छथि सिया जन धिया मैथिली जानकी
मोनमे बस रहथि मृणमयी जानकी
भूमिमे भूमिका छल बनल ताहि दिन
कोखिमे सोन सन पार्थवी जानकी
बुद्धि ओ रूपमे तीक्ष्ण आ सौम्य धरि
शिव धनुषकेँ उठा कामिनी जानकी
राम तोड़ल धनुष जे जनक मोनमे
एक भेलथि अपन रामजी जानकी
भाग के दोष या राम माया रचल
वन गमन सिय हरण मानिनी जानकी
राम लक्ष्मण सकल सैन्य हनुमानपर
भार छल ताकि आनब सही जानकी
क्रूर रावण मरण दामिनी अग्निमे
आबि सासुर सुनथि बतकही जानकी
राम जानथि मुदा फेर सिय वन गमन
गर्भमे रत्न रखने रही जानकी
ॠषि वाल्मीकि रखलनि अपन धर्म आ
पोसलनि पुत्र अभिमानिनी जानकी
अश्व लव कुश पकड़ि युद्ध केलथि बहुत
हारि गेलथि अपन रामजी जानकी
भूमिजा भूमि गेलीह बड़ दुख सहैत
दर्द दुख केर छथि जीवनी जानकी
आधुनिक कालमे राम रावण जहाँ
आइयो दुख सहथि भगवती जानकी
सभ पाँतिमे 212-212-212-212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम अछि। 11म शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।