विमर्शे जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
कि तर्के जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
सजा देब हम शब्दकेँ आवरणमे
ई अर्थे जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
गमा देल जीवन अही मर्म खातिर
से मर्मे जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
कुकर्मक हिसाबे किए लेब बहिना
सुकर्मे जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
किए श्राद्ध पचतै किए पानि रुचतै
ई कर्ते जँ बेशर्म हो की कऽ सकबै
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि। किछु शेरमे एक अक्षरीय दीर्घकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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