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शनिवार, 21 अगस्त 2010
गजल
अंगूर खट्टा लताम थुर्री जामुन लाल
गाछो मचा रहल बड़का बबाल
एखबारी विकास आ जनता उदास
बहिरा नाचए अपने ताल
पाँच बरिस पर सुरुज उगैए
बाँकी समय बदरी-बिकाल
लागल हाट अछि गमला के
फूल तकैए कादो-थाल
अनचिन्हार त अनचिन्हारे अछि
चिन्हार बनल अछि बड़का काल
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंnice blog!