अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
रविवार, 8 दिसंबर 2024
रुबाइ
आइ
हमहूँ
खेत
बोटीकेँ
रोपलौं
पेट
पोसै
लेल
झूठक हर
जोतलौं
कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा
आँखि बान्हि टाका टक दफ़ा जोखलौं
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
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