गजल
१
मछगिद्ध जँ माछ छोड़ि दिअए त डर मानबाक चाही
लोक जँ नेता भए जाए त डर मानबाक चाही
रंडी खाली देहे टा बेचैत छैक अभिमान नाहि
मनुख अस्वभिमानी हुअए त डर मानबाक चाही
अछि विदित शेर नहि खाएत घास भुखलों उत्तर
वीर अहिंसक बनए त डर मानबाक चाही
माएक रक्षा करैत जे मरथि सएह विजेता
माए बेचि जँ रण जितए त डर मानबाक चाही
सम्मानक रक्षा करब उद्येश्य अछि गजल केर
जँ उद्येश्य बिझाए त डर मानबाक चाही
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बुधवार, 14 जनवरी 2009
गजल
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हमर पूरा नाम थिक आशीष कुमार मिश्र। गामक नाम अछि भटरा-घाट(बिस्फी)।हम वर्तमान मे लाजिस्टिक सेक्टर (ए.बी.सी इंडिया लिमिटेड) मे लेखाकर्मी के पद पर कार्यरत छी।हमर शिक्षा गाम एवं कलकत्ता मे भेल। आब इ ब्लागक संग अपने लोकनिक शरण मे छी।आशा अछि जे हमर प्रयास आहाँ सभ के पसिन्न होएत।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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