शुक्रवार, 24 मई 2019

गजल

कहलथि सरदार भुँइ भुँइ सिंग
जनते बेकार भुँइ भुँइ सिंग

हे नीपि पोति राखू आँगन
एथिन सरकार भुँइ भुँइ सिंग

असगर राजा असगर रानी
असगर दरबार भुँइ भुँइ सिंग

प्रेते सन छनि जीवन हुनकर
भेलथि असवार भुँइ भुँइ सिंग

कोन जुलुम जे अइ दुनियाँमे
चाहथि परचार भुँइ भुँइ सिंग

भने सुखाएल रहौ आँगन
अपने रसदार भुँइ भुँइ सिंग

सभ पाँतिमे 22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों