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शुक्रवार, 13 अगस्त 2010
गजल
अहाँ निरोध करु
अहाँ विरोध करु
लोक बढ़त आँगा
अहाँ अवरोध करु
धनी बनए धनी
एहने शोध करु
जनतंत्र अपने जन्मल
खूब ओध-बाध करु
खाएब अहाँ फास्ट-फूड
बरबाद बाध करु
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कुछ कुछ समझ आयी. अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंमैथिलि भाषा में सुन्दर ग़ज़ल कही है| मैथिलि भाषा को बढ़ावा देने के लिए यहाँ पर भी sign up कर मैथिलि साहित्य ग्रुप ज्वाइन कीजिये
जवाब देंहटाएंwww.openbooksonline.com
mere blog par aane kelie sabhi ka dhanyvad. rajeev ji yah maithili language hai.shayad ise lie aapke samjh men nhi aayi hogi.
जवाब देंहटाएंwah...aap nirantarta banae rakhen......sadhuwaad..
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