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बुधवार, 11 अगस्त 2010
गजल
मनुख पर भूकैत अछि कूकूर
खजाना के लुटैत अछि कुकूर
की मनु की आदम की थिक हौआ
नियम बना स्वयं तोड़ैत अछि कूकूर
लक्ष्य नहि बाटे-बाट पसरल
बेमतलब के दौड़ैत अछि कूकूर
आगि-पानि-बसात सभ बेकाजक
रंग-महल मे मौज उड़बैत अछि कूकूर
पदितो जाइ पड़ाइतो जाइ अनचिन्हार
एहिठाम कूकूरे के हबकैत अछि कूकूर
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अनचिन्हार,
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