गजल
१
इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
धारक दर्द कछेर सँ पुछियौ
नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
काठक दर्द कमार सँ पुछियौ
समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ
सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ
करबै की हाथ आ गला मिला कए
अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ
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शनिवार, 28 फ़रवरी 2009
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
हमर पूरा नाम थिक आशीष कुमार मिश्र। गामक नाम अछि भटरा-घाट(बिस्फी)।हम वर्तमान मे लाजिस्टिक सेक्टर (ए.बी.सी इंडिया लिमिटेड) मे लेखाकर्मी के पद पर कार्यरत छी।हमर शिक्षा गाम एवं कलकत्ता मे भेल। आब इ ब्लागक संग अपने लोकनिक शरण मे छी।आशा अछि जे हमर प्रयास आहाँ सभ के पसिन्न होएत।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
सभ दिन हमरा लेल मधुश्रावनिए थिक
जवाब देंहटाएंटेमी दगेलाक पछातिओ नहि कुहरैत छी
नीक।ड्डबड्ड नीक