अहाँ सुनबै जँ नहि हम केकरा कहबै
पिया जुलमी हमर दुख हम कते सहबै
सखी बहिना अहाँके प्रेममे छूटल
पिया हम आब कोना असगरे रहबै
निहोड़ा आब करु हम कोन विधि सजना
सगर उसरैग एही भक्त पर ढहबै
विरहके आगिमे जरि मरि रहल छी हम
अहाँ आइब करेजामे कखन गहबै
रहत नेहक वचन नै यादि ‘मनु’ जा दिन
जहर माहुर अछैते पानिमे बहबै
(बहरे हजज, मात्रा क्रम 1222-1222-1222)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’