बुधवार, 25 नवंबर 2020

गजल

अहूँ देखियौ आइ औकात हुनकर
रहै भूख हमरे मुदा भात हुनकर

कहीं ने कहीं छै बहुत गैप अर्थक
उधेसल पुधेसल कते बात हुनकर

जमीने कहै छै कहानी मनुक्खक
सहीमे अलग छै अबरजात हुनकर

धरापर गगनमे जगह छेकि बैसल
छलनि बीच जिनकर छलनि कात हुनकर

अहो भाग्य जे पंच देखल अहीं सन
छलै गाछ हिनकर रहै पात हुनकर


सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों