पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल
जे प्रेममे डूबल जीविते तरि गेल
सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक
अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल
धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत
हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल
आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ
डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल
पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब
तोरासँ जे मृगनयनी नजरि लरि गेल
(बहरे सलीम, मात्रा क्रम - 2212-2221-2221)
जगदानन्द झा ‘मनु’
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