जकरा केलहुँ अपना बुझि
से सभ भागल अनका बुझि
हमरा गेने घाटा छनि
नहिए गेलहुँ दुविधा बुझि
बजने हेतै किछु ने किछु
चुप्पे रहलै खतरा बुझि
असगर रहलहुँ आँगनमे
लोको देखै मजमा बुझि
हेता ओ साँचक मुरती
जनता पहुँचल चमचा बुझि
सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
अनचिन्हार आखर
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मंगलवार, 30 जुलाई 2024
गजल
शुक्रवार, 5 जुलाई 2024
रुबाइ
मुँह पर दरद आबि जेए ओ मरद नै
हर बहैत जे बसि जेए ओ बरद नै
जिम्मेदारी घरक ल गेल विदेशमे
‘मनु’ केना बुझलक जेए ओ दरद नै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
रविवार, 28 अप्रैल 2024
गजल
काज पड़िते मुदा सिता गेलै
छै चलनसारि देशमे बहुते
केलहो काज किछु गना गेलै
अंत धरि रोकलहुँ मुदा तैयो
आँखिमे नोर झिलमिला गेलै
ताकमे दुख रहै जे टुटि जेतै
धैर्यमे देखि ओ पिता गेलै
लोक उम्मेद रखने अछि फाजिल
एक हम छी जकर छिना गेलै
सभ पाँतिमे 212-212-1222 मात्राक्रम अछि। किछु पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2024
रुबाइ
पागल हम दुनियामे पियार तकै छी
भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी
नै कोनो दाम मनुख आ मनुखताकेँ
स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
रविवार, 31 मार्च 2024
गजल
हम बनब चाहै छलौं की कि बनि गेलौं
प्रेममे प्रियतम अहीँ केर सनि गेलौं
आश जे परिवारकेँ आब नहि रहलै
जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै
सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा
प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं
मोनकेँ भीतर घराड़ी बसल सदिखन
छल लिखल परदेशके देश मनि गेलौं
नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै
मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं
(बहरे कलीब, मात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 26 मार्च 2024
रुबाइ
बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि
शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि
एही दुनियासँ जहन अहाँ चलि गेलौं
बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 8 मार्च 2024
गजल
ॐ
सरल शुद्ध सुंदर महादेव शंकरनिरंकार शंकर महादेव शंकर
ॐ
विरूपाक्ष कैलाश वासी गिरिश्वर
कपाली भयंकर महादेव शंकर
ॐ
जटाजूट गंगा तिलक संग चंदा
बड़द संग अजगर महादेव शंकर
ॐ
भरल भूत आँगन मरल बाघ आसन
सकल काज दुष्कर महादेव शंकर
ॐ
कहींपर सजल छथि कहींपर रचल छथि
कहींपर दिगंबर महादेव शंकर
ॐ
सुनाबथि कहानी सरस बनि भवानी
सहज छथि दयाकर महादेव शंकर
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शनिवार, 17 फ़रवरी 2024
गजल
पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल
जे प्रेममे डूबल जीविते तरि गेल
सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक
अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल
धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत
हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल
आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ
डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल
पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब
तोरासँ जे मृगनयनी नजरि लरि गेल
(बहरे सलीम, मात्रा क्रम - 2212-2221-2221)
जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024
गजल
नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै
प्रेम जकरा देलियै ओ तीत भेलै
जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं
जे कियो ई बुझलकै भयभीत भेलै
बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक
आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै
जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै
ओकरे सभके किए ई जीत भेलै
भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु’
लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम 2122-2122-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 30 जनवरी 2024
गजल
किछु नै कहलक ओ कहियो कऽ
हमहूँ नै बुझलहुँ बुझियो कऽ
दुश्मन यदि हो अपने लोक
रहि सकबै कोना हटियो कऽ
जे जे रहलै हुनका संग
ओकर गिनती नै रहियो कऽ
लिखलहुँ हम जेहन जे पाँति
अपनो नै बुझलहुँ लिखियो कऽ
सारापर करतै जयकार
लेखककेँ नै सुख मरियो कऽ
सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। ई बहरे विदेह अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
गजल
ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा
कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा
पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा
किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा
केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा
हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा
सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शनिवार, 16 दिसंबर 2023
गजल
हँसि क’ तोरब मोन नहि हम सीखने छी
नहि करेजामे सभक घर छेकने छी
हम तँ लूटेलौ जतय तन मन जनम भरि
हाथ हुनकर बहुत माहुर चीखने छी
आश छल अपनो समयमे रंग हेतै
दूर रंगक ओहि टोलसँ एखने छी
कीनबाकेँ लेल शहरक वास दू धुर
चास गामक तीन बीघा बेचने छी
करु शिकाइत एहि दुनियाकेँ कते ‘मनु’
लैत मीतक जान सगरो देखने छी
(बहरे रमल, मात्राक्रम 2122-2122-2122)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
रविवार, 26 नवंबर 2023
गजल
बुढ़िया बिन अछैते मरै नै आस छै
गामक आइ केहन असल रखबाड़ छै
एको धुर बचल ओकरा नै चास छै
शिक्षा केर घरमें बिकाइ ज्ञान छै
आजुक राजनीतिक कतेक बिनास छै
बनबे लेल कनियाँ तकै अरदास छै
बाबू माय एने बजट बिगड़ैत छै
साढ़ू सारि ‘मनु’ बैंक खासम खास छै
मात्राक्रम : 2221-2212-2212 सभ पाँतिमे। तेसर शेरकेँ दोसर पाँतिमे दूटा अलग अलग लघुकेँ दिर्घ मानक छूट लेल गेल अछि।
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
गुरुवार, 23 नवंबर 2023
गजल
दरेगक कमी छै फरेबक कमी नै
रहल लाश सड़िते हमर संग अनको
चिता के कमी या जमीनक कमी नै
कहींपर बुझौअलि कहींपर पहेली
समय साल कोनो रहस्यक कमी नै
कतौ भूख नै छै कतौ रोग नै छै
कहत बात ईहो गवाहक कमी नै
सही लेल दुनियाँ अभावे गनेलक
गलत लेल देखू कुबेरक कमी नै
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
बुधवार, 22 नवंबर 2023
रुबाइ
आपस क दे ओ हमरा हमर बितल दिन
किरया तोरा द दे ओ सगर बितल दिन
आब ताकै कतौ नहि भेटतौ तोरा
खुशीसँ ‘मनु’क संग जे तोहर बितल दिन
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 21 नवंबर 2023
रुबाइ
हे कृष्ण गोविंद मुरारी मिता हमर
सगरो दुनिया केर मालिक पिता हमर
छोरि ‘मनु’क करेजा किएक तू गेलअ
घुरि आबअ नहि तँ सजत आब चिता हमर
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
गुरुवार, 16 नवंबर 2023
रुबाइ
तोरा नहि हम छोड़लौं नहि हम बेवफा
तोरा बिन नहि मरलौं नहि हम बेवफा
प्राण गेल तोहर बुझि नहि जीवैत ‘मनु’
बिन काठीए जरलौं नहि हम बेवफा
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 14 नवंबर 2023
रुबाइ
मीरा केर हरने अहाँ कते दुख छी
साग खाय विदुरकेँ भेल बड्ड सुख छी
हे माधव ‘मनु’ केर अपन भक्ति दय दिअ
सबसँ सुन्नर दुनियामे अहाँक मुख छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’