किछु नै कहलक ओ कहियो कऽ
हमहूँ नै बुझलहुँ बुझियो कऽ
दुश्मन यदि हो अपने लोक
रहि सकबै कोना हटियो कऽ
जे जे रहलै हुनका संग
ओकर गिनती नै रहियो कऽ
लिखलहुँ हम जेहन जे पाँति
अपनो नै बुझलहुँ लिखियो कऽ
सारापर करतै जयकार
लेखककेँ नै सुख मरियो कऽ
सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। ई बहरे विदेह अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
मंगलवार, 30 जनवरी 2024
गजल
शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
गजल
ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा
कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा
पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा
किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा
केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा
हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा
सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों