शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

गजल

ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा

कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा

पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा

किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा

केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा

हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा

सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों