मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

गजल

मालूम नै छल तोहर नैना चितचोर गे
जहियासँ मिललै धरकन मारै हिलकोर गे

अदहन सिनेहक जे चाहक चूल्हापर चढ़ल
खदकल हियामे अगबे मिलनक इनहोर गे

रूमीक कविता सन मार्मिक तुकबन्दी जकाँ
दुनियाँक कोनो कवि लग नै तोहर तोड़ गे

शीशा जकाँ आखर आ पानी सन भाव छै
कहलहुँ गजल तोरे नाँओ भोरे भोर गे

बस एक तोरे आगू कोमल बनि जाइ छी
चलतै हमर जिनगीपर की ककरो जोर गे

लुत्ती सुनगि गेलै प्रेमक अगहन मासमे
बैशाख धरि हेबे टा करतै मटिकोर गे

दोसर नजरिके कुन्दन सोहाइत आब नै
चाहे रहै कारी या अछि केओ गोर गे

221-222-222-2212

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों