गजल
एना जे धड़ के नेड़ा बैसल छी
जिनगीक अर्थ के हेड़ा बैसल छी
नहि होइन्ह अन्हार हुनक कोबर मे
तँए अपन करेज जरा बैसल छी
उराहल इनारक पानि सँ कब्ज होइए
गंगोजल के सड़ा बैसल छी
भेटबे करत केओ ने केओ कहिओ
एही उम्मेद पर अपना के जिया बैसल छी
करोट फेरब के परिवर्तन कहल जाइए
जखन की आत्मे के सुता बैसल छी
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रविवार, 14 जून 2009
गजल
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अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
हमर पूरा नाम थिक आशीष कुमार मिश्र। गामक नाम अछि भटरा-घाट(बिस्फी)।हम वर्तमान मे लाजिस्टिक सेक्टर (ए.बी.सी इंडिया लिमिटेड) मे लेखाकर्मी के पद पर कार्यरत छी।हमर शिक्षा गाम एवं कलकत्ता मे भेल। आब इ ब्लागक संग अपने लोकनिक शरण मे छी।आशा अछि जे हमर प्रयास आहाँ सभ के पसिन्न होएत।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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