने सुच्चा मैथिल केर हाथमे आएल अछि।
Like ·  ·  · 21 September at 19:05
  • Ashish Anchinhar हुनक टिप्पणी केर कापी-पेस्ट एना अछि----

    Maithili kendriya Bibhag गजल महत्वपूर्ण विधा अछि । व्यंग्य बालसाहित्य लोकसाहित्य आदि सभके सेहो यथेस्ट स्थान भेटतैक । सबस महत्वपूर्ण बात अछि जे सृजनात्मक क्षमता आ रचनात्मक प्रवृतिक विकासक सँगहि समालोचनात्मक दृष्टि सम्पन्न प्रतिभाक विकास करब । एहि प्रति हम सचेष्ट छि ।
    Wednesday at 16:03 · Unlike · 2....
  • Om Prakash Jha Jay ho! Shubh samaachaar. Aab gajal Maithilik pathykram me ebe Ta kartai.
  • Amit Mishra मैथिली गजलक लेल शुभ समाचार
  • Brajmohan Jha apnek e bichar je gajal ek taraf aa sri kapari ek taraf taiyo bhari kapriye heta ahi sa ham marmahat chhi, yekar matlab je pathya kram sanyojak lekhak sa paigh chhati ya kahu ta dr. Rajendra bimal k gajal sa bhari kapri ji ke baktabya achhi. Kripya kane prasta kayal jay.
  • Ashish Anchinhar गजलकारक टिप्पणी सभ नै आबि रहल अछि. कापड़ि जीकेँ सभ गोटा धन्यवाद दिऔन्ह
  • Gajendra Thakur परमेश्वर कापड़ि जीकेँ अग्रिम बधाइ। संगमे अनुरोध जे विहनि कथाकेँ सेहो सिलेबसमे लेल जाए।
  • Rajeev Ranjan Mishra neek samad,ati utsahvardhak baat maithili gajal aa gajlkar lokni le...hamar shubhkamnal!!
  • Ashish Anchinhar आइ हमरा शायदे निन्न हएत
  • पंकज चौधरी बहुत सुखद समाद अछि. मैथिली गजल लेल ई एकटा ऐतिहासिक समय अछि. श्री परमेश्वर कापड़ि जे के कोटिशः धन्यवाद !
  • Umesh Mandal ''परमेश्वर कापड़ि जीकेँ अग्रिम बधाइ। संगमे अनुरोध जे विहनि कथाकेँ सेहो सिलेबसमे लेल जाए।'' समर्थन करै छी...
  • Umesh Mandal संगमे मैथिलीक पहिल जनकवि रामदेव प्रसाद मण्डल "झारुदार"क नव विधा "झारु" केँ सेहो सम्मिलित कएल जेबापर विचार हुअए। हुनक झारु ऐ लिंककपर उपलब्ध अछि- रामदेव प्रसाद मण्डल झारूदार- हमरा बिनु जगत सुन्ना छै- https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/RamdeoPrasadMandalJharudar.pdf?attredirects=0
  • Umesh Mandal विहनि कथा ऐ लिंककपर उपलब्ध अछि-https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/VIDEHA_VIHANI_KATHA.pdf?attredirects=0
  • कुन्दन कुमार मल्लिक "मैथिली विभाग एखन गैर ब्राम्हण आ गैर कर्ण कायस्थक हाथमे अछि....मने सुच्चा मैथिल केर हाथमे आएल अछि।"

    माने मिथिलांचल मे रहय बला ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ सुच्चा मैथिल नञि छथि. 

    :-)
  • Ashish Anchinhar गजल ऐ लिंककपर उपलब्ध अछिhttp://anchinharakharkolkata.blogspot.in/

    anchinharakharkolkata.blogspot.com
    A BLOG OF MAITHILI-ANGIKA-VAJJIKA GHAZAL & SHER-O-SHAYRI. गजल मने प्रेम प्रेम मने जीवन जीवन मने अहाँ
  • Mukund Mayank आदरनीय परमेश्रर कापरि के बधाई ,संगहि हम सब गजलकार हुनक अभारी छी
  • ShantiLakshmi Choudhary shaikshanik paathyakram me Maithili Gajal dis bes dhyan dewaak aawashyakataa bujhi Kaapariji Maithili Galashaastrak itihaas men aab ekataa yug puroosh bh' gel chhathi. Dekhawaak achhi je Kaapari ji ehi etihaas nirmaan kaal me kehan bhumikaa ke sang apan naam swarnaakshar me likhaa paawait chhathi... Sadhanyawaad
  • कुन्दन कुमार मल्लिक "मैथिली विभाग एखन गैर ब्राम्हण आ गैर कर्ण कायस्थक हाथमे अछि....मने सुच्चा मैथिल केर हाथमे आएल अछि।"

    पहिने होयत छल जे कर्ण कायस्थ होमय के नाते हम सुच्चा मैथिल नञि छी मुदा आब इ देखि के संतोष भेल जे अनचिन्हार जी सेहो सुच्चा मैथिल नञि छैथ कियैक जे अनुसंधानक क्रम मे इ बुझना मे आयल जे हिनको संगे "मिश्र" लागल छन्हि आ इ अपने ब्राह्मण छथि अर्थात सुच्चा मैथिल नञि छैथ.
  • Ashish Anchinhar पुरखाक कएल कुकर्म अहूँ केँ भोगए पड़त कुन्दन जी आ हमरो।
  • कुन्दन कुमार मल्लिक असंयत आ असहिष्णु भाषाक परित्याग करु. हमरा पुरखाक बराबरी अहाँ कतेको जनम मे नञि कय सकैत छी. रहल गप अहाँ के पुरखाक त' ओहि संदर्भ मे अहाँ बाजय मे स्वतंत्र छी.
  • Ashish Anchinhar यएह छिऐ आनुवंशिक जातीय श्रेष्ठताक कट्टरता।
  • कुन्दन कुमार मल्लिक इ कट्टरता ओकरे मे होयत छैक जेकरा मे इ श्रेष्ठता रहैत छैक. अहाँ मे अछिए नञि त' अहाँ की बाजब. एहिना ऊँचका ढीमका पर ठाढ़ भ' जातिवादी-जातिवादी चिचियाइत रहू.
  • Ashish Anchinhar २१म शताब्दीक युवाक ई विचार सुनि लज्जित छी, कतऽ जा रहल अछि मिथिला!!
  • कुन्दन कुमार मल्लिक अहाँक विचार सुनि उहो अहीं जेकाँ अनचिन्हार भेल जा रहल अछि.
  • Ashish Anchinhar मात्र दू जातिक किछु कट्टरक मिथिला आ मैथिली ककरा चाही!! जे केलौं से हम आ हमर पुरखा!!!
  • Ashish Anchinhar एहने शुद्धता वादी लोकनिपर परमेश्वर कापड़ि जीक आलेख विदेहमे आएल रहए- पढ़ू: प्रा.परमेश्वर कापड़ि
    मानकताक बात विखपाद अछि !प्रा.परमेश्वर कापड़ि
    मानकताक बात विखपाद अछि !
    मानकताक बात विखपाद अछि। हम नेपालक छी तएँ नेपालक बात करब आ कहब जे नेपाल नव निर्माण आ संघीय स
    ंरचना विकासक क्रममे अछि। ऐ ठामक लोक अपन संघीय राजभाषा, संस्कृति, जातीयता, क्षेत्रीयता, सांस्कृतिकता आ ऐतिहासिक-पौराणिकताक बाहुल्य एवं प्रभुत्वक प्रभाव चाहैत अछि। सोच छै जे ऐसँ हमर अस्मिताक पहचान बनत आ स्वायत्तताक बोध हएत, ई बा ऐ लोक लेखे प्रजातन्त्र आ गणतन्त्रोसँ पहिनेक चाहना अछि। हमरा सभकेँ भाषा संस्कृतिक बाहुल्यता संघीय राज, सांस्कृतिक पहचान आ राजनीतिक पहुँच दिअएतै आ दिअबितो छै! हमरा सभकेँ भाषिक सांस्कृतिक चेतना अस्मीता आ स्वायत्तता बोधसँ आबद्ध रहने ऐपर राजनीतियो खूब भऽ रहल छै आ आरो हेतै। एहनमे ई मानकताक बात पद-बराइ विद्वताक बात अछि आ ऐसँ ऐ सालक नेपालक जनगणनामे मैथिलीकेँ बड घाटा भेल छै। घेँट धऽ कऽ घेँट काटऽ बला सभकेँ कहब छै जे हम सभ अछि, छथि, छथिनबला नै छी। हए, हब, है-हुइ बजै छी, तैँ बजिका बजै छी। बजिका कहि भाषिक लाभ लभगरसँ हेतै आ एकर राजनैतिक सन्दर्भ अलगे छै। पूर्वी तराइमे थारु भाषा अपन अलगे पहचान आ संस्कार बना लेने अछि। सेहे नइ, हमरा सभकेँ सर्लाही, बाड़ा पर्सा जिला सभ के लोक जैंकि छथि, अछि, नइ बजैत अछि तैं अपनाकेँ मैथिली भाषी नै कहि पाबि रहल अछि।
  • Ashish Anchinhar एहने शुद्धता वादी लोकनिपर परमेश्वर कापड़ि जीक आलेख विदेहमे आएल रहए- पढ़ू: प्रा.परमेश्वर कापड़ि
    मानकताक बात विखपाद अछि !प्रा.परमेश्वर कापड़ि-जे कोइ मानकताक हुड़फेर फेरऽ चाहैत छथि से ई बात किए ने बुझैत छथिन जे मैथिली भाषा असलमे लोकभाषा अछि, मैथिली संस्कृति लो
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  • Umesh Mandal प्रा.परमेश्वर कापड़ि जीक आलेख ''मानकताक बात विखपाद अछि!'' ऐमे मि‍थि‍लाक सामाजि‍क वातावरणक मौलि‍क चि‍त्रण भेल अछि‍। ...गैर सर्वणक संग होइत आर्थिक, सामाजि‍क, भाषि‍क इत्‍यादि‍ कतेको तरहक शोषणक स्‍पष्‍ट झलक भेटैत अछि‍ एवं आरो बहुत कि‍छु सपष्‍ट करैए जे कि‍ मैथि‍लीक वि‍कासक माने मि‍थि‍लाक वि‍कासमे बाधक बनल रहल अछि‍।
  • Pawan Kumar Sah ''कट्टरता ओकरे मे होयत छैक जेकरा मे इ श्रेष्ठता रहैत छैक. अहाँ मे अछिए नञि त' अहाँ की बाजब. एहिना ऊँचका ढीमका पर ठाढ़ भ' जातिवादी-जातिवादी चिचियाइत रहू...। -कुन्‍दन कुमार मल्लि‍क।'' ...एहेने बात बाजए बला शुद्धतावादी सोचक लोककेँ चौबटि‍यापर ठाढ़ो होइक जगह देल गेल अछि‍ ई दुखद गप अछि‍।
  • Atuleshwar Jha मैथिली भाषाक प्रति इएह जातिवादी धारणा ओकरा आइ अपन अस्मिताक बचेबाक लेल संघर्षक बाट पर आनि देलक। भाषा पर ककरो निज संपत्ति नहि, तैं आग्रह जे भाषायी संघर्षमे जातिवादी नहि अएबाक चाही। कारण जातिक भाषा नहि होइछ। मुदा हमरा लोकनि असल मुद्दाकें बिसरि हीनमुद्दा पर लड़ि रहल छी जेकर निराकरण वा तं भए चुकल अछि वा होयबामे कोनो बेसी परिश्रम नहि छैक। आ संगहि एहन-एहन मानसिक हीन वाक्य बाजब तं छोट मानसिकताक द्योतक अछि जेना मल्लिक आ आशीष जी बजैत छथि । कारण एकटा मैथिलकें दुनू गोटाक विरोध करबाक चाही कारण एहि सं सामाजिक अशांति छोड़ि दोसर किछु नहि भेटैत छैक।
  • Gajendra Thakur Atuleshwar Jha जी। अहाँक "जातिवादिताक विरोध केनिहार" आ "जातिवादिताक सपोर्ट केनिहार" दुनूक विरोध, सेहो शब्दावलीक नामपर, ऐसँ लोक की निष्कर्ष निकालत? "जातिवादिताक विरोध" अन्यायक विरोध अछि आ ओकर तीव्र शब्दावली "जातिवादिताक सपोर्ट" केनिहारपर आक्रमणक शब्दावली अछि, आ स्वागतयोग्य अछि । अहाँक ई कहब जे "एकटा मैथिलकें दुनू गोटाक विरोध करबाक चाही "- एकरा हम जातिवादिताकेँ देल जा रहल अहाँक खतरनाक सपोर्टक रूपमे देखि रहल छी आ विरोध करै छी।
  • Umesh Mandal दुनू दू दि‍शाक सोचक छथि‍, एक जाति‍वादीक वि‍रोध, दोसर सपोर्ट केनि‍हार। तखन दुनू गोटा छोटे मानसि‍कताक केना भेल- ''छोट मानसिकताक द्योतक अछि जेना मल्लिक आ आशीष जी बजैत छथि ।''









तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों