मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

अपने एना अपने मूँह-43

सितम्बर-१९मे कुल २टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल आ १टा अपने एना अपने मूँह अछि।
अक्टूबर-१९मे कुल १टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल अछि।
नवम्बर-१९मे कुल १टा पोस्ट अछि जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर अछि।
दिसम्बर-१९मे कुल ३टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल, १टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर आ १ टा अपने एना अपने मूँह अछि।

गजल कमला-कोसी-बागमती-महानंदा सम्मान

मात्र मैथिली गजलपर केंद्रित सम्मान "गजल कमला-कोसी-बागमती-महानंदा सम्मान" अछि जे किछु कारणवश स्थगित छल। 2011-2014 धरि ई चलल तकर बाद ठमकि गेल। मुदा ई फेरसँ शुरू हएत एवं एहिमे आब राशिक प्रावधान सेहो रहत जे कि 15000 रहत। योग्य रचना चुनबाक नियम पुरने सन अछि किछु संसोधनक संग। ई सम्मान दू चरणमे पूरा कएल जाएत जकर विवरण एना अछि--------

पहिल चरण-----------हरेक मासमे प्रकाशित गजल, बाल गजल, भक्ति गजल, रुबाइ, बाल रुबाइ, भक्ति रुबाइ, कता, फर्द, समीक्षा, आलोचना, समालोचना, इतिहासमेसँ एकटा रचना चूनल जाएत जे सालक बारहो मास चलत (साल मने 1 जनवरी सँ 31 दिसम्बर) । एहि तरहें चयन कर्ता लग अंतिम रूपसँ बारह रचना प्राप्त हेतन्हि। गजल बहरयुक्त हेबाक चाही। बिना बहर बला गजल मान्य नै हएत। सरल वार्णिक बहर बला गजल गजलक नवसिखुआ सभ लेल छै तँइ एहू बहर बला गजलकेँ हम बारब।

दोसर चरण------ चयनकर्ता अंतिम रूपमेसँ प्राप्त रचनाकेँ ओकर भाव, व्याकरण आदिक आधारपर एकटा रचना चुनताह, जे अंतिम रुपसँ मान्य हएत आ ओकरे ई पुरस्कार देल जाएत। रचना चुनबाक नियम-------------
1) रचना अनिवार्य रुपें "अनचिन्हार आखर" पर प्रकाशित होएबाक चाही। जँ कोनो रचनाकारक रचना अन्य द्वारा प्रस्तुत कएल गेल छैक सेहो मान्य हएत। कोनो अन्य पत्रिकामे प्रकाशित गजल सेहो मान्य हेतै मुदा ताहि लेल ओकर कटिंग आ अनापत्ति प्रमाण पत्र सेहो देल जाए पोस्टमे। चयन भेल रचनाकारक प्रतिबद्धता गजल ओ शेरो-शाइरीक विधा संग छनि वा नै सेहो देखल जाएत। संगहि संग चयन भेल रचनाकारक लेखन आ जीवनक आचरणमे कतेक साम्यता छनि सेहो देखल जाएत।

2) रचना मौलिक होएबाक चाही। जँ कोनो रचनाक अमौलिकता पुरस्कार प्राप्त भेलाक बाद प्रमाणित हएत तँ रचनाकार सँ अबिलंब पुरस्कार आपस लए लेल जाएत आ भविष्य मे एहन घटना के रोकबाक लेल " अनचिन्हार आखर" कानूनी कारवाइ सेहो कए सकैत अछि।

3) रचना चयन प्रकियाकेँ चुनौती नहि देल जा सकैए।

4) एहन रचनाकार जे मैथिलीक रचना के अन्य भाषाक संग घोर-मठ्ठा कए लिखैत छथि से एहि पुरस्कारक लेल सवर्था अयोग्य छथि, हँ ओहन रचनाकार जे मैथिली आ अन्य भाषा मे फराक-फराक लिखैत छथि तिनकर रचनाकेँ पुरस्कार देल जा सकैए, बशर्ते कि ओ अन्य पात्रता रखैत होथि।

5) पहिल चरणक प्रकिया हरेक मासक 5 सँ 10 तारीखके बीच आ दोसर चरण हरेक तिला-संक्रान्ति के पूरा कएल जाएत।

6) एहि पुरस्कारक चयन पूर्णतः आन-लाइन होएत । राशिक बेबस्था सेहो आने-लाइन रहत।

7) रचनाकार कोनो देशक नागरिक भए सकैत छथि।

8) " अनचिन्हार आखर"क संस्थापक एहि पुरस्कार मे भाग नहि लए सकैत छथि।

शनिवार, 28 दिसंबर 2019

गजल

हमरो भेटल सुन्ने सुन्ना
हुनको देलक तकरे दुन्ना

बेरोजगारीक तीन यार
धर्म शर्म भाषण झुनझुन्ना

छिड़िआ गेल छलहुँ हम बहुते
हमरा बान्हल भूखक जुन्ना

संसदमे के सभ पहुँचल छथि
सीसी बोतल ठेपी मुन्ना

ओ सभ मरलै जिनका कारण
से गाबै छथि ता ता तुन्ना

सभ पाँतिमे  22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।






सोमवार, 4 नवंबर 2019

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-24

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
एक रात में दो दो कोबर बनी
एक नैहर में एक सासुर में 
मिथिलांचलमे ई कोबर गीत कहियो धूम मचेने छल। ई कोबर गीत एकटा हिंदी फिल्मी गीतक पैरोडी अछि। मूल बोल एना छै " एक रात में दो-दो चाँद खिले, एक घूँघट में एक बदली में"। फिल्म "बरखा" केर ई नज्म जे कि मुकेश ओ लता मंगेशकर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि राजेन्द्र कृष्ण। संगीतकार छथि चित्रगुप्त। ई फिल्म 1 January 1960 मे रिलीज भेलै। एहिमे जगदीप, नंदा, लीला चिटनिस आदि कलाकार छलथि। एहि नज्म वा गीतमे ठीकसँ बहरक पालन नै भेल अछि मुदा बहरक बहुत लग-लगीचमे अछि आ गायनमे एकरा एक मीटरमे बैसा देल गेल छै तँइ हम एहि गीतक चयन केलहुँ। पाठक एकरा पढ़ि अनुमान लगा सकै छथि जे नीक गजल-गीत लेल बहर कतेक अनिवार्य होइत छै। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानि लेबाक जे उर्दू परंपरा छै गजलमे तकरे मैथिलीमे लेल गेल छै आ से प्रायः सभ जनिते हेता। 
एक रात में दो-दो चाँद खिले (9 दीर्घ)
एक घूँघट में एक बदली में (9 दीर्घ)

अपनी अपनी मंज़िल से मिले (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एक घूँघट में एक बदली में (9 दीर्घ)

बदली का वो चाँद तो सबका है (9 दीर्घ आ 1 लघु)
घूँघट का वो चाँद तो अपना है (9 दीर्घ आ 1 लघु)

मुझे चाँद समझने वाले बता (7 दीर्घ आ 1 लघु)
ये सच है या सपना है (7 दीर्घ)

मालूम नहीं दो अंजाने (8 दीर्घ)
राही कैसे मिल जाते हैं (8 दीर्घ)

फूलों को अगर खिलना हो (7 दीर्घ आ 1 लघु)
वीराने में भी खिल जाते हैं (9 दीर्घ)

आब एहि गीतक मैथिली पैरोडी पढ़ू--

एक रात में दो दो कोबर बनी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एक नैहर में एक सासुर में (9 दीर्घ)

नहिरा के कोबर में डिबिया जरी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर में बलब लगी (9 दीर्घ)

नहिरा के कोबर में पटिया सजी (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर में पलंगा सजी (10 दीर्घ)

नहिरा के कोबर में अम्मा मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर सासू मिली (8 दीर्घ आ 1 लघु)

नहिरा के कोबर में भाभी मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
ससुरा के कोबर जेठानी मिली (9 दीर्घ आ 1 लघु)
एहि कोबर गीतमे वर्णित भौतिक साधनपर देखबै तँ खाँटी मैथिल अवस्थाक दर्शन हएत। पहिल कोबरमे कनियाँकेँ डिबिया आ पटिया भेटलै से कोबर निश्चित रूपें नैहराक कमजोर आर्थिक स्थितिक वर्णन करैत छै तँ दोसर कोबर (सासुर बला)मे क्रमशः बल्ब आ पलंगसँ कनियाँक पति ओ ससुरक मजबूत आर्थिक स्थितिकेँ उजागर करैत छैक। संबंधमे अम्मा आ सासु केर वर्णन तँ ठीक मुदा मैथिल समाजक हिसाबें भाउजक संग ननदि हेबाक चाही छलै कारण लड़की अपन सासुरमे जेठ दियादिनी बदला ननदि केर संग सहज रहैत छै से ओ ननदि चाहे अपन हो कि पड़ोसिया बला। 
एकर तक्ती मैथिली नियमपर कएल गेल अछि।  दूनू गीत निच्चा सुनि सकैत छी ---

मूल हिंदी गीत

पैरोडी मैथिली गीत 


शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

गजल

हुनकर बाजब काँटे कूस
सुनबैया के मनुआ झूस

हमरा चाही हुनकर नेह
बाजू लेबै कत्ते घूस

भागल रौदी दाही बेर
खाली आबै माघे पूस

धर्मी डूबल बिच्चे धार
बड़का पापी अनका दूस

नेता भेलै लड्डूलाल
जनता भेलै लेमनचूस

सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। "धर्मी डूबल बिच्चे धार" ई पाँति कबीरक एक पदसँ प्रेरित अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

गुरुवार, 12 सितंबर 2019

गजल

किछु नै भेलहुँ जीवनमे
अपजश लेलहुँ जीवनमे

जहिया जखन भूख लागल
धोखा खेलहुँ जीवनमे

दुख दर्द आ नोरे नोर
अतबे धेलहुँ जीवनमे

अपन मरजीसँ गेल रही
अपने एलहुँ जीवनमे

बहुत बेर बहुत कारणसँ
मूँहे बेलहुँ जीवनमे

सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।



शनिवार, 7 सितंबर 2019

अपने एना अपने मूँह-42

जनवरी-१९मे कुल २टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल आ १टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर अछि।
फरवरी-१९मे कुल २टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल आ १टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर अछि।
मार्च-१९मे १टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक गजल अछि।
अप्रैल-१९मे कुल ४टा पोस्ट अछि जाहिमे अमित मिश्राक १टा आ आशीष अनचिन्हारक ३ टा गजल अछि।
मइ-१९मे कुल ५ टा पोस्ट अछि जाहिमे ५टा आशीष अनचिन्हारक गजल अछि।
जून-१९ मे कुल १टा पोस्ट अछि जाहिमे १टा आशीष अनचिन्हारक हिंदी फिल्मी गीतमे बहर अछि।
जुलाइ-१९मे २टा पोस्ट अछि जाहिमे २टा आशीष अनचिन्हारक गजल अछि।
अगस्त-१९मे कुल २टा पोस्ट अछि जाहिमे २टा आशीष अनचिन्हारक गजल अछि।

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

गजल

अगर मगरमे जीवन बीतल
गीजल कादो फेरो गीजल

पढ़ने रहियै जे अगर मगर
जीवन भरि से बहुते लीखल

जिम्मा हिस्सा  के झगड़ामे
ई अगर मगर हमहूँ सीखल

असगर सुन्न पड़ल आँगनमे
अपने रूसल अपने बौंसल

अलगे अनुभव हुनका छुबिते
पलमे ठंडा पलमे धीपल

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

गजल

निशानापर बूढ़ संगे बच्चा छै
देशमे आब युवा केर सत्ता छै

दर्दक अनुभव होइतो नोर रोकब
ईहो एक तरहँक गर्भहत्या छै

सत्य हुनकर ठोरक चुप्पी जगतमे
बाद बाँकी बात मिथ्ये मिथ्या छै

केकरो हाथमे भरलाहा भारी
केकरो हाथमे खाली डिब्बा छै

लोहा के हो प्लास्टिक के या काठक
कोनो कुर्सी अपनामे सत्ता छै

सभ पाँतिमे 22 22 22 22 22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शनिवार, 6 जुलाई 2019

गजल

हौआ एलै राजाजी के राजमे
की नै भेलै राजाजी के राजमे

चतरल पसरल घनगर हरियर गाछ सभ
बड़ मुरझेलै राजाजी के राजमे

पातर गहुमन धामन आरो साँप सभ
बड़ मोटेलै राजाजी के राजमे

जे चौपेतल चुनरी छातीपर रहै
से उधिएलै राजाजी के राजमे

नीरो बनि गेलै चूनल सरकार आ
बंसी टेरै राजाजी के राजमे

सभ पाँतिमे 22 22 22 22 212 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि



सोमवार, 1 जुलाई 2019

गजल

बनि ठनि रचि रचि कऽ सिंगार केलक ओ
हमर सारापर पिकनिक मनेलक ओ

गरीबक हिस्सा खेलक पचेलक ओ
तकर बादे धारे झा कहेलक ओ

चलब नियति छै जीवन केर ई कहि कऽ
बाटे घाटे अनवरत घुमेलक ओ

पहिने बनेने छल बम गोली मुदा
अइ बेर हमरा पायल बनेलक ओ

अनचिन्हारे सन कठकरेज बुझलक
तँइ उदास खिस्सा हँसि कऽ सुनेलक ओ

सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 8 जून 2019

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-23

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

फिल्म "बाबुल" केर ई नज्म जे कि तलत महमूद ओ शमशाद बेगम जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि शकील बदायूँनी। संगीतकार छथि नौशाद। ई फिल्म 1950 मे रिलीज भेलै। एहिमे दिलीप कुमार, नरगिस, सुलताना आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 22-22-22-22-22-22-2 अछि।  पूरा नज्म प्रेम-विरह आ गेयतासँ भरल अछि मुदा हरेक पाँतिमे बहरक पूरा पालन भेल छै।ई नज्म ओहन-ओहन लोकक मूँहपर थापर अछि जे कहै छथि जे बहरक पालनसँ कथ्य आ गेयता घटि जाइ छै।

मिलते ही आँखें दिल हुआ दीवाना किसी का
अफ़साना मेरा बन गया, अफ़साना किसी का

पूछो ना मोहब्बत का असर, हाय न पूछो
दम भर में कोई हो गया, परवाना किसीका

हँसते ही न आ जायें कहीं, आँखों में आँसू
भरते ही छलक जाये ना, पैमाना किसीका

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।  ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--


शुक्रवार, 31 मई 2019

गजल

अखबारे सरकार छै
सरकारे अखबार छै

ई बुझलहुँ केनाहुतो
उपकारे अपकार छै

राजा मंत्री आ प्रजा
दरबारे दरबार छै

एलहुँ हम सुख दुख भुजा
संसारे कंसार छै

अइ धनिकक जनतंत्र लेल
रखबारे रखबार छै

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 22-22-212 अछि। अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 24 मई 2019

गजल

कहलथि सरदार भुँइ भुँइ सिंग
जनते बेकार भुँइ भुँइ सिंग

हे नीपि पोति राखू आँगन
एथिन सरकार भुँइ भुँइ सिंग

असगर राजा असगर रानी
असगर दरबार भुँइ भुँइ सिंग

प्रेते सन छनि जीवन हुनकर
भेलथि असवार भुँइ भुँइ सिंग

कोन जुलुम जे अइ दुनियाँमे
चाहथि परचार भुँइ भुँइ सिंग

भने सुखाएल रहौ आँगन
अपने रसदार भुँइ भुँइ सिंग

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 22 मई 2019

गजल

छै दालि भात तीमन खंडित
गरीबक भाग भोजन खंडित

एहन सुदीन कहिया हेतै
साँखर खंडित धामन खंडित

ई बात वएह बूझत जकर
एक नजरिमे जीवन खंडित

भवसागरमे रहने बसने
भवसागर के बंधन खंडित

अइ कारोबारी दुनियाँमे
सभहँक इच्छा सदिखन खंडित

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 18 मई 2019

गजल

दुभि धान जान हमर
फुल पान जान हमर

लय ताल भास सरस

सुर तान जान हमर

प्रत्यक्ष आस रहल

अनुमान जान हमर

छै सीता राम लखन

हनुमान जान हमर

कमजोर देह मुदा

बलवान जान हमर

सभ पाँतिमे 2212-112 मात्राक्रम अछि।चारिम शेरक पहिल पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानबा छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 8 मई 2019

गजल

मोनक उप्पर बात बहुत
मोनक भित्तर घात बहुत

बिहाड़ि या कोनो कारण
गाछक निच्चा पात बहुत

छौंड़ी सन तरसाबैए
हमरा सभकेँ भात बहुत

सरकारक मेहरबानी
तँइ भेलै उत्पात बहुत

अनचिन्हारक कपारमे
नोरक छै खैरात बहुत

सभ पाँतिमे 222 2222 मात्राक्रम अछि। दूटा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

गजल

पेटक लड़ाइमे हारत के
खेतक लड़ाइमे हारत के

वचन हुनकर महामिलन केर
भेंटक लड़ाइमे हारत के

फरिया ने सकलै जीवन भरि
नेहक लड़ाइमे हारत के

टेटर कहाँ कियो देखि सकल
घेघक लड़ाइमे हारत के

अनचिन्हारक विरुद्ध समाज
जीतक लड़ाइमे हारत के

सभ पाँतिमे 222 222  22 मात्राक्रम अछि। दूटा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

गजल

अपने जन्मल इफ आ बट
चुप्पे पसरल इफ आ बट

किंतु परंतु के फेरमे
पित्ते लहरल इफ आ बट

संबंधक नकली मुँहपर 
बहुते चमकल इफ आ बट

बाहर बाहर मिलजुल मन
भीतर उपजल इफ आ बट 

ईगो संदेहक संगे

सजि धजि निकलल इफ आ बट



सभ पाँतिमे 222 2222 मात्राक्रम अछि। "मिलजुल मन" हिंदीक एकटा प्रसिद्ध पोथीक नाम सेहो छै। दूटा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

रविवार, 14 अप्रैल 2019

गजल

उनमत्त नेता  प्रशासन बेहाल   छै
बाजै सगुनिया चुनाबी  ई साल छै

भाषणसँ राशन किना रहलै गाममे
जनताक चुल्हा  निरैठें  बदहाल  छै

ने भूख ने प्यास ने  गप उन्नतिक छै
मुद्दा धरम जाति   छेकने चौपाल छै

बिरथे जनम भेल अछि परजातंत्रमे
शासक त' हमहीं मुदा सुन्न भाल छै

धन्ना बनल एत' शासक छै  सेठ सन
निमुधन टुअर भेल जनता कंगाल छै

2212    2122     2212

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

गजल

हुनका आगू कोनो मुद्दा नै बँचलै
कुर्सी टेबुल चप्पल जुत्ता नै बँचलै

जिनका आगू राखल छै खाली आँठी
तिनका आगू रसगर गुद्दा नै बँचलै

सभ भऽ गेलै अपना मोने साधू संत
अइ संसारमे कियो लुच्चा नै बँचलै

हेहर कहियौ थेत्थर कहियौ या किच्छो
ई सच सभ दिन बँचलै सत्ता नै बँचलै

भूखसँ जो़ड़ल समान एलै बजारमे
महँगा नै बँचलै आ सस्ता नै बँचलै

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 222 222 222 22 अछि। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 13 मार्च 2019

गजल

रूसल रहलै खाली पेट
नहिये भेलै राजी पेट

भरले पेटक पूछम पूछ
नै नै करतै हाँ जी पेट

कत्ते करतै पूजा पाठ
साधुक सेहो पापी पेट

पूरा जीवन दुन्नू साँझ
खाली रहलै खाली पेट

कखनो अफरल कखनो धोधि
लुच्चा छै सरकारी पेट

सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

गजल

इम्हर एने तगमा भेटत
उम्हर गेने घटना भेटत

मूड़ी झुकने बाबू सभहँक
दिल्ली भेटत पटना भेटत

कत्ते देखब हुनकर भीतर
जे सभ भेटत ठकना भेटत

पाखंडी सभहँक चाँगुरमे
राधा भेटत सलमा भेटत

अनचिन्हारक संगे रहने
इच्छा भेटत सपना भेटत

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।



शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-22

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

फिल्म "हाँ मैंने भी प्यार किया" केर ई नज्म जे कि उदित नारायण जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि समीर। संगीतकार छथि नदीम-श्रवण। ई फिल्म 2002 मे रिलीज भेलै। एहिमे अक्षय कुमार, करिश्मा कपूर, अभिषेक बच्चन आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122-122-122-122 अछि।  पूरा नज्म प्रेम-विरह आ गेयतासँ भरल अछि मुदा हरेक पाँतिमे बहरक पूरा पालन भेल छै।ई नज्म ओहन-ओहन लोकक मूँहपर थापर अछि जे कहै छथि जे बहरक पालनसँ कथ्य आ गेयता घटि जाइ छै। एहि नज्मक रुबाइ "तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे...." माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै। संगे-संग नज्मक अंतिम पाँति "जा मैंने भी प्यार किया है" फिल्मी सिचुएशनकेँ देखेबाक लेल छै।

तेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे
तेरे हाथों की मेंहदी महकती रहे
तेरे जोड़े की रौनक सलामत रहे
तेरी चूड़ी हमेशा खनकती रहे

मुबारक हो तुम को ये शादी तुम्हारी
सदा खुश रहो तुम दुआ है हमारी
तुम्हारे कदम चूमे ये दुनिया सारी

तुम्हारे लिए है बहारों के मौसम
न आये कभी ज़िन्दगी में कोई गम
हमारा है क्या यार हम है दिवाने
हमारी तड़प तो कोई भी न जाने
मिले ना तुम्हें इश्क़ में बेक़रारी

के जन्मो के रिश्ते नहीं तोड़े जाते
सफर में नहीं हमसफ़र छोड़े जाते
न रस्मों रिवाजो को तुम भूल जाना
जो ली है कसम तो इसे तुम निभाना
के हमने तो तन्हा उमर है गुजारी

जा मैंने भी प्यार किया है
हाँ मैंने भी प्यार किया है

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।  ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-21

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

फिल्म "बहारें फिर भी आएंगी" केर ई नज्म जे कि महेन्द्र कपूर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि कैफी आजमी। संगीतकार छथि ओ.पी.नैयर। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे धर्मेंद्र, तनुजा, माला सिन्हा आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222-1222-1222-1222 अछि।  पूरा नज्म जीवन-दर्शन आ गेयतासँ भरल अछि मुदा हरेक पाँतिमे बहरक पूरा पालन भेल छै।ई नज्म ओहन-ओहन लोकक मूँहपर थापर अछि जे कहै छथि जे बहरक पालनसँ कथ्य आ गेयता घटि जाइ छै।

बदल जाये अगर माली चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी

थकन कैसी घुटन कैसी चल अपनी धुन में दीवाने
खिला ले फूल काँटों में सजा ले अपने वीराने
हवाएं आग भड़काएं फ़िज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी

अँधेरे क्या उजाले क्या ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आएँगे प्यारे तेरे अरमां तेरे सपने
ज़माना तुझसे हो बरहम ना आये राह पर मौसम
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। "चल अपनी" एकर तक्ती अलिफ-वस्ल केर नियमसँ छै। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--


गुरुवार, 3 जनवरी 2019

गजल

जक्खन देखू सुंदर देखू
हरियर चश्मा हरियर देखू

छै बेटी भेने दुन्ना दुख
सासुर देखू नैहर देखू

भुसकौल लेखक पोथी मोट
अद्भुत अद्भुत थैहर देखू

भीतर तकने बाहर भेटत
अपना अपनी अंतर देखू

छै प्रवृति मनुक्खक कुक्कुर सन
ज्ञानी कहलक बानर देखू

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।


तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों