साँपकेँ गुदगुदी लगेनाइ मानू
के कहाँ की कते लऽ जेतै दऽ जेतै
प्रश्न पूछब समय गमेनाइ मानू
आसपर लूटि लेत सरकार सभटा
बस अहाँ एकरा लुटेनाइ मानू
बंधु सभ तोप दागि मच्छर उड़ाबथि
ईहो दुश्मन जकाँ उड़ेनाइ मानू
जे जहाँ भेटि गेल आशा निराशा
अंतमे एकरे कमेनाइ मानू
सभ पाँतिमे 212-212-122-122 मात्राक्रम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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