सत्य बनि जाइ छै अमीरक कल्पना
मेहनति बाद किछु नै भेटै छै जखन
लोक तखने करै नसीबक कल्पना
चुप रहल सभ हरेक विपदामे हमर
देश छै बौक आ बहीरक कल्पना
कल्पनाशीलता भरल पेटक नियति
पेट खाली तखन अचानक कल्पना
नौकरीमे रहै परेशानी बहुत
नै कऽ सकलै कियो शरीरक कल्पना
सभ पाँतिमे 212-212-122-212 मात्राक्रम अछि। गजलक मान्य छूट लेल गल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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