गजल:
गप्प पिबै छी मुखपोथी पर
गप्प छटै छी मुखपोथी पर
संग रहै से बिछुरल मीता
मीत तकै छी मुखपोथी पर
गाम-घरक हम बिसरल बोली
बोल सिखै छी मुखपोथी पर
डाक घरक हम बाटो बिसरल
पत्र लिखै छी मुखपोथी पर
पंच रहल नञ पनचाइत घर
पंच बनै छी मौखपोथी पर
भेंट हमर नञ किनको संगे
कुशल पुछै छी मुखपोथी पर
कहब गजल से मंचो उजरल
गजल कहै छी मुखपोथी पर
सभ पाँतिमे मात्राक्रम –21-122-2222
© राम कुमार मिश्र
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