सोमवार, 31 दिसंबर 2018

अपने एना अपने मूँह-41

मास मइ-१८मे कुल ९ टा पोस्ट भेल जाहिमे कुंदन कुमार कर्णजीक २ टा गजल एवं आशीष अनचिन्हारक ३टा गजल, १टा अपने एना अपने मूँह, २टा भजनपर गजकल प्रभाव आ १टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर नामक आलेख अछि।
मास जून-१८मे कुल ६टा पोस्ट अछि जाहिमे कुंदन कुमार कर्णजीक २ टा गजल एवं आशीष अनचिन्हारक ३टा गजल आ १ टा नात अछि।
मास जुलाइ-१८मे कुल ४टा पोस्ट भेल जाहिमे कुंदन कुमार कर्णजीक १टा गजल एवं आशीष अनचिन्हारक ३टा गजल अछि।
मास अगस्त-१८क कुल ३टा पोस्टमे आशीष अचनिन्हारक ३ टा गजल अछि।
मास सितम्बर-१८क कुल ५टा पोस्टमे आशीष अनचिन्हारक ३टा गजल आ २टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर नामक आलेख अछि।
मास अक्टूबर-१८क कुल ५टा पोस्टमे कुंदन कुमार कर्णजीक १टा भक्ति गजल एवं आशीष अनचिन्हारक २टा गजल आ २टा बाल गजल अछि।
मास नवम्बर-१८क कुल ३टा पोस्टमे आशीष अचनिन्हारक ३ टा गजल अछि।
मास दिसम्बर-१८क कुल 6टा पोस्टमे कुंद कुमार कर्णजीक 1 टा गजल एवं आशीष अचनिन्हारक 3 टा हिंदी फिल्मी गीतमे बहर नामक आलेख, 1 टा गजल आ १टा अपने एना अपने मूँह नामक आलेख अछि।

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-20

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

फिल्म "हमराज" केर ई नज्म जे कि महेन्द्र कपूर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि साहिर लुधियानवी। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1967 मे रिलीज भेलै। एहिमे सुनील दत्त, राज कुमार, मुमताज आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 212-212-212-212 अछि।


तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग़मे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैन तुम्हें देखकर गीत गाता रहूँ

कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैने अब तक किसीको पुकारा नहीं
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं
हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो
मैं हर एक शै से नज़रें चुराता रहूँ

मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे
तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो
तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर हूँ मैं
मैं समझता हूं तुम मेरी तक़दीर हो
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो
मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ

मैं अकेला बहुत देर चलता रहा
अब सफ़र ज़िन्दगानी का कटता नहीं
जब तलक कोई रंगीं सहारा ना हो
वक़्त क़ाफ़िर जवानी का कटता नहीं
तुम अगर हमक़दम बनके चलती रहो
मैं ज़मीं पर सितारे बिछाता रहूँ

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--






मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

गजल

मालूम नै छल तोहर नैना चितचोर गे
जहियासँ मिललै धरकन मारै हिलकोर गे

अदहन सिनेहक जे चाहक चूल्हापर चढ़ल
खदकल हियामे अगबे मिलनक इनहोर गे

रूमीक कविता सन मार्मिक तुकबन्दी जकाँ
दुनियाँक कोनो कवि लग नै तोहर तोड़ गे

शीशा जकाँ आखर आ पानी सन भाव छै
कहलहुँ गजल तोरे नाँओ भोरे भोर गे

बस एक तोरे आगू कोमल बनि जाइ छी
चलतै हमर जिनगीपर की ककरो जोर गे

लुत्ती सुनगि गेलै प्रेमक अगहन मासमे
बैशाख धरि हेबे टा करतै मटिकोर गे

दोसर नजरिके कुन्दन सोहाइत आब नै
चाहे रहै कारी या अछि केओ गोर गे

221-222-222-2212

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

गजल

सभटा सुविधा सरकारी राम हरे
खाली हुनके सरदारी राम हरे

जीवन भेलै अखबारी राम हरे
रिपोर्टिंग रहलै जारी राम हरे

अपनेमे मारा मारी राम हरे
उजड़ल पूरा फुलवारी राम हरे

अपने थारी घिउढ़ारी राम हरे
खाली अपने परचारी राम हरे

बच्चा भेलै संस्कारी राम हरे
माए रहलै बेचारी राम हरे

सभ पाँतिमे 22 22 22 22 22 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव आमंत्रित अछि। राम हरे पदक प्रयोग भजन सभसँ लेल गेल अछि।

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-19

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू गोवर्धन राम त्रिपाठीजीक गुजराती उपन्यास "सरस्वतीचन्द्र"पर आधारित फिल्म "सरस्वतीचंद्र" केर ई नज्म जे कि लता मंगेशकर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि साहिर। संगीतकार छथि कल्याणजी-आनंद जी। ई फिल्म 1968 मे रिलीज भेलै। एहिमे नूतन, मनीष, विजय चौधरी आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 2122-122-122-12 अछि। एहि नज्मक पहिल दू पाँति "कहाँ चला ऐ मेरे जोगी, जीवन से तू भाग के...." माहौल बनेबाक लेल देल गेल छै।


कहाँ चला ऐ मेरे जोगी, जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण, यूँ सारी दुनियाँ त्याग के

छोड़ दे सारी दुनियाँ किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर ही से सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको संसार में
है दिया ही बहुत रौशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनियाँ उजड़ ही गयी है तो क्या
दूसरा तुम जहाँ क्यूँ बसाते नहीं
दिल न चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सबकी खुशी के लिए

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--


ई गीत मूल स्वरमे सुनलाक बाद फेरसँ इएह गीत मरताब अली जीक अवाजमे सुनू एकटा अलग आनंद आएत।



शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-18

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू "प्यासा" फिल्म केर ई नज्म जे कि मोहम्मद रफी जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि साहिर लुधियानवी। संगीतकार छथि सचिन देव बर्मन। ई फिल्म 1957 मे रिलीज भेलै। एहिमे गुरू दत्त, वहीदा रहमान, माला सिन्हा आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122-122-122-122 अछि।

ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनियाँ,
ये इंसाँ के दुश्मन समाजों की दुनियाँ,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनियाँ,
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है .

हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनियाँ है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है .

यहाँ इक खिलौना है इंसाँ की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवाँ जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है .

ये दुनियाँ जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है 
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जला दो इसे फूक डालो ये दुनियाँ
जला दो इसे फूक डालो ये दुनियाँ
मेरे सामने से हटा लो ये दुनियाँ
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनियाँ
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। "हर इक" केर मात्राक्रम लेल अलिफ-वस्लक नियम देखल जाए मने एकर मात्राक्रम "हरिक" केर हिसाबसँ लेल जेतै। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--


तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों