नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै
प्रेम जकरा देलियै ओ तीत भेलै
जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं
जे कियो ई बुझलकै भयभीत भेलै
बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक
आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै
जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै
ओकरे सभके किए ई जीत भेलै
भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु’
लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम 2122-2122-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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