शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

गजल

पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल

जे प्रेममे  डूबल जीविते तरि गेल 

 

सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक 

अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल


धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत

हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल

   

आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ

डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल 

      

पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब

तोरासँ जे  मृगनयनी  नजरि लरि गेल 

(बहरे सलीममात्रा क्रम - 2212-2221-2221)

जगदानन्द झा ‘मनु

 

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

गजल

नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै

प्रेम जकरा देलियै  तीत भेलै

 

जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं

जे कियो  बुझलकै भयभीत भेलै

 

बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक

आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै

 

जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै

ओकरे सभके किए  जीत भेलै

 

भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु

लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै

 

(बहरे रमलमात्रा क्रम 2122-2122-2122)

जगदानन्द झा ‘मनु

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों