रविवार, 24 जुलाई 2016

गजल

किछु किछु रसधार जकाँ
किछु किछु बेकार जकाँ

हुनको सभहँक दुनियाँ
आने संसार जकाँ

साधल मातल लोकक
बोली ललकार जकाँ

बेरा बेरी हमरो
केलक उद्धार जकाँ

ओकर इच्छा लागै
अनमन कंसार जकाँ



सभ पाँतिमे 222-222 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग-अलग लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि



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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों