जकरा केलहुँ अपना बुझि
से सभ भागल अनका बुझि
हमरा गेने घाटा छनि
नहिए गेलहुँ दुविधा बुझि
बजने हेतै किछु ने किछु
चुप्पे रहलै खतरा बुझि
असगर रहलहुँ आँगनमे
लोको देखै मजमा बुझि
हेता ओ साँचक मुरती
जनता पहुँचल चमचा बुझि
सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
मंगलवार, 30 जुलाई 2024
गजल
शुक्रवार, 5 जुलाई 2024
रुबाइ
मुँह पर दरद आबि जेए ओ मरद नै
हर बहैत जे बसि जेए ओ बरद नै
जिम्मेदारी घरक ल गेल विदेशमे
‘मनु’ केना बुझलक जेए ओ दरद नै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
खोजबीनक कूट-शब्द:
जगदानन्द झा 'मनु',
रुबाइ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों