शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

गजल

टुक टुक ताकै विस्थापित बहार
पागल लागै विस्थापित बहार

स्थापित छै जँइ तँइ काँटक महंथ
सभटा जानै विस्थापित बहार

कतबो छल बलगर कतबो बुलंद
तैयो भेलै विस्थापित बहार

कहियो ने कहियो एतै बसंत
अतबे बाजै विस्थापित बहार

हमरे बलपर केने राज साज
हमरे ढाहै विस्थापित बहार

सभ पाँतिमे 222-222-2-121 मात्राक्रम अछि। ई बहरे लोचन अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों