ई चक्कर सरकारी छै
जे सभ गेलै जनता लग
सेहो सभ दरबारी छै
असगर रहतै दुनियाँमे
ई केहन बुधियारी छै
सहयोगक आसा किछु नै
बस अगबे टिटकारी छै
बाहर बाहर अमरित रस
भीतरमे महकारी छै
सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
हम जरैत छी की अहाँ प्रकाशित रही
अहाँक सुख लेल खुशीसँ हम आँच सही
बातीकेँ जरैत ई दुनिया देखलक
तेल बनि हम तँ जरलौं दुख कतेक कही
© जगदानन्द झा 'मनु'
सभ पाँतिमे 212-212-122-122 मात्राक्रम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।