बम सँ डेड़ाएल अछि मनुख सँ हेमान धरि
जानवर तँ जानवर भगवत्ती सँ भगवान धरि
नीकक लेल सोहर खरापक लेल समदाउन
गाबि रहल गबैआ सोइरी सँ श्मसान धरि
समालोचना केकरा कहैछ छैन्ह किनको बूझल
अछि सगरो पसरल निन्दा सँ गुणगान धरि
राम नाम केर लूटि थिक लूटि सकी त लूटू
लूटि रहल छथि अगबे दक्षिणा पंडित सँ जजमान धरि
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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009
गजल
गजल
एकटा चान जे हमरा लग राति मे अबैए
वएह त कागत पर पाँति मे अबैए
जीबाक लेल त जी सकैत छी अहाँक बिनु
मुदा कतेक दिन सएह त ने बुद्धि मे अबैए
आँखि सँ नमहर सपना नहि देखबाक चाही
फुनगीक आस मे बैसल जड़ि मे अबैए
पिजाएल लाठी किएक केकरा लेल
अपने खुट्टाक बड़द त जजाति मे अबैए
किएक केकरो घरवाली के कहबै हड़ाशंखनी
जखन अपने घरवालीक गनती हड़ाहि मे अबैए
एकटा चान जे हमरा लग राति मे अबैए
वएह त कागत पर पाँति मे अबैए
जीबाक लेल त जी सकैत छी अहाँक बिनु
मुदा कतेक दिन सएह त ने बुद्धि मे अबैए
आँखि सँ नमहर सपना नहि देखबाक चाही
फुनगीक आस मे बैसल जड़ि मे अबैए
पिजाएल लाठी किएक केकरा लेल
अपने खुट्टाक बड़द त जजाति मे अबैए
किएक केकरो घरवाली के कहबै हड़ाशंखनी
जखन अपने घरवालीक गनती हड़ाहि मे अबैए
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