शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-20

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। ओना उर्दू केर पुरान नज्ममे निश्चित रूपे बहर भेटत मुदा अंग्रेजी प्रभावसँ सेहो उर्दू प्रभावित भेल आ बिना बहरक नज्म सेहो लिखाए लागल। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

फिल्म "हमराज" केर ई नज्म जे कि महेन्द्र कपूर जी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि साहिर लुधियानवी। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1967 मे रिलीज भेलै। एहिमे सुनील दत्त, राज कुमार, मुमताज आदि कलाकार छलथि। एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 212-212-212-212 अछि।


तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग़मे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैन तुम्हें देखकर गीत गाता रहूँ

कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैने अब तक किसीको पुकारा नहीं
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं
हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो
मैं हर एक शै से नज़रें चुराता रहूँ

मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे
तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो
तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर हूँ मैं
मैं समझता हूं तुम मेरी तक़दीर हो
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो
मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ

मैं अकेला बहुत देर चलता रहा
अब सफ़र ज़िन्दगानी का कटता नहीं
जब तलक कोई रंगीं सहारा ना हो
वक़्त क़ाफ़िर जवानी का कटता नहीं
तुम अगर हमक़दम बनके चलती रहो
मैं ज़मीं पर सितारे बिछाता रहूँ

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--






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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों