गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
फिल्म "बहारें फिर भी आएंगी" केर ई नज्म जे कि महेन्द्र कपूर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि कैफी आजमी। संगीतकार छथि ओ.पी.नैयर। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे धर्मेंद्र, तनुजा, माला सिन्हा आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222-1222-1222-1222 अछि। पूरा नज्म जीवन-दर्शन आ गेयतासँ भरल अछि मुदा हरेक पाँतिमे बहरक पूरा पालन भेल छै।ई नज्म ओहन-ओहन लोकक मूँहपर थापर अछि जे कहै छथि जे बहरक पालनसँ कथ्य आ गेयता घटि जाइ छै।
बदल जाये अगर माली चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
थकन कैसी घुटन कैसी चल अपनी धुन में दीवाने
खिला ले फूल काँटों में सजा ले अपने वीराने
हवाएं आग भड़काएं फ़िज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
अँधेरे क्या उजाले क्या ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आएँगे प्यारे तेरे अरमां तेरे सपने
ज़माना तुझसे हो बरहम ना आये राह पर मौसम
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। "चल अपनी" एकर तक्ती अलिफ-वस्ल केर नियमसँ छै। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--
फिल्म "बहारें फिर भी आएंगी" केर ई नज्म जे कि महेन्द्र कपूर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि कैफी आजमी। संगीतकार छथि ओ.पी.नैयर। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे धर्मेंद्र, तनुजा, माला सिन्हा आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222-1222-1222-1222 अछि। पूरा नज्म जीवन-दर्शन आ गेयतासँ भरल अछि मुदा हरेक पाँतिमे बहरक पूरा पालन भेल छै।ई नज्म ओहन-ओहन लोकक मूँहपर थापर अछि जे कहै छथि जे बहरक पालनसँ कथ्य आ गेयता घटि जाइ छै।
बदल जाये अगर माली चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
थकन कैसी घुटन कैसी चल अपनी धुन में दीवाने
खिला ले फूल काँटों में सजा ले अपने वीराने
हवाएं आग भड़काएं फ़िज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
अँधेरे क्या उजाले क्या ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आएँगे प्यारे तेरे अरमां तेरे सपने
ज़माना तुझसे हो बरहम ना आये राह पर मौसम
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। "चल अपनी" एकर तक्ती अलिफ-वस्ल केर नियमसँ छै। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--
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