रविवार, 27 अप्रैल 2014

गजल

हमर रचना एखन धरि काँच अछि
मुदा जे अछि से सब टा साँच अछि

अहाँ उगलै छी ज्वाला बाटपर
हमर घर शब्दक लहरल आँच अछि

पिछरि रहलै रिश्ता मनुखक बहुत
लगै छै सगरो समतल खाँच अछि

रसे-रस रथ घुसकत मिथिलाक यौ
अहाँ सिखबू बरु पाठक पाँच अछि

हमर नामे सप्पत खा ले "अमित"
हमर सत हमरे झूठक जाँच अछि


*खाँच= खाधि ।चेनकेँ नचेबाक लेल पैडिलक जेहन बनाबट होइत अछि ।
1222-2222-12
अमित मिश्र

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

गजल

पानि एना बरसल रे सुगबा
खेत ओक्कर सुक्खल रे सुगबा

भोट पड़लै ढ़ाकी के ढ़ाकी
लोकतंतर तरसल रे सुगबा

धाह लगलै एते चमड़ीमे
बिलसँ ओ सभ निकलल रे सुगबा

बस अकासे बाँचल फाइलमे
माटि चम चम चमकल रे सुगबा

कामिनी कंचन कादम्बक संग
मोन सभहँक बहसल रे सुगबा

सभ पाँतिमे 2122+222+22 मात्राक्रम अछि

अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतमे एकटा अतिरिक्त लघु लेबाक छूट लेल गेल अछि।


सुझाव सादर आमंत्रित अछि

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

गजल

कत' के कनियाँ कोने महफा हो राम
कत' के समधी कोने दुल्हा हो राम

देहक कनियाँ कर्मक महफा हो राम
सत समधी दुल्हा परमात्मा हो राम

किनकर हाथें सोहागिन बनलहुँ हम तँ
कोने सेनुरबा छै सोभा हो राम

हम जम हाथें सोहागिन भेलहुँ आइ
नोरक सेनुरबा छै शोभा हो राम

सभकेँ भेटै कर्मक फल अपने मोने
गाबै निरगुण अनचिन्हरबा हो राम

सभ पाँतिमे 222+222+222+21मात्राक्रम अछि।

अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

गजल

ओ एलै बहार एलै
सुनि मोनक पुकार एलै

गेलै मोन भरि उमंगसँ
नेहक जे हँकार एलै

हुनकर आगमनसँ हियमे
प्रीतक रस अपार एलै

दुनियाँ नीक लाग लगलै
जिनगीकेँ किनार एलै

सपना भेल एक पूरा
सुखकेँ दिन हजार एलै

मात्राक्रम: 2221-2122

© कुन्दन कुमार कर्ण

गजल


सोनाकेँ महलिया जखन टुटलै हो राम
सारा सन महलिया तखन बनलै हो राम

कानै संसार संग सुत मित सभ रहि रहि क'
छटपट्टी मोनमे हमर लगलै हो राम

काँचे बाँसक बना रहल महफा सभ कियो
पूरा भेलै जखन तखन उठलै हो राम

काठक उँचका पलंगिया सोभै बड़ बेसी
लह लह धधरासँ देहिया जरलै हो राम

जाबे धधरा रहै घरक आशा छल हमरा
पचकठिया होइते नगर छुटलै हो राम


सभ पाँतिमे 22+2221+122+2221 मात्राक्रम अछि।

चारिम आ पाँचम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

गजल

सरकारो हुनके छलै
हथियारो हुनके छलै

मूरख तूरख सभ कियो
बुधियारो हुनके छलै

गायक वादक बाइजी
दरबारो हुनके छलै

सुखलै मरलै जीव सभ
ई धारो हुनके छलै

लागल नै किछु दाम बस
पैकारो हुनके छलै

सभ पाँतिमे 2+2221+2 मात्राक्रम अछि।


सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

गजल

नजरि जे अहाँकेँ लाजे झुकल अछि
प्राण लेलक हमर जे आँचर खसल अछि

देखलहुँ एक झलकी जखने अहाँकेँ
लागल रूप मोनेमे बसल अछि

सत कहै छी अहाँकेँ हम मानियो लिअ'
बिनु अहाँ हमर जीवन शुन्ना बनल अछि

हम दुनू मिलि जँ जीवनमे संग चललहुँ
प्रेम जग देखतै मनमे जे भरल अछि

बिनु पएने अहाँके नै जगसँ जेबै
हाँ सुगन्धाक सुनि ली तें 'मनु' बचल अछि

(बहरे असम, मात्रा क्रम - २१२२-१२२२-२१२२)

जगदानन्द झा 'मनु'

गजल

तोरे नामे गमा देलहुँ जिनगी
आसामे तँ बिता देलहुँ जिनगी
हम तँ बेर-बेर हारि जाइत छलहुँ
हाथे पकड़ि तँ जिता देलहुँ जिनगी



गजल

चुप सन हुनकर ठोर आँखि लागैए
तैयो देहक भास किछु तँ बाजैए

एना हुनकर देह छूब' चाहै छी
जेना बच्चा आगि छूब' चाहैए

सारापर नोरक टघार छै जिनकर
मरलोमे हुनकर इयाद आबैए

पीयर हरियर नील लाल सभ
हुनके आँचर केर रंग लागैए

श्वासक डोरी टुटि खसत तकर बादे
सुनबै जे हरजाइ खूब कानैए

सभ पाँतिमे 22+2221+2122+2  मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

गजल



हम अहाँ झुट्ठे के मीता छी
बिख भरल उज्जर नवनीता छी

अछि अहाँ लग कैंची ओ नेता
हम अहीं सेवामे फीता छी

चाह नै जे ओहन सासुर हो
गर्भमे अँकुरल नव सीता छी

फूसि कहतै वा सच सभ सुनबै
कोर्टमे राखल हम गीता छी

मंच सापेक्षी चिन्नी बोरल
एकटा बस हमहीं तीता छी

सभ पाँतिमे 212+222+222 मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सोमवार, 14 अप्रैल 2014

गजल



कंच संग कंचन छै
हारि संग वंदन छै

बिख ल' नाचि उठलहुँ हम
दर्द केर मंथन छै

साँप घुमि रहल सौंसे
लग लगीच चंदन छै

ठोर चूमि कहलक ओ
प्रेम पाप भंजन छै

नोर खसि पड़ल जैठाँ
भूमि ओ तँ कुंदन छै

सभ पाँतिमे 21+2122+2 मात्राक्रम अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

गजल

ऐ बाल गजलक पहिल तीन शेर आ तकर बादक तीन शेर अलग-अलग पढ़ल जाए--


बाल गजल

रसगुल्ला दे छेना दे
नै लेबौ कम पूरा दे

हमरा थारीमे पुच्छी
नै खेबौ हम मूड़ा दे

माछी खसलै थारीमे
हमरा दोसर पूआ दे

खेलहुँ माँड़े भात सदा
आइ तँ हमरा चूड़ा दे

कत्ते घुमबै गाछीमे
कनियें टा बस दूरा दे

माटरजी माँगै पैसा
हमरा पहिने पैसा दे

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 222+222+2 अछि।

चारिम शेरक दूनू पाँतिमे 2टा लघुकेँ 1टा दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

बुधवार, 9 अप्रैल 2014

अपने एना अपने मूँह-25

मार्च २०१४मे कुल २६ टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि--

मिहिर  झा जीक कुल ६टा पोस्टमे ६टा गजल आएल।
ओमप्रकाशजीक १टा पोस्टमे १टा गजल आएल।
जगदानंद झा मनुजीक २टा पोस्टमे १टा गजल आ १टा भक्ति गजल आएल।
गजेन्द्र ठाकुर जीक १टा पोस्टमे "कथा गोष्ठीमे गजलक लोकप्रियता" बला लेख आएल।
आशीष अनचिन्हारक कुल १६टा पोस्टमे-
८टा गजल, १टा अपने एना अपने मूँह, १टा आलोचना, १टा सम्मान सम्बन्धी, १टा छंद सम्बन्धी आलेख आएल संगे संग योगानंद हीराजीक ३टा आ जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक १टा गजल प्रस्तुत कएल गेल।

सोमवार, 7 अप्रैल 2014

गजल



मस्जिद महँक भगवान छी हम
मन्दिर महँक रहमान छी हम

चढ़लहुँ अपन कन्हा तखन आइ
रामक बनल हनुमान छी हम

हटलो रहू सटलो रहू से
चिचिया रहल समसान छी हम

संतान अछि सैतान मीता
खाली महल दरबान छी हम

तीसी हँसल सरिसों सजल आ
गुम्हरि रहल नव धान छी हम

सभ पाँतिमे 2212+2212+2 मात्राक्रम अछि।
दोसर शेरक पहिल पाँतिक अंतमे 1टा लघु अतिरिक्त लेबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 5 अप्रैल 2014

गजल

बाल गजल

खिचड़ी भेटल गरम गरम
चोखा लागै लरम लरम

पापड़ घी ओ अचार सभ
हमरा मोनक भरम भरम

भोजन बादें भजन हवन
पेटक पूजा धरम धरम

चाहे जेहन लगै रहै
खेबामे नै शरम तरम

खेलहुँ खिचड़ी चमकि छमकि
भेटल मुख सुख परम परम


सभ पाँतिमे 22+22+12+12 मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

गजल

बाल गजल

नानी मौसी मामा दे
कक्का काकी बाबा दे

हमरो चाही किछु ने किछु
काशी मथुरा काबा दे

पिज्जा बर्गर चारि दिनक
मुरही भुज्जा लाबा दे

हमहूँ बनबै सोना सन
चुल्हा भट्ठी आबा दे

बरखा बुन्नी अपने छै
घैला चुकरी डाबा दे

सभ पाँतिमे 22+22+22+2 मात्राक्रम अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिमे दूटा अलग लघुकेँ एकटा दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।


सुझाव सादर आमंत्रित अछि

गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

गजल

बादलमे नुका जाइ छैक चान किए
अप्पन एतऽ बनि जाइ छैक आन किए

करबै नेह जे केकरो अपार हियसँ
तकरो बाद घटि जाइ छैक मान किए

राखब बात जे दाबि मोनकेँ कहुना
सभकेँ लागिये जाइ छैक भान किए

चाहब जे रही खुश सदति हँसैत मुदा
ई फुसि केर बनि जाइ छैक शान किए

कुन्दन कल्पनामे गजल कहैत चलल
सभ बुझि लेलकै प्रीत केर गान किए

मात्राक्रम: 2221-2212-12112

© कुन्दन कुमार कर्ण
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों