मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

गजल

गंगामे नहा नहा कऽ बाजत
पापी सभ ठठा ठठा कऽ बाजत

सीधा लोक केर नग्रमे जे
बाजत से घुमा फिरा कऽ बाजत

जकरा सत्य कहि गुजरि चलै छै
से गर्दनि कटा कटा कऽ बाजत

जक्कर मूँह मौधमे बसल छै
सदिखन से छुआ छुआ कऽ बाजत

कतबो जोड़ि लिअ विवेक संपति
बजनाहर घटा घटा कऽ बाजत

सभ पाँतिमे 2221-212-122 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों