गुरुवार, 28 जून 2018

गजल

दर्दके सेहो ई दर्द दर्दनाक बुझाइ छै
लोक छै किछु जकरा लेल सब मजाक बुझाइ छै

एक छनमे बन्हन तोड़ि गेल बात बनाक ओ
आब नाता हमरो सूतरीक टाक बुझाइ छै

सोझके दुनियामे के पुछै समाज जहर बनल
नैन्ह टा बच्चा आ बूढ़ सब चलाक बुझाइ छै

धुंइया जोरक उठलै पड़ोसियाक दलानमे
रचयिता एहन षड्यंत्र केर पाक बुझाइ छै

मोंछ पर तेजी ओकीलबा घुमाक दएत छै
कचहरीके मुद्दामे बढल तलाक बुझाइ छै

2122-2221-2121-1212

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

मंगलवार, 26 जून 2018

नात

मिनट घंटा दिन महीना
रटलहुँ मदीना मदीना

दुनियाँमे मक्का भेलै
माथक नगीना नगीना

एथिन फेरो मोहम्मद
हुसैन सकीना सकीना

मेह्शर केर धारमे छै
काबा सफीना सफीना

देखत कोना मौलाकेँ
जे छै नबीना नबीना

सभ पाँतिमे 222-222-2 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। मूल शब्द छै ना-बीना मने "आन्हर" मुदा मैथिली उच्चारण हिसाबसँ एकरा "नबीना" लिखल गेल अछि। मैथिलीक उच्चारण हिसाबसँ नुक्ताक प्रयोग नै भेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 20 जून 2018

गजल

आब अप्पन आसन लेल
टाट चाही आँगन लेल

सत्य ईहो छै रे भाइ
मृत्यु चाही जीवन लेल

नेह चाही अपने हमरा
टीस चाही साजन लेल

राज्य नै चलतै हुनकासँ
नेत चाही शासन लेल

भोग चाहथि साधू संत
जोग चाही राजन लेल

सभ पाँतिमे 2122 2221 मात्राक्रम अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल अछि।

मंगलवार, 19 जून 2018

गजल

जुआनीके पहिल उत्सव मनेलौं हम
हियामे ओकरा जहिया बसेलौं हम

सुरुआते गजब छल सोलहम बरिसक
अचानक डेग यौवन दिस बढेलौं हम

उचंगाके कमी नै टोलमे कोनो
नजरि मिलिते इशारामे बजेलौं हम

गवाही चान तारा छै पहिल मिलनक
कलीके संग भमरा बनि फुलेलौं हम

असानी छै कहाँ टिकनाइ नेही बनि
समाजक रीतमे शोणित बहेलौं हम

कलम कापी किताबक कोन बेगरता
जखन इतिहासमे प्रेमी लिखेलौं हम

चिरै सन मोन ई उड़िते रहल कुन्दन
असम्भवपर किए असरा लगेलौं हम

बहरे-हजज (1222×3)

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

मंगलवार, 12 जून 2018

गजल

किछु काज भगवान भरोसे
किछु काज शैतान भरोसे

किछु लोक नोरेसँ भरल अछि
किछु लोक मुस्कान भरोसे

किछु आँखि सोनासँ सजल छै
किछु आँखि दुभिधान भरोसे

बहुते मजा आबि रहल छै
किछु बात अनुमान भरोसे

लाभक कथा के क' रहल अछि
किछु लाभ नुकसान भरोसे

सभ पाँतिमे 2212-21122 मत्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 1 जून 2018

गजल

किछु बात भेलै किछु किछु
शुरुआत भेलै किछु किछु

जे देखलहुँ सपनामे
सच बात भेलै किछु किछु

अइ मोनपर सुंदर सन
आघात भेलै किछु किछु

किछु शांति रहलै फेरो
उत्पात भेलै किछु किछु

हुनकर कृपा दुनियाँमे
खैरात भेलै किछु किछु

सभ पाँतिमे 2212-222  मत्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।


तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों