तारीमे कतए मद जे चाही जीबै लेल
माहुरमे कुन जीवन चाही जे चीखै लेल
बाँकी नै तारीएटा टूटल मनकेँ लेल
जीवनमे एकर बादो बड़ छै पीबै लेल
सिस्टममे फाटल छै मेघसँ धरती धरि कोढ़
एतै कतयसँ दरजी ई सिस्टम सीबै लेल
जीतब हारब सदिखन लगले छै जीवन संग
फेरसँ उठि कोशिश नमहर हेतै जीतै लेल
खेती मोनसँ करबै ‘मनु’ जीवनकेँ तैयार
कर्मक बीया सगरो बहुते अछि छीटै लेल
(बहरे विदेह, मात्राक्रम- 2222-2222-222-21 सभ पाँतिमे)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
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