बुधवार, 24 दिसंबर 2025

गजल

झूठ रहि जाइ छै गरीबक कल्पना
सत्य बनि जाइ छै अमीरक कल्पना

मेहनति बाद किछु नै भेटै छै जखन
लोक तखने करै नसीबक कल्पना

चुप रहल सभ हरेक विपदामे हमर
देश छै बौक आ बहीरक कल्पना

कल्पनाशीलता भरल पेटक नियति
पेट खाली तखन अचानक कल्पना

नौकरीमे रहै परेशानी बहुत
नै कऽ सकलै कियो शरीरक कल्पना

सभ पाँतिमे 212-212-122-212 मात्राक्रम अछि। गजलक मान्य छूट लेल गल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों