गुरुवार, 3 नवंबर 2022

गजल

सत्य कहि केकरो बुझेनाइ मानू
साँपकेँ गुदगुदी लगेनाइ मानू

के कहाँ की कते लऽ जेतै दऽ जेतै
प्रश्न पूछब समय गमेनाइ मानू

आसपर लूटि लेत सरकार सभटा
बस अहाँ एकरा लुटेनाइ मानू

बंधु सभ तोप दागि मच्छर उड़ाबथि
ईहो दुश्मन जकाँ उड़ेनाइ मानू

जे जहाँ भेटि गेल आशा निराशा
अंतमे एकरे कमेनाइ मानू

सभ पाँतिमे 212-212-122-122 मात्राक्रम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों