शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

गजल

नहि हमरा सागक तोडन चाही
नहि हमरा पातक छोडन चाही 

नव मिथिला निर्माणक बल लेने 
शुभ मिथिला राजक जोडन चाही 

सूपक भाँटा सन डोलति लोकक 
मोनक बदलति नै मोरन चाही 

बिनु जानक भय केने छोरै नहि 
घर घर बिषबिश्षी घोडन चाहि 

हक हमरा  एखन अप्पन चाही
सभटा तीमन नहि फोडन चाही  

(वर्ण-१३, मात्रा- नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)

बुधवार, 29 अगस्त 2012

गजल


सिह्कैत हवा पर सिसकैत अछि मोन,
हम छी पाथर,आ ओ पाथर,से भेल सोन,...

कनैत रही छी असगर एकात बैसल,
हँसब से ऐहन बाते अछि बचल कोन,.....

चली गेल ओ संग ल' मुइर-सुईद सब,
देलहुं हम जकरा अपन स्नेहक लोन,......

खोले चाहै छी रंग-रभसक बात सब,
मुदा कोना खोलियैक ,मोने भेल अछि मौन,....

'गुंजन' छै लोढ़ैत,गजल बहार बैसल,
आहां रहू अहिना ऐकात,कानि करू होम,...... गुंजन श्री

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

गजल

रंग देखू भरल अछि सभतरि तँ खूनसँ 
देश गेलै गैल बैमानीक घूनसँ 

 साग तरकारी कते भेलै महग यौ 
आब छी पोसैत नेना भात नूनसँ 

नामकेँ लत्ता गरीबक देहपर अछि  
लदल कबिलाहा कते छै गरम ऊनसँ 

छैक भिसकी रम बहै भरपूर सबतरि
एखनो हम गुजर केलौं पान चूनसँ 

मारि गर्मी लेल 'मनु' बेबस कते छी 
ओ तँ अछि पेरीसमे पोसाति जूनसँ     

(बहरे रमल, मात्राक्रम-२१२२)
जगदानन्द झा 'मनु'     > गजल संख्या- ७६ 

सोमवार, 27 अगस्त 2012

हजल


लाल धोती केश राँगि समधि चुगला बनला ना 
बेटा बेचि आनि बरयाती ई पगला बनला ना 

सभ बिसरि आँखि मुनि ध्यानसँ ताकथि रुपैया 
भीतर कारी बाहर उज्जर बोगला बनला ना 

खेत खड़ीहान बेच बेच पीबथि बभना तारी 
आब लंगोटा खोलि खालि ई तँ हगला बनला ना 

तमाकुल चूनबैत पसारने  दिनभरि  तास
घर आँगनक चिंता नहि ई खगला बनला ना 

जेल छोरि बाहर आबि हाथ जोरि माँगथि भोट
जितैत देरी 'मनु'केँ बिसरि दोगला बनला ना 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१८)  

रुबाइ

घाट-घाट पर सुतल कतेको गोहि अछि 

साउध लोककेँ मोन लेने मोहि अछि 

धर्मक नाम पर खुजल कतेक दोकान

टाका लछनमे सभटा पाप धोहि अछि

                    ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

गजल


घर घरमे चक्कू पिजाबैत देखलौं
नेनाकेँ तमाकुल चूनाबैत देखलौं   

बेगरता निकालि कs आजुक घड़ीमे
नीक नीककेँ ठेंगा देखाबैत देखलौं

मोनक दोष मोनेमे नूका कs सबटा 
कपटसँ करेज लगाबैत  देखलौं

दियादक फसादमे अपने मोलमे 
घरमे धिया पुता नुकाबैत देखलौं 

पाईकेँ जमाना छै पाईकेँ हिसाबमे 
पानिमे मनुखता डुबाबैत देखलौं

नहि रहिगेल मोल प्रेम आ स्नेहकेँ 
प्रेमकेँ डबरामे बहाबैत   देखलौं

"मनु" मन कोमल सहि नहि सकलौं 
किए माएकेँ नोर खसाबैत देखलौं

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१४)

शनिवार, 25 अगस्त 2012

गजल


गीत आ गजलमे अहाँ ओझराति किएक छी 
हुए मैथिलीक विकास अंसोहाति किएक छी 

परती पराँत जतए कोनो उपजा नहि है 
तीन  फसल ओतएसँ फरमाति किएक छी 

जतए सह सह बिच्छू आ साँप भरल होई
ओतए बिना नोतने अहाँ देखाति किएक छी 

अप्पन चटीएसँ नै   फुरसैत भेटे अहाँकेँ
सिलौटपर माथ फोरि कs औनाति किएक छी  

आँखि पथने बरखसँ अहीँक रस्ता तकै छी 
प्राणसँ बेसी 'मनु' मनकेँ सोहाति किएक छी     

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १७)

गजल


हम चान लेबैलए बढ़लौं अहाँ रोकब तैयो तारा लेबै 
मैथिलकेँ बढ़ल डेग नहि रुकत आब जयकारा लेबै 

मिथिलाराज मँगै छी हम भीखमे नहि अधिकार बूझि
चम्पारणसँ दुमका नहि देब किशनगंज  तँ आरा लेबै 

छोरलौं दिल्ली मुंबई अमृतसर सूरतकेँ बिसरै छी 
अपन धरतीपर आबि नहि केकरो सहारा लेबै 

गौरब हम जगाएब फेरसँ प्राचीन मिथिलाक शानकेँ 
विश्व मंचपर एकबेर  फेर पूर्ण मिथिलाक नारा लेबै 

उठू 'मनु' जयकार करू अपन भीतर सिंघनाद करू 
फेरसँ निश्चय कए सह सह अवतार बिषहारा लेबै      

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२२)  
  

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

गजल

ई गजल शब्द साधक रामविलास साहू जीकेँ समर्पित छन्हि।


गजल



हम तँ भेल छी तबाह यौ
मीत छथि हमर कटाह यौ


मोन केर गप्प आँखिमे
प्रेम केर गजब धाह यौ


देखतै किए गरीब दिस
संविधान छै बताह यौ


राजनीतिमे फँसल धसल
लोक ताकि रहल थाह यौ


बेर बेर मारि पीट सन
एहने तँ छै सलाह यौ




दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ + ह्रस्व-दीर्घ + ह्रस्व-दीर्घ+ ह्रस्व-दीर्घ हरेक पाँतिमे

गजल

बाल गजल-43

मसल्ला देल छै चल खोँटब अदौरी

चमेली सीख कोना बनतै तिलौरी

अपन खेतक लऽ आलू पापड़ बनेबै

बगल के खाटपर चल खोँटब मुरौरी

तरूआ लेल बुचिया पीसेँ पिठारो

लगै छै नीक खस्ता फूलल कचौरी

नहा ले आब गरमसँ हेतौ घमौरी

भरल छै पानि भरलक भोरेसँ नौरी

जँ रहतौ लूरि नै भूखब रहब कहियो

रहै छै मान सासुरमे तखन छौड़ी

मफाईलुन-मफाइलुन-फाइलातुन

1222-1222-2122
बहरे-करीब

अमित मिश्र

गजल

बाल गजल-42

एलै हमर गाममे नव खेला बला
डमरू बजाबैत एलै बेला बला

छै भीड़ लागल बहुत भारी उमस छै
मिल छोड़बै जाम के सब मेला बला

छै ढोल बजबैत बानर बुधियार छै
खिस्सा कहै छै गुरू आ चेला बला

नै देब टाका तऽ देखाबै पेट छै
माँगै जलेबी रसिक गुड़ ढेला बला

उजरा कुकुर छोट डिब्बापर चढ़ल छै
लुझलक अनारस दबारै ठेला बला

मुस्तफइलुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2212-2122-2212

अमित मिश्र

गजल

आइ हम कतऽ छी देखऽ चाहै छी घुमि कऽ जमानामे देखू
नवका भारत कतऽ बसल छै जा कऽ मयखानामे देखू

केउ किए कहै छी जे हमर देश गरीबक देश अछि
अमिरी देखबाक अछि तऽ मंदिरक तहखानामे देखू

जुनि कहू जनता भोजनक अभावमे भूखल सुतै छै
भोजन देखबाक अछि तऽ वियाहक समियानामे देखू


जुनि कहू लोक दुखमे मरै छै , खुशी देखबाक अछि तऽ
श्मशानमे शराब उड़ैत अबीर बाजैत गानामे देखू

केउ किए कहै छी कश्मीर एहि धरती परक स्वर्ग छै जँ नरक देखबाक अछि तऽ गोली कए निशानामे देखू

भारत भूतकालसँ सोना कए चिड़ियाँ कहल जाइ छै
कोयलाक चिड़ियाँ देखबै राजनीतिक घरानामे देखू

जे किछु देखबाक भेटल एहि ठाम वएह लिखने छी
अमित दर्द देखबाक अछि किसानक ठिकानामे देखू

वर्ण-21
अमित मिश्र

गजल

बाल गजल-41

पातर मोर पोथी मोटगर छै शब्द
करबै मेहनत तखने हमर छै शब्द

सुन्ना पैघ छै पाकल पियर छै आम
जामुन मीठ एप्पल सुअदगर छै शब्द

असँ हेतै अदौरी फूल फल छै लिखल
मिरचाई मसल्ला चहटगर छै शब्द

लागू गोर भोरे भोर नै कर शोर
कवितामे लिखल सब रमनगर छै शब्द

हम भाषा पढ़ै छी और जोड़ल जोड़
लागै हमर मन बड मीठगर छै शब्द

2221
मफऊलातु तीन बेर

अमित मिश्र

गजल

गजल

जँ करबै विश्वास भेटत दर्द सगरो
खसल लोकक नेत संगे नेह नजरो

गजल माँगै भाव संगे शब्द हल्लुक
अपन भाषा संग राखू मोन बहरो

सिनेहसँ छै भरल पति-पत्नी जगतमे
मुदा ओतौ होइ छै कखनो कऽ झगड़ो

बरसि जेतै मेघ रौदी भागि जेतै
खसै छै अमृत बहै ठनकाक नहरो

कते मोनक बात मोनेमे रहै छै
हुनक चुप्पी अमित देलक तोड़ि हमरो

मफाईलुन-फाइलातुन-फाइलातुन
1222-2122-2122

बहरे-सरीम

अमित मिश्र

गजल

 गजल

नैन खोलिकऽ कने देखू ने भवानी
काँट पसरल सगर सोचू ने भवानी

बाट दरबार के माँ देखल तऽ नै अछि
अंगुरी पकड़ि देखाबू ने भवानी

राति कारी बनल दिन तऽ स्याह भेलै
घोर युग समय फरिछाबू ने भवानी

झूठ छल हम कऽ मिझरेलौँ आगि पेटक
आब की करब किछु बाजू ने भवानी

एतऽ नेता पड़ल हिँसा ओतऽ भड़कल
"अमित" थाकल कहै जागू ने भवानी

फाइलातुन-मफाईलुन-फाइलातुन
2122-1222-2122
बहरे-असम

अमित मिश्र

रूबाइ

रूबाइ-124

अपने नजरमे हम खसल जा रहल छी
भीतर भीतर आब मरल जा रहल छी
अपने जे आगि लगेलौँ टाका लऽ कऽ
ओ दहेजक लुत्तीसँ जड़ल जा रहल छी

रूबाइ

रूबाइ-123

एखन जागि रहल देश अपन माँटि लेल
टूटल कमजोर भेष अपन माँटि लेल
मिथिला बनत मैथिल फूल फूलाएत
किछुए दिन आब शेष अपन माँटि लेल

रुबाइ

रुबाइ-122

कोनो भोथ हाँसूसँ घेँट काटि देलौँ
केलक मोन तऽ नोनक ढेला साटि देलौँ
सभ किसिमक दर्द देबऽ चाहै छी तेँए
जहरक बोतल अहाँ अपने चाटि देलौँ

गजलक इस्कूल भाग-62

खा ले रे बौआ दूधे भात
· · · 23 July at 21:13 via Mobile
    • Ashish Anchinhar ‎22-222-2221
    • Amit Mishra खा ले रे बौआ दूधे भात
      देबौ हम काल्हि व्यंजन सात

      माछी छौ कौआ देतौ चोँच
      देने छीयौ केला के पात

      देबौ खेलौना साँझे आनि
      मानेँ रे सोना हमरो बात

      देखै छौ हजमा तोरे देख
      देबौ लड्डू चल ने एकात

      नै खेबेँ लागत बड़का पाप
      गैया मैया देथुन जे श्राप

      खा बनलेँ बढ़ियाँ बौआ "अमित"
      फेरो हम देबौ दूधे प्रात
      22-222-2221
      24 July at 11:03 via Mobile · · 2
    • Ashish Anchinhar नै खेबेँ लागत बड़का पाप
      गैया मैया देथुन जे श्राप
      ehi me kafiya................??????? ona aar sher sabh neek achi...
      24 July at 11:05 · · 1
    • Amit Mishra पाँचम शेर मे काफिया गलत भ' गेल छल तेए एकरा आब एना पढ़ल जाए

      नै खेबेँ लागत बड़का पाप
      रे नै हेतै दूधक बरिसात
      24 July at 11:27 via Mobile · · 1
    • मिहिर झा खा ले रे बौआ दूधे भात
      ठुनकि नै हो ठाढ कात
      पढि बनबे तू बी डी ओ
      मोन राख हमर बात
      पैघे के सब दै छै ध्यान
      तोंही पेबें पहिल पात
      छौ जे दुत्कारैत एखन
      कान पाथि सुनतौ बात
      मोन लगा जॉं पढबे तू
      टाका के हेतौ बरसात
      24 July at 15:44 · · 4




गजलक इस्कूल भाग-61

देखिऔ छै केहन अजनास बच्चा
· · · 21 July at 21:34 via Mobile
    • Ashish Anchinhar ‎2122-222-2122
      21 July at 21:35 via Mobile · · 1
    • Rajeev Ranjan Mishra ashish bhai ajnas mane?? nihsankoch puchhal gel...kiyak ta yah jaan hoyat rachna ke ...hamra hisabe...
      21 July at 22:22 · · 1
    • Ashish Anchinhar बेसी दुलारसँ छिड़िआएल बच्चाकेँ एही सम्बोधनसँ डाँटल जाइत छै
      21 July at 23:04 via Mobile · · 4
    • Rajeev Ranjan Mishra bujhlanhu...dhanyabad
    • Amit Mishra bahut sunnar panti
    • Amit Mishra बाल गजल

      देखियौ छै इ केहन अजनास बच्चा
      लोक के ओ बनेनै छै दास बच्चा

      छै बहसि गेल नेना सबहक दुलारसँ
      साग फेकै कहै कतरा घास बच्चा

      खेल मे मस्त सदिखन गर्दासँ पोतल
      पढ़त नै नै बनेतै इतिहास बच्चा

      ककर हिम्मत इ मेला ठेला घुमेतै
      जीद मे कानतै एकै भास बच्चा

      डांस मे गीत मे नंबर एक छै ओ
      "अमित" तेँ मानलौँ सब खटरास बच्चा

      फाइलातुन-मफाईलुन-फाइलातुन
      2122-1222-2122
      बहरे-- असम

      अमित मिश्र
      22 July at 18:32 · · 1

गजलक इस्कूल भाग-60

पढतै लिखतै बौआ डाक्टर बनतै
· · · 20 July at 21:59 via Mobile
    • Ashish Anchinhar ‎2222222222
      20 July at 22:01 via Mobile · · 2
    • Rajeev Ranjan Mishra पढतै लिखतै बौआ डाक्टर बनतै
      माय बाबुक कष्ट निवारक बनतै

      दिन पलटतय हमरो सबहक
      घर परिवारक ओ पालक बनतै

      लक्षण करम एकर लागैत अछि
      बौआ एक दिन कुलतारक बनतै

      मोनक हमरो सुनथिन भगवान
      बौआ सब रुपे ध्वजबाहक बनतै

      माय बहिन खानदानक पुरतय
      बौआ सौंसे गामक उद्धारक बनतै

      बढ़तय दिन दुना राति चारिगुन्ना
      ओ संकट मोचक निस्तारक बनतै
      21 July at 04:45 · · 3
    • Rajeev Ranjan Mishra पढतै लिखतै बौआ डाक्टर बनतै
      पढी लिखि क बौआ कलक्टर बनतै

      खेलय कूदय बौआ बर होशगर
      पैघ हेतय तह क्रिकेटर बनतै

      बजय भूकय में एखने तेजगर
      देखिहनि बरका भ एक्टर बनतै

      हँसेय गाबय मटकि मटकि कए
      फ़िल्मक कोनोह डायरेक्टर बनतै

      लागल रहतै बौआ मेहनतगर
      तहने तह जिन्गीक चेप्टर बनतै

      उलटि परैय जंह सोचल तहन
      मानि चलय लूज करेक्टर बनतै
      21 July at 09:17 · · 1
    • Amit Mishra पढ़तै लिखतै बौआ डाँक्टर बनतै
      गामे गामे सबहक सेबा करतै

      रोगसँ लड़तै रोगी हँसतै गेतै
      एकर नामसँ सबटा रोगो डरतै

      अपनो बोखारक चिन्ता नै करतै
      फर्जी डाँक्टर के चोरी नै चलतै

      नामी लोकक किछु कहलो नै करतै
      कमजोरो के ओ भैयारी बुझतै

      टाका के लोभी कहियो नै बनतै
      आशीर्वादे टा के इच्छा रहतै

      मिथिला माँ के मैथिल बेटा छी ने
      संकट हटतै दुश्मन संगे लड़तै

      दस टा दीर्घ
      21 July at 09:50 via Mobile · · 1
    • Rajeev Ranjan Mishra पढ़तै लिखतै बौआ डाँक्टर बनतै
      गामे गामे सबहक सेबा करतै....amit jee ahi me kafiya ki bhel aa radeef ki bhel??
      21 July at 09:55 · · 1
    • Amit Mishra एहि मे रदीफ नै अछि आ काफिया अछि ।
      तुकान्त अछि "अतै"
    • Ashish Anchinhar बिना रदीफक गजल सेहो होइत छै । मुदा बिना काफियाक गजल संभव नै।
    • Ashish Anchinhar ona rajeev jeek p\ryas bahut neek.
    • Rajeev Ranjan Mishra hamar abhipray tark karbak nahi muda janay chahab je hum kahan tak pahunchal aa dosh katta achi....aagrah je farichha ka bujhabi...
      21 July at 10:07 · Edited · · 2
    • Ashish Anchinhar बिना तर्क केने भाइ केओ किछु बुझिए ने सकैए भाइ। ओना एखन किछु कसरि अछि। आस्ते आस्ते कने आर आगू अबिऔ।.
      21 July at 10:09 · Edited · · 1
    • Rajeev Ranjan Mishra jarur....prayas rakhab ...tahan aagrah rahat je hum post karab jari rakhab aar apne lokani uchit margdarshan karait rahi nahin ta dikkat hoyat!!
      21 July at 10:11 · · 2
    • Rajeev Ranjan Mishra हम घाट घाट के जानि रहल
      हम राह बाट ठेकानि रहल

      सबतरि लोक बेहाल छलय
      बस सब के सब कानि रहल

      लोक प्रकृति संग खेल करय
      झरकत से नहि जानि रहल

      डाढल अछि लोक समाज ऐना
      दिन राति कोनाहूँ गानि रहल

      ऐंठल जून्नी सन बात करय
      ककरो कहल नै मानि रहल

      संज्ञान लियह सब मिलि मीता
      ज्ञानी सब याह हकानि रहल

      (सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १२)
    • Rajeev Ranjan Mishra ahi per kichu sujhaw del jay ashish bhay halaki hum trak sa hati ka kaj kai...
    • Ashish Anchinhar नीक राजीव भाइ। काफियाक प्रयोग सटीक अछि।.
      21 July at 10:13 · · 2
    • Rajeev Ranjan Mishra galat ki achi seho btail jau bhay
    • Ashish Anchinhar एखन धरि ऐमे गलती नै भेटल अछि। भेटिते जरूर कहब।.
      21 July at 10:15 · · 1
    • Rajeev Ranjan Mishra बाल गजल

      पढि लिखि कए बौआ बाहर रहतै
      सत बाबा के कहल आखर रहतै

      दिन पलटतय हमरो सबहक
      भरल घर नोकर चाकर रहतै

      लक्षण करम एकर लागैत अछि
      बौआ सबतरि भए धाकर रहतै

      मोनक हमरो सुनथिन भगवान
      करेज अपन भए चाकर रहतै

      माय बहिन खानदानक पुरतय
      बौआ सबहक लेल सागर रहतै

      बढ़तय दिन दुना राति चारिगुन्ना
      भरल नित बौआक गागर रहतै

      (सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १४ )
      ahi per kichu kahi bhay,,,,hum tang karab kichu din....
      21 July at 10:18 · · 4
    • Rajeev Ranjan Mishra aashish bhay....uper tippani me del rachna per vicharak bat johab hum....
    • Ashish Anchinhar phine san bhut besi neek bhel ja rhal achi... anhak gajl sabh rajeev bahi...
      21 July at 10:31 · · 1

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों