शनिवार, 31 जनवरी 2015

गजल

आब सहब नै दाबन ककरो
जोर जुलुम आ चापन ककरो

गेल जमाना क्रूरक सभकेँ
घर त हमर छल आसन ककरो

भेल बहुत जे भेलै काइल
लोक सुनै बस भाषण ककरो

पूत मधेसक छी स्वभिमानी
सहि कऽ रहब नै शोषण ककरो

दर्द विभेदक भारी कुन्दन
माथ हमर अछि चानन ककरो

मात्राक्रम : 2112-222-22

© कुन्दन कुमार कर्ण

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

गजल

नानी गेलै देखै लेए बारीमे आलू
लाइ उठा क' ओकर भगलै लालू

आँखि मुनि चारमे बेंग नुकाबै छै
कालू कौआ बनल कतेक छै चालू

केहेन होइ छै ई भोटक नाटक
बनि गेलै राज मंत्री चोरबा कालू

झट पट नेना सभ दौड़ क' आबै
देखही देखही कते नचै छै भालू

द' दे नानी आब 'मनु'केँ दू रुपैया
नै सोचै मनमे कोना एकरा टालू

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण १३)
जगदानन्द झा 'मनु'

सोमवार, 26 जनवरी 2015

गजल

बाल गजल


चिन्नी खेलहुँ चोरा चोरा
आरो धेलहुँ चोरा चोरा

भैया छै बड़का तँइ हमहूँ
बड़का भेलहुँ चोरा चोरा

हमरो जे कनियाँ रहितै से
खुब्बे गेलहुँ चोरा चोरा

गेल छलहुँ गाछी पिकनिक लेल
आँगन एलहुँ चोरा चोरा

जे भेटल जत्ते भेटल से
सभटा लेलहुँ चोरा चोरा

सभ पाँतिमे 22+22+22+22 मात्राक्रम अछि
चारिम शेरक पहिल पाँतिमे अलग-अलग लघुकेँ मिला कऽ दीर्घ मानल गेल अछि। एही पाँतिक अंतिम लघु अतिरिक्त अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 24 जनवरी 2015

भक्ति गजल (सरस्वती पूजा)

हे शारदे दिअ एहन वरदान
हो जैसँ जिनगी हमरो कल्याण

पूजब सदति हे माए बनि पूत
अपना शरणमे दिअ हमरा स्थान

निष्काम हो मोनक सभ टा आश
सुख शान्ति आ जगमे दिअ सम्मान

जिनगी समाजक लागै शोकाज
हमरा बना दिअ तेहन गुणवान

लिअ प्रार्थना कुन्दनकेँ स्वीकारि
बल वुद्धि विद्या आ दिअ ने ज्ञान

मात्राक्रम : 2212-222-221

© कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

भक्ति गजल




शारदे शारदे शारदे
नीक बनबाक आधार दे

जय विजय केर संगे कनी
बेबहारक सुखद हार दे

नै महल नै अटारी मुदा
एकटा नीक सन चार दे

दूर बैसल हमर लोक वेद
नीक छै से समाचार दे

लोक छै आब अनचिन्हरबा
किछु दे की नै दे चिन्हार दे



सभ पाँतिमे 212+212+212  मात्राक्रम अछि।

मक्ताक अंतिम पाँतिमे दू ठाम दीर्घकेँ लघु मानल गेल अछि

चारिम शेरक पहिल पाँतिमे अंतिम लघु छूटक तौरपर अछि।

बुधवार, 21 जनवरी 2015

गजल

छाती लगा सुतलहुँ सुतली रातिमे
घामे नहा उठलहुँ सुतली रातिमे

संसार कहलक हमरा दुख नै मुदा
बेसी अहीँ कहलहुँ सुतली रातिमे

बाते छलै एहन जे चुपचाप हम
मूड़ी झुका कनलहुँ सुतली रातिमे

सभ थाकि गेलै तकरा बादे सखी
हमहूँ कनी नचलहुँ सुतली रातिमे

पौआ पसेरी संगे एलै तखन
मुस्की अपन बटलहुँ सुतली रातिमे

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 2212+222+2212 अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

शनिवार, 17 जनवरी 2015

रुबाइ

करीब तीन सालक बाद ई काँच रुबाइ लिखाएल


ओना तँ रातुक सिंगार बड्ड नीक
अजोह ठोरक पिआर बड्ड नीक
नै नै नै नै नै कहलक बहुत बेर
मुदा मोनमे अनचिन्हार बड्ड नीक

शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

गजल

तोरा आदर कि केलियौ तूँ त हमरा सस्ता बुझि लेलही
बस अपनाकेँ गुलाब हमरा सुखल सन पत्ता बुझि लेलही

मोनक कुर्सी कि देलियौ बैस तोरा एके छन लेल हम
हमरे जिनगीक तूँ अपन राजनीतिक सत्ता बुझि लेलही

गजलक गंभीरता मधुरता असलमे तोरा की मालूम
हमरा शाइर त बात दूरक अपन तूँ भगता बुझि लेलही

शारीरिक हाउ भाउ तोहर बुझाइत रहलहुँ एना सदति
जेना नेहक रहै पहिल बेर हमरे खगता बुझि लेलही

नै छै जै मोनमे रहल चाह नेहक कोनो कुन्दन हमर
तै मोनसँ हम किएक जोडब अधूरा नाता बुझि लेलही

मात्राक्रम : 22221-212-2122-222-212

© कुन्दन कुमार कर्ण

शनिवार, 10 जनवरी 2015

गजल

आइ फेरो एलै अनचिन्हार हमर सारापर
आइ फेरो जरतै अनचिन्हार हमर सारापर

ताग सन झटपट टुटि गेलहुँ लोभमे पड़ि से ऐठाँ
आइ फेरो कहतै अनचिन्हार हमर सारापर

कमला कोशी गंगा जमुना बागमती छै तैयो
आइ फेरो डुबतै अनचिन्हार हमर सारापर

असगरें बड़ जड़लै जरिते रहलै मुदा हमरा संग
आइ फेरो जरतै अनचिन्हार हमर सारापर

हाथपर लिखने छल कहियो नाम सिनेहक नेहक
आइ फेरो लिखतै अनचिन्हार हमर सारापर



सभ पाँतिमे 2122+22+2221+12222 मात्राक्रम अछि।
दोसर, तेसर आ चारिम शेरमे लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। संगे-संग चारिम शेरक पहिल पाँतिमे एकटा अतिरिक्त लघु अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

गजल

बाल गजल

मोजा दे जुत्ता दे सीड़क दे सुइटर दे
बड़ ठंडा लागै बस चद्दरि दे मफलर दे

सुनि ले हमहूँ करबै खूब तमाशा सौंसे
तंतर दे अंतर दे जंतर दे मंतर दे

बड़ भूकै छै करिया कुक्कुर जोरे जोर
टुटतै एक्कर हड्डी बस लाठी नमहर दे

कफ जमि गेलै छातीमे खोंखीपर खोंखी
तँइ तरकारी बेसी कड़ुगर दे झँसगर दे

चिन्नी दे गूड़ो दे कुच्चा संगे दूधो
खट्टा खेबौ कम हमरा बेसी मिठगर दे

सभ पाँतिमे बारहटा दीर्घ अछि।
दू टा अलग-अलग लघुकँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघुकेँ संस्कृतक हिसाबें दीर्घ मानल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 3 जनवरी 2015

गजल

साँचमे शायद ओ नै चाहैत रहै
मोन झुठ्ठे सदिखन पतिआबैत रहै

फुलि हमर आगू ओ सुन्नर फूल जकाँ
बाग पाछू अनकर गमकाबैत रहै

हम हियामे बैसेलहुँ बुझि नेह अपन
तेँ सदति हमरा ओ तड़पाबैत रहै

साँच नेहक दुनियामे अछि मोल कहाँ
लोक जैमे जिनगी बीताबैत रहै

जाइ छल मन्दिर नित कुन्दन संग मुदा
प्राथनामे दोसरकेँ माँगैत रहै

मात्राक्रम : 212-222-2221-12

© कुन्दन कुमार कर्ण

अपने एना अपने मूँह-33



दिसम्बर २०१४मे "अ.आ"पर कुल १५ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि--

जगदानंद झा मनुजीक कुल ४टा पोस्टमे २टा गजल आ १-१टा बाल ओ भक्ति गजल अछि।
कुंदन कुमार कर्णजीक कुल ३टा पोस्टमे २टा गजल आ १टा बाल गजल अछि।
अमित मिश्रजीक २टा पोस्टमे १टा गजल अछि आ १टा पोस्टमे  शिव कुमारजी द्वारा लिखल आलोचना प्रस्तुत केने छथि।
रामकुमार मिश्रजीक १टा पोस्टमे १टा गजल अछि।
आशीष अनचिन्हारक कुल ५टा पोस्टमे २टा गजल, २टा बाल गजल आ १टा पोस्टमे अपने एना अपने मूँह अछि।
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों