शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

गजल

गजल

इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
धारक दर्द कछेर सँ पुछियौ


नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
काठक दर्द कमार सँ पुछियौ


समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ


सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ


करबै की हाथ आ गला मिला कए
अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ

1 टिप्पणी:

  1. सभ दिन हमरा लेल मधुश्रावनिए थिक
    टेमी दगेलाक पछातिओ नहि कुहरैत छी

    नीक।ड्डबड्ड नीक

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों