गजल
1
जँहा देखलहुँ घर तहीं धर खसा लेलहुँ
असगरे मे अपन जिनगी बसा लेलहुँ
लोक फेकैत रहल पाथर पर पाथर
तकरे बीछि एकटा घर बना लेलहुँ
झोल लागल देबाल पर टाँगल उदासी
अहाँक हँसी टाँगि ऒकरा सजा लेलहुँ
मोन मे धाह , करेज मे भूर ,देह साबुत
अपन भावना के दरबार मे नाचा लेलहुँ
1
जँहा देखलहुँ घर तहीं धर खसा लेलहुँ
असगरे मे अपन जिनगी बसा लेलहुँ
लोक फेकैत रहल पाथर पर पाथर
तकरे बीछि एकटा घर बना लेलहुँ
झोल लागल देबाल पर टाँगल उदासी
अहाँक हँसी टाँगि ऒकरा सजा लेलहुँ
मोन मे धाह , करेज मे भूर ,देह साबुत
अपन भावना के दरबार मे नाचा लेलहुँ
बड नीक
जवाब देंहटाएंझोल लागल देबाल पर टाँगल उदासी
अहाँक हँसी टाँगि ऒकरा सजा लेलहुँ
आ फेर
मोन मे धाह , करेज मे भूर ,देह साबुत
अपन भावना के दरबार मे नाचा लेलहुँ