शनिवार, 31 मई 2025

गजल

बड़ सुनल जस  माइ हे तोहर दुअरिया

जोड़ि कल अनलौं  सिनेहक हम गठरिया

 

सूप डाला कोनिया सभमे अरज छै

थाढ़ दुखलै गोरबा   फेरूँ नजरिया

 

दुख दुखीयाकेँ हरै   परमेश्वरी तूँ

माइ हमरे बेरिया मुनलअ किबरिया

 

दिन छये देने छलौं शोभा अपन जे

फेर दर्शन दिअ अहाँ हम छी भिखरिया

 

मोन टूटल जाइए  छल देह टूटल

‘मनु’ तकै छै माइकेँ सगरो नगरिया

 

(बहरे रमल, मात्राक्रम 2122-2122-2122)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 

 


मंगलवार, 13 मई 2025

रुबाइ

जीवन मृत्युकेँ छोर तोहर हाथमे

कठपुतली इ जग डोर तोहर हाथमे

हम सरनागत एलौं तोहर सरनमे

सगरो कष्टक तोड़ तोहर हाथमे

             ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’



रविवार, 11 मई 2025

रुबाइ


जिनका देलौं करेजा वेपारी

मोनसँ खलेलनि जनि हमर लाचारी

हम रहि सिधा साधा सज्जन बेचारी

पहुँचल फेरल बड़ पैघ खेलाड़ी

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’



तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों