अमीरक निशानी डबलपर डबल छै
गरीबक निशानी घटलमे घटल छै
कते बात बाजब सियारक शहरमे
हमर जीह अत्तहि अहीपर रुकल छै
बहुत छूटि गेलै तकर बाद तैयो
गमक एक कनमा रचल ओ बसल छै
हवामे हियाकेँ मिला लेत दुनियाँ
जते ई कठिन छै तते ई सरल छै
हमर पाँति पढ़िते सभा पूछि बैसल
ककर नोर अत्ते गजलमे लिखल छै
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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