बुड़ित्वक शिखर सन लगैए टिटिम्भा
हरा ने सकब ओकरा मानि लिअ ई
समाजक बलें जे जिबैए टिटिम्भा
रहै लोभ बहुतक तही लेल देखू
धनी केर जुत्ता चटैए टिटिम्भा
अगम बाटपर सत्य साधक चलै छथि
सुगम बाटपर उड़ि चलैए टिटिम्भा
गरीबी कनेने रहै ओकरा तँइ
गरीबक शिकारी बनैए टिटिम्भा
हमर हो अहाँ केर हो वा कि किनको
सदति मोनमे बसि रहैए टिटिम्भा
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि। मतलामे मान्य छूट लेल गेल अछि। ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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