बुधवार, 31 दिसंबर 2008

गज़ल

ईसाइ नव बर्खक मंगलमय शुभकामना

गजल
गप्प जखन बिआहक चलल हेतैक
गरीबक बेटी बड्ड कानल हेतैक

गोली लागल देह दसो दिशा मे
कुशलक खोंइछ कत्तौ बान्हल हेतैक

डेग-डेग पर निद्रा देवीक प्रसार
केना कहू केओ जागल हेतैक

सड़ि गेलैक एहि पोखरिक पानि
जुग-जुगान्तर सँ नहि उराहल हेतैक

विश्वास करु समान कम नहि देत
बाटे मे बाट भजारल हेतैक

गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

गजल

गजल
1

जँहा देखलहुँ घर तहीं धर खसा लेलहुँ
असगरे मे अपन जिनगी बसा लेलहुँ

लोक फेकैत रहल पाथर पर पाथर
तकरे बीछि एकटा घर बना लेलहुँ

झोल लागल देबाल पर टाँगल उदासी
अहाँक हँसी टाँगि ऒकरा सजा लेलहुँ

मोन मे धाह , करेज मे भूर ,देह साबुत
अपन भावना के दरबार मे नाचा लेलहुँ
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों